संसद के दोनों सदनों से पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक के प्रावधानों को लागू करने या उसे कार्यान्वित करने पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज 2 और याचिकाएं दाखिल की गई हैं. एक याचिका दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक और वक्फ में घोटाले और गबन के आरोपी अमानतुल्लाह खान ने दाखिल की है, जबकि दूसरी याचिका एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स नामक संस्था ने दाखिल की है.
इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अलग-अलग याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी.
आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने अपनी अर्जी में वक्फ विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि वक्फ एक्ट-1995 मे जो संशोधन कर नया विधेयक पारित कराया गया है, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए के तहत निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
संवैधानिक ताने-बाने की रक्षा का हवाला दिया
अमानतुल्लाह खान ने अपनी याचिका में देश के धर्मनिरपेक्ष और संवैधानिक ताने-बाने की रक्षा का हवाला देते हुए कोर्ट से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है. याचिका में कहा गया है कि यह संशोधित विधेयक मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को कम तो करता ही है, साथ ही यह मनमाने ढंग से कार्यपालिका को वक्फ के कार्यकारी हस्तक्षेप में सक्षम भी बनाता है. इससे धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों का प्रबंधन करने में अल्पसंख्यकों के अधिकार कमजोर होते हैं.
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की बात कही
वहीं, चौथी याचिका में वक्फ बिल की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स ने कहा कि वक्फ एक्ट-1995 में जो संशोधन कर नया विधेयक बनाया गया है, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए के तहत निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
संजय शर्मा