फैमिली से बिछड़ गया था शख्स... पुलिस और एनजीओ की मदद से परिवार से मिला तो खुशी से भर आईं आंखें

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में लापता मिला झारखंड का एक 32 वर्षीय मानसिक रूप से बीमार युवक आखिरकार अपने परिवार से मिल गया। ‘जीवन आनंद संस्था’ नामक एनजीओ की मदद से प्रेमचंद गुढ़िया नामक युवक को उपचार और सहारा देने के बाद सुरक्षित रूप से उसके गांव बिरवाडीह, झारखंड भेजा गया.

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लोगों ने शख्स को भटकते देखा तो पुलिस को दी खबर. (Photo: Representational) लोगों ने शख्स को भटकते देखा तो पुलिस को दी खबर. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • ठाणे,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

कहते हैं इंसानियत से बढ़कर कोई सेवा नहीं होती और इसका उदाहरण हाल ही में महाराष्ट्र से सामने आया है. झारखंड का रहने वाला 32 साल का शख्स मानसिक रूप से बीमार था. वह अपने परिवार से बिछड़ गया था. अब वह एक NGO की मदद से अपने परिजनों तक पहुंच गया है.

एजेंसी के मुताबिक, झारखंड के बिरवाडीह गांव का रहने वाला प्रेमचंद गुढ़िया अपने दोस्तों के साथ काम की तलाश में गोवा जा रहा था. लेकिन सफर के दौरान वह अपने साथियों से बिछड़ गया और महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में पहुंच गया. मानसिक रूप से अस्वस्थ हालत में प्रेमचंद को नेरुर बीच के पास लोगों ने भटकते देखा.

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स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जानकारी मिलने पर कुडाल पुलिस ने 11 सितंबर को प्रेमचंद को सुरक्षा के तौर पर सैनविता आश्रम में भर्ती कराया. यहां आश्रम के लोग प्रेमचंद की देखभाल करने लगे. जीवन आनंद संस्था के अध्यक्ष संदीप परब ने बताया कि संगठन के सदस्यों ने प्रेमचंद की मदद की.

यह भी पढ़ें: 'राम-सीता' के टैटू से 15 साल बाद हुई पहचान... अहमदाबाद पुलिस ने ऐसे मूक-बधिर युवक को परिवार से मिलवाया

प्रेमचंद की हालत को देखते हुए न सिर्फ उनका इलाज कराया गया, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारा भी दिया गया. इस बीच संस्था ने इंटरनेट पर सर्च कर उनके गांव की जानकारी जुटाई. गूगल के जरिए गांव का पता लगाने के बाद स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया गया और फिर उनके परिवार वालों से बात हुई.

लगातार प्रयासों के बाद आखिरकार प्रेमचंद गुढ़िया को उनके परिजनों से मिलवाया गया. लंबे समय बाद बेटे को देखकर परिवार वालों की आंखें खुशी से भर आईं. NGO के लोगों का कहना है कि यह केवल एक इंसान को उसके परिवार से मिलवाने की कहानी नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश है. बेसहारा और लापता लोगों को उनके घर-परिवार से मिलवाने के लिए हम सबको मददगार बने रहना चाहिए.

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