गोवा के एक मशहूर नाइट क्लब में 7 दिसंबर को आग लगने से बड़ा हादसा हो गया. इसमें 25 लोगों के जान गंवाने की बात सामने आई है. यह जगह एक मशहूर बीच के पास थी, जहां बॉलीवुड गानों पर लोग मस्ती में डूबे हुए थे. इस हादसे में गोवा के राहुल तांती (32) नाम के एक ऐसे शख्स की मौत हो गई, जिसकी उस दिन पहली नाइट ड्यूटी थी.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने पहले राहुल को बेटा पैदा हुआ था, जिसकी वजह से वो असम के कछार ज़िले में अपने गांव में अपने परिवार को छोड़कर उनके लिए कमाने गोवा चले गए.
तांती असम के उन तीन पिछड़े समुदाय के नौजवानों में से एक थे, जो अरपोरा नाइट क्लब में स्टाफ़ के तौर पर काम कर रहे थे. रंगिरखारी गांव के रहने वाले राहुल सात भाई-बहनों में सबसे बड़े भाई थे. उनका परिवार चाय की खेती करने वाली जनजाती से आता है. उन्होंने क्लास 4 पूरी करने के बाद, अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए ज़िंदगी की शुरुआत में ही काम करना शुरू कर दिया था.
घर की जिम्मेदारियों की मजबूरी...
रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल के भाई, देवा ने कहा कि वह अपने तीसरे बच्चे के जन्म के बाद 24 नवंबर को गोवा चले गए थे. उनकी नौ और छह साल की दो बेटियां भी हैं.
उन्होंने कहा, “चाय के बागान में काम करने की मज़दूरी सिर्फ़ 200 रुपये रोज़ाना है, जो मेरे भाई की तरह परिवार पालने के लिए काफ़ी नहीं है. वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहते थे, जिससे उनकी अच्छी पढ़ाई हो सके और हमारे जैसे परिवारों की तुलना में अपने लिए बेहतर कर सकें. वह पहले 2021 में असम से बाहर काम करने गए और फिर अपनी कमाई के साथ वापस आए और एक घर बनाया, अपने परिवार के साथ रहने लगे और यहां बागानों में काम किया. लेकिन बेटे के जन्म के बाद, उन्होंने तय किया कि इतनी कमाई से काम नहीं चलेगा, और ज़्यादा कमाना होगा.”
जिस रात हादस हुआ, उस रात राहुल तांती की नाइट क्लब में पहली नाइट शिफ्ट थी, यह काम उसने माली की दिन की नौकरी के अलावा किया था.
यह भी पढ़ें: गोवा अग्निकांड में जिस अजय गुप्ता को शहर-शहर खोज रही थी पुलिस, वो दिल्ली के अस्पताल में मरीज बनकर छिपा था
मृतक की दर्दनाक कहानी...
मृतक राहुल के भाई देवा ने गोवा में करीब आठ साल काम किया था और 2023 में अपने परिवार के साथ रहने के लिए गांव लौट गए थे. उन्होंने कहा, "राहुल ने कहा कि वह रात की नौकरी भी करना चाहता है, जिससे ज़्यादा कमा सके और अपने बच्चों के पास जल्दी वापस आ सके, लेकिन यह हादसा उसकी पहली ही नाइट ड्यूटी के दौरान ही हो गया."
आग हादसे में मारे गए उसी जिले के एक और शख्स मनोजीत मल (24) भी सिल्कूरी ग्रांट गांव के एक चाय जनजाति परिवार से हैं. उनके पड़ोसी, प्रदीप मल ने कहा कि चार भाई-बहनों में सबसे बड़े होने के नाते, वह डेढ़ साल पहले बेहतर सैलरी की तलाश में असम छोड़कर चले गए थे.
उन्होंने कहा, “परिवार बहुत गरीब है और चाय के अलावा कोई ऐसी इंडस्ट्री नहीं है, जहां इस इलाके के यूथ काम कर सकें. चाय के बागान भी कई सालों से ठीक से नहीं चल रहे हैं. सैलरी बहुत कम और कभी-कभी मिलती है. उसके माता-पिता भी चाय के बागान में काम करते थे, लेकिन क्योंकि वे अब बूढ़े हो गए हैं और वह सबसे बड़ा भाई था, इसलिए वह काम करने के लिए बाहर चला गया.”
यह भी पढ़ें: क्या पुलिस ने लूथरा ब्रदर्स को भगाने में मदद की? गोवा अग्निकांड पर DIG ने दिया जवाब
'असम में यूथ के लिए जॉब की कमी...'
असम का तीसरा मृतक, दिगंता पाटिर (22), सूबे के पूर्वी क्षेत्र के धेमाजी जिले के एक मिसिंग आदिवासी परिवार से था, जो बाकी दो से बहुत दूर था. उसके चाचा बिस्वा पाटिर के मुताबिक, दिगंता के पिता की मौत करीब दस साल पहले हो गई थी और वह 18 साल की उम्र से असम के बाहर काम कर रहा था. वह इस साल की शुरुआत में काम करने के लिए गोवा गया था.
उन्होने, “उसने क्लास 10 तक पढ़ाई की और फिर अपनी मां और छोटे भाई को सपोर्ट करने के लिए असम छोड़ दिया. उसने तमिलनाडु में खाने की दुकानों में कुक का काम किया और फिर अप्रैल में गोवा चला गया, जहां ज़्यादा पैसे मिलने की उम्मीद थी. उसका छोटा भाई भी बाहर काम करता है, यहां नौजवानों के लिए ठीक-ठाक कमाई करना मुश्किल है. कोई कंपनी या इंडस्ट्री नहीं है और हमें हर साल भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ता है."
यह भी पढ़ें: बिना सेफ्टी इक्विपमेंट के हो रहा था फायर शो, गोवा नाइट क्लब हादसे की FIR में कई नए खुलासे
कई साल कहीं और काम करने और पैसे बचाने के बाद, दिगंत अगले महीने अपने गांव लौटने का प्लान बना रहा था. बिस्वा पाटिर ने कहा, “दोनों भाइयों ने मिलकर घर बनाने के लिए काफी कमा लिया था और वह वापस आने, अपना कुछ शुरू करने और अपनी मां के साथ रहने का प्लान बना रहा था, जो अकेली थीं. लेकिन अब, वह पहले से कहीं ज़्यादा अकेली हो गई हैं.”
aajtak.in