यह कहानी पुणे में रहने वाले एक परिवार की है. निजी फर्म में कार्यरत पति-पत्नी की जिंदगी अपने घर, नौकरी और दो प्यारी बेटियों के साथ गुजर रही थी. इनकी दो बच्चियों की बीमारी ने माता-पिता को झकझोर कर रख दिया. एक बेटी को एलोपेशिया (सिर के बाल झड़ना) और दूसरी को भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या थी. इलाज, डॉक्टर, दवाइयां सब कुछ आजमाया जा चुका था, लेकिन राहत नहीं मिली. यहीं से शुरू होती है एक ऐसी कहानी जो अंधविश्वास, भरोसे और दहला देने वाली ठगी तक जा पहुंचती है.
जानकारी के अनुसार, एक दिन एक पड़ोसी के माध्यम से इस कपल की मुलाकात होती है वेदिका कुणाल पंढरपुरकर से. वेदिका अपने आपको साधारण महिला नहीं, बल्कि यह कहती थी कि उनके शरीर में समय-समय पर पुण्यात्मा का प्रवेश होता है. वह बड़े शांत स्वर में कहती थी- बाबा खुद आए हैं तुम्हारे घर की बच्चियों को ठीक करने… लेकिन इसके लिए पूर्ण त्याग और दान जरूरी है.
दंपति, जिनकी दुनिया बस अपनी बेटियों की खुशी थी, एक उम्मीद की किरण देख लेते हैं. वेदिका की आंखें बंद होतीं, वह कांपती, बदली हुई आवाज में बोलती- बेटियों की बीमारी जल्द खत्म होगी… लेकिन तुम्हें घर में नारियल, सुपारी, काले पत्थर रखने होंगे और महादान देना होगा.
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धीरे-धीरे वेदिका उसके पति कुणाल और उनके साथी दीपक खडके ने इस कपल को विश्वास के ऐसे जाल में फंसाया कि वे अपनी पूरी जिंदगी की कमाई दान करने लगे. सबसे पहले बेचा गया छोटा घर. फिर खेत, जमीन, और विदेश में मौजूद उनकी प्रॉपर्टी. बेटियों को ठीक करने की 'मन्नत' में उन्होंने सोना गिरवीं रखा, बैंक से कर्ज लिया और खाते से करोड़ों रुपये ट्रांसफर करते गए.
तीन साल में 14 करोड़ रुपये तक पहुंची रकम
हर बार जब कपल चिंतित होते, तो वेदिका महाराज की आवाज में समझाती - इतनी बड़ी बीमारी उतने बड़े त्याग से ही मिटेगी. बाबा सब देख रहे हैं… देर हो रही है, जल्दी करो. समय बीतता गया, लेकिन बच्चियों की हालत में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ. वहीं, वेदिका का रहन-सहन बदलने लगा. एक दिन बच्चियों के पिता ने साहस करके पूछा कि इलाज कब पूरा होगा? वेदिका ने कहा कि आस्था कम पड़ रही है… इसलिए चमत्कार भी रुक रहा है. इसके बाद संदेह शुरू हुआ.
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आखिरकार, बच्चियों के माता-पिता ने हिम्मत जुटाकर पूरा ब्योरा और सबूतों के साथ पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि किस तरह वेदिका और उसके साथियों ने उन्हें चमत्कार के नाम पर मानसिक रूप से कंट्रोल कर पूरी संपत्ति हड़प ली. अब पुलिस में औपचारिक FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस मामले में तीनों आरोपी वेदिका, उसका पति कुणाल और दीपक खडके जांच के दायरे में हैं.
सवाल सिर्फ रकम का नहीं, भरोसे के टूटने का भी है. यह कहानी 14 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ यह भी सवाल करती है कि क्या अंधविश्वास इतना शक्तिशाली है कि इंसान अपनी वास्तविकता से दूर हो जाए? या फिर यह दर्द किसी भी माता-पिता के दिल का है, जो अपनी संतानों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. फिलहाल पुलिस शिकायत के आधार पर जांच में जुटी है और ठगी की पूरी कहानी की पड़ताल कर रही है.
ओमकार