हलाल मीट पर फिर शुरू बवाल, मनसे नेता ने कहा- केवल धार्मिक नहीं, टेरर फंडिंग से भी जुड़े तार

मनसे नेता किल्लेदार ने कहा कि अगर 15 फीसदी मुसलमानों के लिये हलाल व्यवस्था की जा रही है तो दूसरे धर्म उसे क्यों स्वीकार करें? अरब देशों में हलाल मीट की डिमांड है, इसलिए हलाल किया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि हलाल से हुई कमाई के पैसों का इस्तेमाल चरमपंथ के मामलों के आरोपियों के केस लड़ने के लिए किया जाता है.

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पारस दामा

  • मुंबई,
  • 27 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

महाराष्ट्र में एक बार फिर हलाल और झटका मांस का मुद्दा उठा है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की ओर से हलाल मीट का विरोध किया गया है. साथ ही इसके तार टेरर फंडिंग से जोड़े हैं. मनसे का कहना है कि इसके चलते हिंदुओं की आजीविका और राजस्व पर भारी असर पड़ा है. एमएनएस नेता यशवंत किल्लेदार ने कहा कि हलाल और झटका मांस के तरीका सिर्फ धार्मिक मुद्दा ही नहीं है. 

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किल्लेदार ने कहा कि अगर 15 फीसदी मुसलमानों के लिये हलाल व्यवस्था की जा रही है तो दूसरे धर्म उसे क्यों स्वीकार करें? अरब देशों में हलाल मीट की डिमांड है, इसलिए हलाल किया जाता है. किल्लेदार ने आरोप लगाया कि इन पैसों का इस्तेमाल चरमपंथ के मामलों के आरोपियों के केस लड़ने के लिए किया जाता है. "नो टू हलाल" की जागरूकता के लिए एक आंदोलन खड़ा किया जाएगा. 

हलाल से भारतीय इकॉनोमी को नुकसान 

मनसे नेता ने कहा कि हलाल एक क्रूर तरीका है, जोकि इस्लामिक है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. हलाल के जरिए मिले पैसे का इस्तेमाल आतंकी संगठनों के लिए किया जाता है. हिंदू, सिख, ईसाई झटका तरीके से कटा हुआ मीट खाते हैं. कच्चे मीट के लिए हलाल इस्तेमाल किए जाने वाले सर्टिफिकेशन अब मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, अन्य फास्ट फूड, कॉस्मेटिक्स, आयुर्वेदिक मेडिसिन, हॉस्पिटल और अन्य कंपनी ले रही हैं. एक तरह से इस्लामिक अर्थव्यवस्था भारत में बन रही है. हलाल की वजह से हिंदू खटीक वाल्मीकि समाज को रोजी रोटी नहीं मिल रही है. 

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कंपनियों को पत्र लिखेगी मनसे 

मनसे नेता ने कहा कि मुसलमान अगर हलाल मीट चाहते हैं तो उन्हें रखना चाहिए, लेकिन दूसरों पर थोपना नहीं चाहिए. हम भविष्य में वहां मौजूद कंपनियों को सूचित करने के लिए पत्र जारी करेंगे और झटका मीट भी उन्हे रखने के लिये कहेंगे. झटका मीट और हलाल मीट के 2 अलग-अलग काउंटर उन कंपनियों के रखने होंगे, ताकि जिस तरह का मीट चाहें तो मिल जाए. अगर कंपनियों ने हमारी मांग नहीं मानी तो मनसे अपने तरीके से आंदोलन करेगी.  

 

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