महाराष्ट्र साइबर विभाग ने मुंबई में सामने आए 58 करोड़ रुपये की डिजिटल अरेस्ट ठगी के मामले में जांच के दौरान एक अंतरराष्ट्रीय साइबर नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसके तार चीन, हांगकांग और इंडोनेशिया तक जुड़े पाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह अब तक के सबसे बड़े डिजिटल फ्रॉड में से एक है, जो भारत सहित कई देशों में एक्टिव है.
एजेंसी के अनुसार, मामला मुंबई के एक उद्योगपति से जुड़ा है, जिनसे साइबर ठगों ने 19 अगस्त से 8 अक्टूबर 2024 के बीच कुल 58 करोड़ रुपये की ठगी की. ठगों ने खुद को सीबीआई और ईडी (Enforcement Directorate) के अधिकारी बताकर पीड़ित को डराया और डिजिटल अरेस्ट में फंसा लिया.
पीड़ित व्यापारी को एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया. उसने व्यापारी पर किसी गंभीर मामले में शामिल होने का झांसा दिया और उसे वीडियो कॉल पर पूछताछ के बहाने जोड़े रखा. कई घंटों तक चली इस बातचीत के दौरान ठगों ने व्यापारी से सिलसिलेवार तरीके से उसकी बैंकिंग जानकारी हासिल की और उसे डराकर अलग-अलग खातों में रकम ट्रांसफर करने को मजबूर किया. कुल 58 करोड़ रुपये धीरे-धीरे उसके खातों से निकाल लिए गए.
क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेश भेजे गए पैसे
जांच में खुलासा हुआ कि पूरी ठगी का नेटवर्क क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन के जरिए संचालित था. ठगों ने चोरी की गई रकम को पहले कमीशन-आधारित बैंक खातों में भेजा और फिर क्रिप्टो वॉलेट्स के माध्यम से विदेशों खासकर चीन, हांगकांग और इंडोनेशिया में ट्रांसफर कर दिया. महाराष्ट्र साइबर सेल के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि यह एक संगठित इंटरनेशनल गैंग है, जो भारत में फर्जी सरकारी एजेंसी बनकर लोगों से ठगी करता है.
जांच में यह भी सामने आया है कि यह घटना किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है. पिछले एक साल से यह नेटवर्क भारत के कई शहरों में सक्रिय है और अब तक 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की आशंका जताई जा रही है. यह गिरोह मुख्य रूप से डिजिटल अरेस्ट की तकनीक अपनाता है, यानी फोन या वीडियो कॉल पर खुद को सरकारी अधिकारी बताकर डराना, पूछताछ के नाम पर मानसिक दबाव डालना और अंत में पैसों को लेकर उगलवाना.
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर अपराध का एक नया और खतरनाक तरीका है. इसमें ठग पीड़ितों को इस झूठे जाल में फंसा लेते हैं कि उन पर कोई कानूनी कार्रवाई चल रही है. वे उन्हें ऑनलाइन हिरासत में रखते हैं, यानी वीडियो कॉल पर लगातार निगरानी करते हुए धमकाते हैं और पैसों की मांग करते हैं, ताकि मामला सुलझाया जा सके.
महाराष्ट्र साइबर, जो राज्य की नोडल एजेंसी है, उसने अब इस नेटवर्क को ट्रैक करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम यूनिट्स से संपर्क साधा है. जांचकर्ता विभिन्न क्रिप्टो वॉलेट्स और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शनों की डिजिटल ट्रेल खंगाल रहे हैं. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति यदि किसी कॉलर द्वारा सरकारी अधिकारी बनकर धमकाया जाए या वीडियो कॉल पर पूछताछ की जाए, तो तुरंत कॉल काटकर नजदीकी साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराए.
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