दो महिलाओं को AIIMS डॉक्टर ने बिना डोनर की परमिशन IVF Egg दिए, NMC ने चेताया

एम्स दिल्ली के स्त्रीरोग विभाग के एक डॉक्टर ने 6 साल पहले एक महिला के अंडाणुओं यानी एग्स को बिना उसकी सहमति के दो अन्य महिलाओं को दे दिया था. अब नेशनल मेडिकल कमिशन ने उस डॉक्टर को महज चेतवनी देकर छोड़ दिया है.

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एम्स के एक डॉक्टर ने IVF मरीज के एग्स को बिना सहमति के दूसरों को दिया था एम्स के एक डॉक्टर ने IVF मरीज के एग्स को बिना सहमति के दूसरों को दिया था

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

एम्स, दिल्ली के स्त्री रोग विभाग के एक डॉक्टर ने 6 साल पहले आईवीएफ केंद्र में एक महिला के अंडाणु (एग्स) उसकी सहमति के बगैर दो अन्य महिला मरीजों के आईवीएफ के लिए इस्तेमाल कर दिए. घटना के लगभग छह साल बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने डॉक्टर को चेतावनी के साथ छोड़ दिया है.

18 जुलाई को चेतावनी जारी करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने कहा कि डॉक्टर ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है. आदेश में कहा गया है, 'डॉक्टर ने मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम किया है. उनका मकसद गरीब मरीज को मदद करना था. उन्हें कोई व्यक्तिगत कोई फायदा नहीं था, लेकिन इस बात से इनकार नहीं कि जा सकता है आईसीएमआर के नियमों का उल्लंघन हुआ है.'

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डॉक्टर ने की थी अपील

पिछले साल सितंबर में दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) द्वारा एक महीने के लिए उसका लाइसेंस निलंबित करने का आदेश दिए जाने के बाद डॉक्टर ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में अपील की थी. 2017 में डीएमसी को प्राप्त शिकायत के अनुसार, आईवीएफ प्रक्रिया के लिए उस वर्ष 12 अगस्त को डॉक्टर ने मरीज से 30 एग प्राप्त किए गए थे. डीएमसी के सचिव डॉ. गिरीश त्यागी ने कहा, इनमें से 14 एग डॉक्टर ने embryologist से लिए थे और उन्हें महिला की सहमति के बिना दो मरीजों को दे दिया था.

डीएमसी की एक अनुशासनात्मक समिति ने शिकायत की जांच की. इसके बाद, डीएमसी ने पाया कि 'जबतक दाता की कोई लिखित सहमति नहीं होती है तब तक किसी मरीज के एग/ओसाइट्स को साझा करना न केवल अवैध है, बल्कि अनैतिक भी है क्योंकि आईसीएमआर दिशानिर्देशों के अनुसार इस तरह की प्रकृति को साझा करना/दान करना प्रतिबंधित है.'

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एम्स की रिपोर्ट में उजागर हुई गलती

एम्स ने 30 अगस्त, 2017 की अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में डॉक्टर द्वारा की गई खामियों को भी उजागर किया था. डीएमसी से यह भी शिकायत की गई कि डॉक्टर को मूल रूप से प्रजनन जीव विज्ञान विभाग में नियुक्त किया गया था और फिर भर्ती नियमों के खिलाफ स्त्री रोग विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया. एम्स की आंतरिक जांच रिपोर्ट में भी कहा गया था कि डॉक्टर ने गलती की है.

दस्तावेज़ के अनुसार, डॉक्टर ने डीएमसी के समक्ष दावा किया कि चूंकि उसके दोनों मरीज़ों के अतीत में कई असफल आईवीएफ किए गए थे, इसलिए उसने सर्वोत्तम हित में एग्स को साझा किया. डीएमसी ने अपने 19 सितंबर, 2022 के आदेश में कहा, "परिषद निर्देश देती है कि दी गई सजा को बढ़ाया जाए और डॉक्टर का नाम दिल्ली मेडिकल काउंसिल के राज्य चिकित्सा रजिस्टर से 30 दिनों की अवधि के लिए हटा दिया जाए.' इसके बाद डॉक्टर ने 3 अक्टूबर को एनएमसी में अपील की और दिल्ली मेडिकल काउंसिल के आदेश को रद्द करने की मांग की.

एनएमसी ने चेतावनी देकर छोड़ा

डॉक्टर ने डीएमसी को दिए अपने जवाब में कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता का नाम नहीं है. ऐसे गुमनाम शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता है. किसी महिला से सुरक्षित निकाले गए अंडाणु भ्रूण विज्ञानी की देखरेख में सुरक्षित रहता है.

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नेशनल मेडिकल काउंसिल के एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड ने पिछले साल 18 अक्टूबर को एक बैठक की और डीएमसी के आदेश पर रोक लगाते हुए अपील स्वीकार कर ली. बोर्ड की जांच और 24 मई को सुनवाई के बाद, एनएमसी ने डॉक्टर को चेतावनी देकर छोड़ दिया.

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