घोटाले से प्रभावित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के डिपॉजिटर्स ने सोमवार को महाराष्ट्र के ठाणे शहर में विरोध प्रदर्शन किया और संस्था के पुनरुद्धार या मर्जर पर तत्काल कार्रवाई की मांग की. फाउंडेशन ने डिपॉजिटर्स का विश्वास बहाल करने और आरबीआई की ओर से 13 फरवरी को प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से हजारों खाताधारकों के सामने आ रहे वित्तीय तनाव को कम करने के लिए तत्काल उपाय करने की मांग की है.
मुंबई पुलिस ने अब तक 122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक गबन मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. एक प्रतिनिधिमंडल ने शाखा प्रबंधक से मुलाकात की और बैंक के भविष्य के बारे में अपनी आशंकाओं को रेखांकित करते हुए एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा.
निकासी सीमा 1.5 लाख तक बढ़ाने की मांग
ज्ञापन में जोर दिया गया कि आरबीआई की ओर से नियुक्त सलाहकारों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पहले की बैठकों के बावजूद, बैंक की संभावनाओं के बारे में 'काफी अस्पष्टता' है. जमाकर्ताओं ने अपनी जमाराशियों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम के तहत बीमित 5 लाख रुपये से अधिक की राशि और बैंक के पुनरुद्धार या एक स्थिर वित्तीय संस्थान के साथ इसके विलय के लिए विशिष्ट समयसीमा की मांग की.
ज्ञापन में जमाकर्ताओं ने निकासी सीमा को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये करने, बीमित सीमा से परे सावधि जमाओं का पूरा पुनर्भुगतान, फोरेंसिक और विशेष ऑडिट पर अपडेट, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के प्रभाव का आकलन और धोखेबाजों से जुड़ी कुर्क की गई संपत्तियों से धन की जल्द वसूली की मांग की है.
जमाकर्ताओं ने दी चेतावनी
जमाकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर अधिकारी कार्रवाई में देरी करते रहे तो वे अपना आंदोलन तेज कर देंगे. उन्होंने बैंक प्रबंधन से आग्रह किया कि वे उनकी चिंताओं को तुरंत एनआईसीबी प्रशासक को भेजें और तत्काल राहत के लिए आरबीआई से हस्तक्षेप करें.
ज्ञापन में यह भी अपील की गई है कि बैंक को आरबीआई से अनुरोध करना चाहिए कि वह प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा करे और 14 मई को डीआईसीजीसी की ओर से बीमा राशि वितरित करने से पहले पुनरुद्धार या विलय योजना शुरू करे.
दीपेश त्रिपाठी