बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोविंद पंसारे हत्या मामले में मुख्य आरोपी डॉ. विरेंद्रसिंह तावड़े की जमानत रद्द करने वाले कोल्हापुर सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया. बेंच ने कहा कि सत्र न्यायाधीश द्वारा स्वयं अपने आदेश की समीक्षा करना कानूनी रूप से अनुमेय नहीं है.
तावड़े को फरवरी 2018 में कोल्हापुर कोर्ट द्वारा जमानत दी गई थी. इसके बाद राज्य ने हाईकोर्ट में जमानत रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने अभियोजन को अनुमति दी कि वे जमानत रद्द करने के लिए नई याचिका को अतिरिक्त सत्र न्यायालय, कोल्हापुर में दायर कर सकें.
गोविंद पंसारे हत्या मामला
अभियोजन ने जुलाई 2018 में जमानत रद्द करने के लिए याचिका दी. इसमें एक गवाह के बयान को आधार बताया गया, जो सितंबर 2018 में दर्ज किया गया. गवाह ने तावड़े की साजिशकर्ता के रूप में भूमिका बताई. वकीलों ने कहा कि अन्य गवाहों ने भी वही बात कही थी और तावड़े को पहले ही जमानत दी जा चुकी थी.
डॉ. विरेंद्रसिंह तावड़े की जमानत रद्द
हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत केवल चार कारणों से रद्द की जा सकती है. आरोपी ने जमानत का दुरुपयोग किया हो, जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया हो, कोर्ट को जानकारी के अभाव में जमानत दी गई हो, या जमानत धोखे या गलत जानकारी से प्राप्त की गई हो. तावड़े के मामले में कोई कारण सामने नहीं आया.
कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाह का बयान केवल तीन साल बाद दर्ज हुआ और इसमें नए तथ्य या परिस्थितियों में बदलाव नहीं दिखा. साथ ही अन्य आरोपियों को भी समान भूमिका में जमानत मिली है. हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत रद्द करने का कोई आधार नहीं है और तावड़े की जमानत कायम रखी जानी चाहिए.
विद्या