'पहली ऐसी FIR जहां ये तक नहीं पता कि गुनाह क्या', केस दर्ज होने पर ओवैसी का सवाल

दिल्ली पुलिस ने AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. उन पर भड़काऊ बयान देने का आरोप है. लेकिन ओवैसी ने इसे दिल्ली पुलिस की बैलेंसवाद वाली नीति बता दिया है.

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AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी

अमित भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2022,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST
  • ओवैसी पर पुलिस का भड़काने का आरोप
  • AIMIM चीफ बोले- मुस्लिम बन रहे निशाना

नफरत वाले बयान देकर समाज का माहौल खराब करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने कई बड़े नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज की है. नुपूर शर्मा और नवीन जिंदल के बाद अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि ओवैसी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भड़काने का प्रयास किया है. लेकिन AIMIM चीफ ने इस मामले में दिल्ली पुलिस पर ही निशाना साध दिया है.

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ओवैसी ने कहा है कि मुझे FIR का एक हिस्सा मिला है. ये पहली ऐसी FIR है जहां ये तक नहीं पता कि जुर्म क्या हुआ है. जरा सोचिए अगर हत्या के मामले में FIR दर्ज हो और पुलिस यही ना बताए कि किस हथियार से हमला किया गया हो, तब उसे क्या कहा जाएगा. ऐसा ही मेरे साथ हो रहा है जहां ये तक नहीं पता कि मेरे कौन से बयान की वजह से शिकायत दर्ज की गई है. ओवैसी यहां तक कह गए हैं कि दिल्ली पुलिस 'बैलेंसवाद' से ग्रसित हो चुकी है जहां पर दिखाने का प्रयास हो रहा है कि दोनों तरफ से हेट स्पीच की गई है. जबकि सच्चाई ये है कि एक पक्ष ने खुलकर पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया है. दूसरे पक्ष पर तो सिर्फ इसलिए शिकायत हो रही है जिससे बीजेपी समर्थकों को खुश रखा जाए.

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ओवैसी के मुताबिक इस देश में एक ऐसा ट्रेंड शुरू हो चुका है जहां पर हिंदुत्व वाली तमाम संस्थानें हेट स्पीच को बढ़ावा देती हैं और समय आने आने पर उन्हें इसका रिवॉर्ड भी दे दिया जाता है. इस मामले में उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिया. उनकी नजरों में योगी को हेट स्पीच का रिवॉर्ड बतौर सीएम बनाकर दिया गया. AIMIM चीफ ने पीएम मोदी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वे इस मुद्दे पर गंभीर होते तो तो हेट स्पीच बोलने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती, फर्जी बैलेंसवाद करने की कोशिश नहीं होती.

अपने पुराने हमलों को दोहराते हुए ओवैसी ने ये साफ कहा कि अभी भी देश में मुस्लिम छात्र, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले दर्ज होते हैं. उनका सिर्फ इतना गुनाह रहता है कि वे मुस्लिम समुदाय से आते हैं. वहीं दूसरी तरफ नुपूर शर्मा जैसे लोगों के खिलाफ मामले तब दर्ज हुए जब पूरी दुनिया ने उस बयान की निंदा की. 

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