AMU में VC नईमा खातून की नियुक्ति का मामला, CJI गवई समेत दो जजों ने सुनवाई से खुद को किया अलग

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की पहली महिला वाइस चांसलर प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. याचिका में हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है, जबकि सरकार ने नियुक्ति का बचाव किया है. अब मामले को नई बेंच सुनेगी.

Advertisement
AMU में वीसी की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं. (File Photo) AMU में वीसी की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं. (File Photo)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के इतिहास में पहली महिला वाइस चांसलर (कुलपति) बनीं प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर नई स्थिति सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें यूनिवर्सिटी की पहली महिला वाइस चांसलर के रूप में नईमा खातून की नियुक्ति को बरकरार रखा गया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रोफेसर खातून को यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर, जो उनके पति भी हैं, का वोट मिला था और इसी वोट की वजह से वे कुलपति बनीं. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह ‘कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ यानी हितों के टकराव का मामला है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: बिहार: SIR में नाम कटने वाले वोटर्स की लिस्ट जारी, सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद EC ने उठाया कदम

सुनवाई के दौरान CJI बीआर गवई ने कहा कि वाइस चांसलर को नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेना चाहिए था. इसके बजाय सबसे सीनियर सदस्य को इसमें भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए थी. CJI ने इस संदर्भ में कॉलेजियम सिस्टम का उदाहरण देते हुए कहा कि जज भी उन मामलों से खुद को अलग कर लेते हैं जिनमें उनका हितों का टकराव होता है.

चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल!

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि वाइस चांसलर सहित दो विशेष मतों को हटाने पर नईमा खातून अयोग्य हो जाएंगी. सिब्बल ने कहा कि इससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इस मामले की बारीकी से जांच की जाए.

Advertisement

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में EVM की री-काउंटिंग, हरियाणा पंचायत चुनाव में हारा हुआ उम्मीदवार बना विजेता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखी थी नियुक्ति

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने नियुक्ति का बचाव किया. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भले ही चुनाव संबंधी कुछ दलीलों को खारिज कर दिया था, लेकिन फिर भी खातून की नियुक्ति को सही ठहराया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया और सुझाव दिया कि इस याचिका को दूसरी बेंच के सामने लिस्ट किया जाए. अब यह मामला नई बेंच के पास जाएगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement