सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिखने लगा असर, कांवड़ रूट पर दुकानदारों ने हटाई नेमप्लेट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 'जिस समय मुझे जानकारी मिली थी तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इसे संज्ञान में ले और ऐसी कार्रवाई को रोके. जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है, ये सांप्रदायिक राजनीति का दिया फड़फड़ा रहा है इसलिए ऐसे फैसले ले रहे हैं. सांप्रदायिक राजनीति खत्म होने जा रही है इसका दुख भाजपा को है.'

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SC के आदेश के बाद दुकानदारों ने हटाई नेमप्लेट SC के आदेश के बाद दुकानदारों ने हटाई नेमप्लेट

आशुतोष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

सावन का महीना शुरू हो गया है और इसी के साथ शुरू हो गई है पवित्र कांवड़ यात्रा. गगरियों में गंगाजल लिए श्रद्धालुओं की लाइनें सड़कों पर आज से नजर आने लगेंगी. शिव भक्ति में लीन इन श्रद्धालुओं को लोग 'भोले' कहते हैं. हरिद्वार में आजतक को गंगाजल ले जाते हुए दो श्रद्धालु मिले. इनमें से एक हिंदू और दूसरा मुसलमान है. इनकी भक्ति गंगा-जमुनी तहजीब और सौहार्द का जीता जागता उदाहरण है. दूसरी ओर सावन महीने के पहले दिन नेमप्लेट आदेश पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी तमाम दुकानदारों और ठेलेवालों में खुशी की लहर है.

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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को अनिवार्य रूप से नेमप्लेट लगाने के फैसले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक के बाद दुकानदारों में खुशी की लहर है. दुकानों से अब नेमप्लेट हटने लगी हैं. सर्वोच्च अदालत ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है. इस मामले में अब 26 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.

 सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चर्चा के बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए हम उपरोक्त निर्देशों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ढाबा मालिकों, फल विक्रेताओं, फेरीवालों समेत खाद्य विक्रेताओं को भोजन या सामग्री का प्रकार प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों की पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यूपी, उत्तराखंड की सरकार को नोटिस भी जारी किया है. कोर्ट का कहना था कि यदि याचिकाकर्ता अन्य राज्यों को जोड़ते हैं तो उन राज्यों को भी नोटिस जारी किया जाएगा.

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कांवड़ लेकर जा रहे हर्ष और सलमान

आजतक ने हरिद्वार में कांवड़ ले जाते दो श्रद्धालुओं से नेमप्लेट विवाद पर बात की. इनमें से एक का नाम हर्ष कटारिया और दूसरे का मोहम्मद सलमान है. ये दोनों दिल्ली से आए हैं. सलमान ने बताया कि वह इस जल को शिव मंदिर में चढ़ाएंगे. सलमान के मंदिर जाने पर परिवार या उनके समाज को कोई आपत्ति नहीं है.

हर्ष ने बताया कि वह भी सलमान के साथ मस्जिद जाते हैं. उन्होंने बताया कि उनके दोस्त सलमान ने कांवड़ को लेकर सभी नियम-धर्मों का पालन किया है. नेमप्लेट विवाद पर उन्होंने कहा कि वे खाने-पीने के लिए ढाबों में जाते समय भेदभाव नहीं करते हैं. किसी होटल पर खाने से पहले वे बस यह पूछ लेते हैं कि खाने में लहसुन-प्याज डाला गया है या नहीं. बातचीत में पता चला कि सलमान भी इस वक्त अपने दोस्तों के साथ लहसुन-प्याज नहीं खा रहे हैं.

सरकार पर हमलावर विपक्ष
 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 'जिस समय मुझे जानकारी मिली थी तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इसे संज्ञान में ले और ऐसी कार्रवाई को रोके. जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है, ये सांप्रदायिक राजनीति का दिया फड़फड़ा रहा है इसलिए ऐसे फैसले ले रहे हैं. सांप्रदायिक राजनीति खत्म होने जा रही है इसका दुख भाजपा को है.'

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एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, सभी को मानना पड़ेगा. जो काम हिटलर ने किया था, वही काम आप यहां कर रहे हैं. ये देश धर्म से चलेगा या संविधान से? सरकार किसी एक समुदाय की नहीं, सभी समुदायों की है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पिछले हफ्ते मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों की नेमप्लेट लगाने के निर्देश दिए थे. बाद में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में इस आदेश को लागू कर दिया. उत्तराखंड सरकार ने भी इस संबंध में आदेश जारी किया. योगी सरकार के इस कदम की ना सिर्फ विपक्ष, बल्कि एनडीए के सहयोगी जेडी(यू) और आरएलडी समेत अन्य पार्टियों ने भी आलोचना की. 

विपक्ष ने आरोप लगाया कि ये आदेश सांप्रदायिक और विभाजनकारी है और इसका उद्देश्य मुसलमानों और अनुसूचित जातियों (एससी) को उनकी पहचान बताने के लिए मजबूर करके उन्हें निशाना बनाना है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की सत्ता में मौजूद बीजेपी ने कहा कि यह कदम कानून-व्यवस्था के मुद्दों और तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

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