'अगर आदेश को चुनौती नहीं दी है तो कमेंट न करें', पुणे कोर्ट ने राहुल गांधी को दिया निर्देश

पुणे की मजिस्ट्रेट अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निर्देश दिया है कि वे अपनी अर्जी में किसी भी कोर्ट ऑर्डर पर टिप्पणी न करें, जिसे उन्होंने चुनौती नहीं दी है. यह आदेश विनायक दामोदर सावरकर के परपोते सत्यकी सावरकर की मानहानि शिकायत से जुड़ा है.

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अदालत ने कहा कि यदि आदेश पर आपत्ति है तो उचित अदालत में चुनौती दी जानी चाहिए. (File Photo: ITG) अदालत ने कहा कि यदि आदेश पर आपत्ति है तो उचित अदालत में चुनौती दी जानी चाहिए. (File Photo: ITG)

विद्या

  • मुंबई,
  • 03 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST

पुणे की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निर्देश दिया है कि वे अदालत में दाखिल अपनी अर्जी में किसी भी कोर्ट ऑर्डर पर कोई टिप्पणी न करें. अदालत ने पाया कि राहुल गांधी ने अपने वकील मिलिंद पवार के जरिए अर्जी में कुछ टिप्पणियां की थीं, लेकिन उन्होंने उस आदेश को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी थी.

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कोर्ट ने क्या कहा?

मजिस्ट्रेट अमोल शिंदे ने कहा, 'अगर आरोपी (राहुल गांधी) को समन जारी करने के आदेश से कोई शिकायत है, तो उसे उचित अदालत में चुनौती देनी चाहिए. लेकिन वह उस आदेश पर टिप्पणी नहीं कर सकता, जिसे उसने चुनौती नहीं दी है. या तो उसे आदेश स्वीकार करना होगा या फिर उचित अदालत में उसे चुनौती देनी होगी. इसलिए यह अदालत निर्देश देती है कि आरोपी किसी ऐसे आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा जो फाइनल हो चुका है या जिसे चुनौती नहीं दी गई है.'

कोर्ट में खाली पाई गई सीडी

दरअसल विनायक दामोदर सावरकर के परपोते सत्यकी सावरकर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक मानहानि शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत ने सावरकर पर दिए गए राहुल गांधी के कथित मानहानिकारक भाषण का वीडियो देखने के बाद उन्हें समन जारी किया था. हाल ही में जब अदालत में सत्यकी सावरकर का एग्जामिनेशन चल रहा था, तब सीलबंद सीडी से राहुल गांधी के भाषण का वीडियो चलाने की तैयारी की गई, लेकिन सीडी खाली पाई गई. 

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इसके बाद सावरकर के वकील संग्राम कोल्हटकर ने सुनवाई स्थगित करने की मांग की और कहा कि पहले जिस सीडी में गांधी के भाषण का वीडियो था, जो समन जारी करने से पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने देखा था, वह अचानक खाली कैसे हो गई, इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए. वहीं राहुल गांधी की ओर से उनके वकील मिलिंद पवार ने स्थगन की मांग का विरोध किया और अपने जवाब में कुछ टिप्पणियां कीं, जो कोल्हटकर को स्वीकार नहीं हुईं. 

अर्जी के दो पैराग्राफ को लेकर मांगा स्पष्टीकरण

कोल्हटकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता अदालत पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इसके बाद उन्होंने 27 नवंबर को दाखिल गांधी की अर्जी के दो पैराग्राफ को लेकर स्पष्टीकरण मांगने के लिए एक अलग आवेदन दायर किया. संग्राम कोल्हटकर ने कहा कि आरोपी की ओर से दायर अर्जी के दो पैराग्राफ में की गई दलीलें गंभीर प्रकृति की हैं और यह शिकायतकर्ता के आचरण पर कीचड़ उछालने जैसा है. 

उन्होंने कहा, 'इससे निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली के कामकाज पर भी संदेह पैदा होता है. पैराग्राफ 11 में यह कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने इस अदालत के सामने बिना किसी ठोस सबूत के आरोपी के खिलाफ समन जारी कराने का आदेश हासिल कर लिया.' कोल्हटकर ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया. उन्होंने आगे कहा, 'आरोपी ने अदालत के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इस अदालत के पूर्ववर्ती न्यायाधीश ने सभी सबूतों का विश्लेषण करने के बाद आरोपी के खिलाफ प्रक्रिया जारी की थी.'

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