दिल्ली में अवैध रूप से रह रहीं 6 बांग्लादेशी महिलाएं गिरफ्तार, सभी को जल्द डिपोर्ट करेगी पुलिस 

दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से रह रही छह बांग्लादेशी महिलाओं को गिरफ्तार की है. पुलिस ने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर ये कार्रवाई की थी, जिसमें सबसे पहले एक महिला को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पूछताछ के आधार पर पांच अन्य महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बताया कि जांच के बाद सभी को बांग्लादेश डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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6 बांग्लादेशी महिलाएं गिरफ्तार. सांकेतिक फोटो (Photo Source @Meta AI) 6 बांग्लादेशी महिलाएं गिरफ्तार. सांकेतिक फोटो (Photo Source @Meta AI)

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली ,
  • 04 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

दिल्ली पुलिस ने पूर्वी जिला में अवैध रूप से रह रहे छह बांग्लादेशी महिलाओं को हिरासत में लिया है. पुलिस ने बताया कि बांग्लादेशी महिलाओं के पास से कोई वैध डॉक्यूमेंट नहीं मिला है. इसके बाद FRRO ब्रांच की मदद से इनके निर्वासन की कार्यवाही शुरू कर दी है.

पुलिस रविवार को बताया कि मंडावली थाना पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई करते हुए SHO भूपेश कुमार की टीम ने एक सबसे पहले अवैध रूप से रह रही बांग्लादेशी महिला को पकड़ा था. महिला से पूछताछ के बाद पहाड़गंज इलाके से पांच अन्य महिलाओं को गिरफ्तार किया गया हैं.

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पुलिस ने बताया गिरफ्तार किए गए लोगों में 23 वर्षीय मीम अख्तर, 35 वर्षीय शेख मुन्नी, 25 वर्षीय पालय शेख, 36 वर्षीय सोनिया अख्तर और 34 वर्षीय तानिया खान शामिल है. जांच में इन सभी लोगों को पास भारत में रहने का कोई भी वैध डॉक्यूमेंट नहीं मिला है. 

पुलिस ने बताया कि पकड़ी गई सभी अवैध बंगलादेशी महिलाओं को वापस बंगलादेश डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. FRRO ब्रांच के साथ मिलकर इन सभी को बांग्लादेश डिपोर्ट किया जाएगा.

इमिग्रेशन रैकेट के भंडाफोड़

इससे पहले शनिवार को दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था जो एक दशक से ज्यादा वक्त से अवैध रूप से भारत में अप्रवासियों की एंटी करा रहा था. पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत छह अवैध बांग्लादेशियों और उनके पांच भारतीय साथियों को गिरफ्तार किया है.

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एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह का संचालन 55 वर्षीय चांद मिया करता था, जो कथित तौर पर चार साल की उम्र में भारत में घुस आया था. गिरोह ने पहचान के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट भी बनाए थे, ताकि अवैध अप्रवासी देश में स्थायी रूप से रह सकें और रोजगार प्राप्त कर सकें.

आरोपियों के खिलाफ दो FIR दर्ज

पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्व) रवि कुमार सिंह ने बताया कि चांद मिया द्वारा दी गई सूचना के आधार पर चेन्नई से 33 और अवैध अप्रवासियों को पकड़ा गया. उन्होंने बताया कि स्थानीय पुलिस ने वहां दो FIR दर्ज की हैं.

उन्होंने कहा कि नेटवर्क से कथित रूप से जुड़े 100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिक और एजेंट अब जांच के दायरे में हैं. चांद मियां के अलावा गिरफ्तार किए गए अन्य बांग्लादेशी नागरिक असलम (25), मोहम्मद अली हुसैन (28), मोहम्मद मिजान (25), रैडिश मोल्ला (24) और बांग्लादेशी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. कर रही फातिमा अफ्रोस (32) हैं.

5 भारतीय समेत 11 गिरफ्तार

अधिकारी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए पांच भारतीय साथियों की पहचान मोहम्मद अनीस (41), रंजन कुमार यादव (32), रहीसुद्दीन अली (37), शब्बीर (28) और लोकमन अली (35) के रूप में हुई है. इन पर कथित तौर पर फर्जी आधार कार्ड, जन्म और जाति प्रमाण पत्र समेत अन्य डॉक्यूमेंट तैयार करने का आरोप है.

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डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर 12 मार्च को यहां तैमूर नगर से असलम को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ में पूरे घुसपैठ रैकेट का पर्दाफाश हुआ, जिसका मास्टरमाइंड चांद मियां था जो चेन्नई में रहता था.

उन्होंने कहा कि लोकमान अली, चांद मियां द्वारा सीमा पार लाए गए बांग्लादेशी प्रवासियों को प्राप्त करता था और असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन तक उनके परिवहन की सुविधा प्रदान करता था.

असम की राजधानी से गिरोह अवैध अप्रवासियों को ट्रेन से दिल्ली तक पहुंचाने में मदद करता था, जहां उन्हें आश्रय दिया जाता था और फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके नौकरी दिलाने में मदद की जाती थी. पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनमें से कई ने दिहाड़ी मजदूरी, कूड़ा बीनने और कबाड़ इकट्ठा करने का काम किया.

बॉर्डर पार करना के लेता के 20 से 25 हजार रुपये

पुलिस ने बताया कि चांद मियां अवैध प्रवेश को सुगम बनाने के लिए, मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और मेघालय के रास्ते, 20,000-25,000 रुपये लेता था.

डीसीपी ने बताया, 'मिया अनपढ़ है और चार साल की उम्र में अपने पिता के साथ भारत आया था. शुरू में वह सीमापुरी में एक झुग्गी में रहता था, जहां उसके पिता कूड़ा बीनने का काम करते थे और बाद में तैमूर नगर में रहने चले गए. कुछ साल पहले वह चेन्नई चला गया था.'

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अधिकारी ने कहा, 'वह अक्सर बांग्लादेश जाता है और हर बार अपने साथ अवैध अप्रवासियों को लाता है. मार्च में उसने असलम को भारत में अवैध प्रवेश कराने में मदद की थी.'

छापेमारी के दौरान पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों से बनाए गए 11 आधार कार्ड, बांग्लादेशी पहचान पत्र, चार हार्ड ड्राइव, एक लैपटॉप, एक प्रिंटर, एक बायोमेट्रिक स्कैनर और 19,170 रुपये नकद जब्त किए.

अनीस तैमूर नगर में एक साइबर कैफे चलाता था और कथित तौर पर फर्जी आधार कार्ड तैयार करता था, जबकि रंजन कुमार यादव पूर्व आधार नामांकन ऑपरेटर है.

पुलिस ने बताया कि रहीसुद्दीन अली एक दस्तावेज सेवा केंद्र चलाता था, जबकि शब्बीर और लोकमान अली लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान करते थे और दस्तावेज तैयार करने में मदद करते थे.

पुलिस ने बताया कि पहले हिरासत में लिए गए 18 बांग्लादेशियों को पहले ही निर्वासित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान करने तथा इसके अखिल भारतीय संबंधों की जांच करने के प्रयास जारी हैं.

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