तालिबान के कब्जे के बाद भारत में मिलिट्री ट्रेनिंग ले रहे 130 अफगानी जवानों का भविष्य अधर में!

भारत में अलग-अलग ट्रेनिंग एकेडमी में मिलिट्री ट्रेनिंग ले रहे 130 अफगानी जवान अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इनका भविष्य अधर में नजर आ रहा है.

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भारत में मिलिट्री ट्रेनिंग ले रहे 130 जवानों का भविष्य अधर में है. (प्रतीकात्मक फोटो) भारत में मिलिट्री ट्रेनिंग ले रहे 130 जवानों का भविष्य अधर में है. (प्रतीकात्मक फोटो)

मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:07 AM IST
  • दशकों से भारत में ट्रेनिंग लेते आए हैं अफगानी जवान
  • तालिबान के कब्जे के बाद भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं जवान

भारत में अलग-अलग ट्रेनिंग एकेडमी में मिलिट्री ट्रेनिंग ले रहे 130 अफगानी जवान अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इनका भविष्य अधर में नजर आ रहा है. इंडियन मिलिट्री एकेडमी में 80 और चेन्नई, पुणे स्थित एकेडमी में अन्य अफगानी कैडेट्स ट्रेनिंग ले रहे हैं.

डिफेंस अधिकारियों का कहना है कि इन जवानों के ट्रेनिंग और अन्य खर्च का वहन भारत कर रहा है. 2001 के बाद से अफगानिस्तान के राष्ट्र निर्माण के लिए भारत ऐसा मदद के तौर पर कर रहा है. अफगानिस्तान में सेना ने तालिबान के सामनेे सरेंडर कर दिया है, ऐसे में इन जवानों का भविष्य अधर में जाता दिखाई दे रहा है. आर्मी सूत्रों ने कहा कि ये जवान अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं, हालांकि इनके भविष्य को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा.

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उनमें से एक संभावना यह है कि वे अफगान सेना के सैनिकों में शामिल हो सकते हैं जो तालिबान के साथ शामिल हो गए हैं क्योंकि वहां अधिकांश सैनिकों ने ऐसा किया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस समय इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि वे अपने देश लौटने पर क्या करेंगे या वे निकट भविष्य में वहां लौटेंगे या नहीं.

इसपर भी क्लिक करें- तालिबान ने सरकारी अधिकारियों को दी ‘माफी’, बयान में कहा- अब रूटीन लाइफ पर लौटें
 
बता दें कि औसतन लगभग 700-800 अफगानिस्तानी जवान हर साल भारतीय मिलिट्री संस्थानों में 'टेलर मेड' कोर्स अटेंड करते हैं. ऐसा दशकों से होता आ रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि 80-100 कैडेट्स आईएमए, ओटीए और एनडीए आकर हर साल प्री कमिश्निंग ट्रेनिंग लेते आए हैं. हालांकि हम भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार और ताजिकिस्तान से लेकर श्रीलंका और वियतनाम तक के जवानों को ट्रेनिंग देते हैं. इनमें अफगानिस्तान के जवानों की संख्या ज्यादा होती हैं.

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