मुंबई पुलिस ने साइबर अपराधों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए पिछले 19 महीनों में 11,000 से ज्यादा मोबाइल नंबरों को ब्लॉक किया है, जिनका इस्तेमाल ठगों ने शहरवासियों को धोखा देने के लिए किया था. अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई साइबर ठगी पर लगाम लगाने और आम लोगों की मेहनत की कमाई को बचाने के लिए बेहद अहम है.
300 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बचाई गई
मुंबई पुलिस की साइबर विंग के मुताबिक, मई 2022 में ‘1930’ हेल्पलाइन शुरू होने के बाद से अब तक साइबर अपराध पीड़ितों के 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बचाई जा चुकी है. यह हेल्पलाइन उन लोगों के लिए बेहद मददगार साबित हुई है, जिन्हें धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया था.
13.19 लाख से ज्यादा कॉल मिलीं
पुलिस के अनुसार, मई 2022 से अब तक साइबर विंग को 13.19 लाख से ज्यादा कॉल मिलीं. इनमें से 1.31 लाख मामलों में शिकायत दर्ज की गई. शिकायतों में शेयर ट्रेडिंग-इन्वेस्टमेंट फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन टास्क फ्रॉड, ऑनलाइन शॉपिंग धोखाधड़ी, लोन फ्रॉड और जॉब फ्रॉड जैसे मामले शामिल थे.
नकली दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड लिए
इन ज्यादातर मामलों में अपराधियों ने नकली दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड लिए थे या फिर किसी असली यूजर से खरीदकर उनका दुरुपयोग किया था. पुलिस ने जांच के बाद अब तक 11,063 ऐसे मोबाइल नंबरों को ब्लॉक कर दिया है, ताकि अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ा जा सके और आगे लोगों को ठगने से रोका जा सके.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि साइबर अपराधियों की यह नई चालें लोगों को आसानी से फंसा रही हैं. ठग सोशल मीडिया, ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म और फर्जी ऐप्स के जरिए लोगों को लुभाते हैं और फिर उनकी निजी जानकारी व पैसे ठग लेते हैं.
मुंबई पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, संदिग्ध कॉल या मैसेज को गंभीरता से लें और तुरंत ‘1930’ हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं. साथ ही, अगर किसी भी तरह का वित्तीय लेन-देन संदिग्ध लगे तो बैंक और पुलिस को तुरंत सूचित करें.
पुलिस का दावा है कि अब तक की कार्रवाई से साइबर अपराध पर काफी हद तक लगाम लगी है. लेकिन जब तक लोग खुद सतर्क नहीं होंगे, तब तक ठग नए-नए तरीकों से उन्हें शिकार बनाने की कोशिश करते रहेंगे.
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