भारत के विमानन क्षेत्र की निगरानी करने वाली संस्था DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने देश के प्रमुख हवाई अड्डों, खासतौर से दिल्ली और मुंबई की हालिया जांच में चौंकाने वाली लापरवाही का खुलासा किया है. यह जांच 19 जून को DGCA द्वारा जारी आदेश के बाद की गई थी, जिसमें एयरपोर्ट्स की सुरक्षा और कार्यप्रणाली की गहन समीक्षा की गई.
DGCA की दो टीमों ने इस विशेष निगरानी अभियान के तहत कई अहम पहलुओं की जांच की, जिनमें फ्लाइट ऑपरेशन्स, एयरवर्दीनेस (उड़ान के लिए उपयुक्तता), रैम्प सुरक्षा, एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल), संचार, नेविगेशन और सर्विलांस (CNS) सिस्टम्स, और प्री-फ्लाइट मेडिकल चेकअप जैसे क्षेत्र शामिल थे.
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डोमेस्टिक विमान का टायर मरम्मत के बाद उड़ान की इजाजत
जांच में यह पाया गया कि एक निर्धारित घरेलू विमान उड़ान के लिए तैयार नहीं था क्योंकि उसके टायर घिस चुके थे. इसे तब तक रोका गया जब तक कि मरम्मत नहीं हो गई. कुछ मामलों में विमान की मेंटेनेंस के दौरान आवश्यक कार्य आदेशों का पालन नहीं किया गया. एक प्रमुख हवाई अड्डे पर तीन वर्षों से "अब्स्ट्रक्शन लिमिटेशन डेटा" को अपडेट नहीं किया गया था, जबकि एयरपोर्ट के आसपास कई नई इमारतें बन चुकी थीं. फिर भी कोई नया सर्वे नहीं किया गया.
बैगेज ट्रॉली, बेल्ट लोडर खराब हालत में पाए गए!
ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण जैसे बैगेज ट्रॉली, बेल्ट लोडर खराब हालत में पाए गए. लाइन मेंटेनेंस स्टोर और टूल कंट्रोल प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. इतना ही नहीं, थ्रस्ट रिवर्सर सिस्टम और फ्लैप स्लैट लीवर जैसे महत्वपूर्ण पुर्जे भी अनलॉक थे, जो गंभीर सुरक्षा खतरा बन सकते हैं.
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7 दिनों में सभी सुधार के काम करने के आदेश
सबसे बड़ी चिंता की बात यह रही कि विमान प्रणाली द्वारा उत्पन्न डिफेक्ट रिपोर्ट्स को तकनीकी लॉगबुक में दर्ज नहीं किया गया था, जिससे भविष्य में किसी भी खराबी की पहचान और समाधान मुश्किल हो सकता है. इन खामियों को देखते हुए DGCA ने सभी फ्लाइट ऑपरेटरों को 7 दिनों के भीतर आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
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