अहमदाबाद प्लेन क्रैश से कुछ हफ्ते पहले संसदीय समिति ने विमानन सिक्योरिटी फंडिंग पर उठाया था सवाल

ग्लोबल लेवल पर भारत तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार है, इसलिए रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बुनियादी ढांचे और दुर्घटना जांच क्षमताओं के लिए 35 करोड़ रुपये का बजट अपर्याप्त है.

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अहमदाबाद प्लेन क्रैश (तस्वीर: रॉयटर्स) अहमदाबाद प्लेन क्रैश (तस्वीर: रॉयटर्स)

अमित भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST

गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसे (Ahmedabad Plane Crash) के बाद मार्च में पेश की गई संसद समिति की रिपोर्ट की तरफ ध्यान खींचा है. इस रिपोर्ट में दुर्घटना जांच और विमानन सुरक्षा के लिए वित्त पोषण में विसंगतियों के बारे में चेताया गया है. 

भारत ग्लोबल लेवल पर तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार है, इसलिए रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बुनियादी ढांचे और दुर्घटना जांच क्षमताओं के लिए 35 करोड़ रुपये का बजट अपर्याप्त है.

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AAIB, BCAS को अपर्याप्त फंड मिलने का जिक्र 

राज्यसभा में 25 मार्च, 2025 को पेश की गई पर्यटन, परिवहन और संस्कृति पर विभाग-संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट (The Department-related Parliament Standing Committee on Tourism, Transport and Culture's report) में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) को असंगत बजट आवंटन किए जाने का जिक्र किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए डीजीसीए को 30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि एएआईबी और बीसीएएस को केवल 20 करोड़ रुपये और 15 करोड़ रुपये मिले.

जब हादसे का शिकार हुआ एअर इंडिया प्लेन

एएआईबी अहमदाबाद की घटना की जांच कर रहा है, जहां लंदन जाने वाला एअर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एक मेडिकल कॉलेज के परिसर में हादसे का शिकार हो गया और उसमें आग लग गई. फ्लाइट (एआई 171) में सवार 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में से एक को छोड़कर सभी और जमीन पर पांच एमबीबीएस स्टूडेंट्स सहित 29 अन्य लोगों की मौत हो गई.

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समिति ने पाया कि भारत में एयरपोर्ट्स और यात्रियों की तादाद में बढ़ोतरी को देखते हुए AAIB और BCAS को ज्यादा फंड दिए जाने की जरूरत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट अनुमान 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय में प्रमुख विमानन निकायों में निधियों के आवंटन में स्पष्ट असंतुलन है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि डीजीसीए को आवंटित राशि (जो 30 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखती है) कुल बजट का करीब आधा की 'दक्षता और जवाबदेही' सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए. डीजीसीए को विनियामक निरीक्षण का काम सौंपा गया है और यह सुनिश्चित करता है कि एयरलाइन विमानन मानकों का अनुपालन करें.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि विनियामक अनुपालन जरूरी है, लेकिन बुनियादी ढांचे का तेजी से विस्तार 2014 में 74 एयरपोर्ट्स से बढ़कर 2022 में 147 हो जाना और 2024-255 तक 220 एयरपोर्ट्स का टारगेट सुरक्षा क्षमताओं और दुर्घटना जांच संसाधनों में आनुपातिक बढ़ोतरी जरूरी है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "यह आकलन करना जरूरी है कि क्या ये फंड सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने और जांच क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पर्याप्त है. संशोधित उड़ान योजना के तहत जैसे-जैसे विमानन का विस्तार द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों तक हो रहा है, सुरक्षा ढांचे और क्षमताओं को भी आनुपातिक रूप से बढ़ाया जाना चाहिए."

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कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे प्रमुख निकाय

पैनल ने डीजीसीए, बीसीएएस और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) में सीमित कर्मचारियों पर भी गंभीर चिंता जताई.

नागरिक विमानन मंत्रालय की अनुदान मांगों (2025-26) पर 375वीं रिपोर्ट के मुताबिक, डीजीसीए में 53 फीसदी से ज्याद पद खाली हैं, बीसीएएस में 35 फीसदी और एएआई में 17 फीसदी पद खाली हैं, जो एयरपोर्ट के बुनियादी ढांचे को मैनेज करता है.
 

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