मुंबई: वक्फ बिल पर JPC की बैठक में हंगामा, विपक्षी दलों ने दी बहिष्कार की चेतावनी

बैठक में गुलशन फाउंडेशन की ओर से समिति के समक्ष अपना वक्तव्य रख रहे थे, तभी कल्याण बनर्जी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. गुलशन फाउंडेशन वक्फ बिल का समर्थन कर रहा था. वहीं, नरेश म्हस्के ने कल्याण बनर्जी को रोकने की कोशिश की. इसके बाद दोनों के बीच तीखी बहस हो गई.

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वक्फ बिल पर जेपीसी लगातार बैठकें कर रही है (फाइल फोटो) वक्फ बिल पर जेपीसी लगातार बैठकें कर रही है (फाइल फोटो)

ऋत्विक भालेकर

  • मुंबई,
  • 26 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST

मुंबई में वक्फ बिल पर गुरुवार को संसदीय संयुक्त समिति की बैठक हुई. इस दौरान मीटिंग में जमकर हंगामा हुआ और विपक्षी दलों ने बैठक का बहिष्कार किया. हालांकि कुछ समय बाद फिर से बैठक शुरू हो सकी. दरअसल, शिवसेना के सांसद नरेश म्हस्के और टीएमसी के कल्याण बनर्जी मीटिंग के दौरान आपस में भिड़ गए. बैठक में गुलशन फाउंडेशन की ओर से समिति के समक्ष अपना वक्तव्य रख रहे थे, तभी कल्याण बनर्जी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. 

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गुलशन फाउंडेशन वक्फ बिल का समर्थन कर रहा था. वहीं, नरेश म्हस्के ने कल्याण बनर्जी को रोकने की कोशिश की. इसके बाद दोनों के बीच तीखी बहस हो गई. माहौल गरमाने पर अध्यक्ष ने भी हस्तक्षेप किया. अंततः विपक्षी दलों के सभी प्रतिनिधियों ने उन्हें बैठक से बाहर निकालने का निर्णय लिया. हालांकि कुछ देर बाद आपसी बातचीत के बाद एक बार फिर JPC की स्टेक होल्डर के साथ बैठक शुरू हुई.

वक्फ एक्ट क्या है?

वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमन के लिए बनाया गया कानून है. इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इन संपत्तियों का उपयोग हो सके. वक्फ चूंकि अरबी शब्द है जिसका अर्थ है 'रोकना' या 'समर्पण करना'. इस्लाम में वक्फ संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में समर्पित की जाती है, जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों, गरीबों की मदद, शिक्षा आदि के लिए किया जाता है. वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है. यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है.

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वक्फ एक्ट के तहत सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है. यह पंजीकरण संबंधित राज्य वक्फ बोर्ड में किया जाता है. वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों की देखरेख, मरम्मत और विकास की जिम्मेदारी दी गई है. बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए हो रहा है. वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्तियों का निरीक्षण करने और उन पर नियंत्रण रखने का अधिकार है. यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों के प्रबंधकों (मुतवल्ली) की नियुक्ति और उनके कार्यों की समीक्षा भी करता है. वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों के निपटान के लिए एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया है. यह न्यायालय वक्फ संपत्तियों से संबंधित सभी विवादों का निपटान करता है.

मोदी सरकार का क्या प्लान है?

शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी. मोदी सरकार कैबिनेट में वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को "वक्फ संपत्ति" बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है. वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा. संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में बड़ा बदलाव आएगा. सूत्रों का कहना है कि कानून में संशोधन की वजहों का भी जिक्र किया है. इसमें जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है.

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