महाराष्ट्र के चंद्रपुर से सामने आई यह कहानी बेहद हैरान कर देने वाली है. यह उस सिस्टम की सच्चाई है, जिसने कर्ज में डूबे एक अन्नदाता को अपनी किडनी बेचने पर मजबूर कर दिया. यह मामला जितना सनसनीखेज है, उतना ही दिल दहला देने वाला भी. साहूकारों के कर्ज के बोझ तले दबे किसान ने पहले अपनी जमीन बेची, फिर ट्रैक्टर, घर का सामान और आखिर में अपना शरीर तक दांव पर लगा दिया.
यह मामला चंद्रपुर की नागभीड़ तहसील के मिन्थुर गांव का है. यहां रहने वाले किसान रोशन सदाशिव कुडे का कहना है कि साहूकारों के कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उसे अपनी किडनी बेचनी पड़ी. रोशन के आरोप सामने आने के बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए छह साहूकारों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिनमें से पांच को गिरफ्तार कर लिया गया है.
चार एकड़ जमीन, डेयरी फार्मिंग और कर्ज की शुरुआत
रोशन कुडे के पास नागभीड़ तहसील में चार एकड़ कृषि भूमि है. इसी जमीन से उसका और उसके परिवार का गुजारा चलता था. लेकिन प्राकृतिक आपदाओं, खराब फसल और बढ़ती लागत ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया. हालात सुधारने के लिए रोशन ने डेयरी फार्मिंग शुरू करने का फैसला किया और इसके लिए दो साहूकारों से 50-50 हजार रुपये का कर्ज लिया.
लेकिन किस्मत ने यहां भी उसका साथ नहीं दिया. खरीदी गई गायों की मौत हो गई, फसल भी नहीं हुई और कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया. समय पर पैसा न चुका पाने पर साहूकारों ने ब्याज पर ब्याज जोड़ना शुरू कर दिया.
एक लाख का कर्ज कैसे बन गया 74 लाख
पीड़ित किसान के मुताबिक, साहूकारों ने कर्ज न चुकाने पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये जुर्माना लगाने की धमकी दी. देखते ही देखते एक लाख रुपये का कर्ज बढ़कर 74 लाख रुपये तक पहुंच गया. साहूकार लगातार उसके घर आने लगे, मानसिक दबाव बनाने लगे और अपमानित करने लगे.
कर्ज चुकाने के लिए रोशन ने पहले दो एकड़ जमीन बेच दी, फिर ट्रैक्टर और घर का सामान भी बेच दिया. इसके बावजूद कर्ज कम नहीं हुआ. साहूकारों का दबाव और बढ़ता गया.
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रोशन का आरोप है कि एक साहूकार ने उसे कर्ज चुकाने के लिए अपनी किडनी बेचने की सलाह दी. इसके बाद एक एजेंट के जरिए उसे कोलकाता ले जाया गया, जहां उसकी मेडिकल जांच कराई गई. जांच के बाद उसे कंबोडिया भेजा गया, जहां सर्जरी कर उसकी किडनी निकाल ली गई.
रोशन ने बताया कि उसने अपनी किडनी आठ लाख रुपये में बेची, लेकिन यह रकम भी साहूकारों के कर्ज में ही चली गई. सर्जरी के बाद उसकी हालत बेहद खराब हो गई और अब वह गंभीर आर्थिक व शारीरिक संकट से जूझ रहा है.
पुलिस की कार्रवाई... साहूकारों पर केस
किसान के आरोपों के बाद चंद्रपुर पुलिस हरकत में आई. ब्रह्मपुरी पुलिस स्टेशन में छह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. आरोपियों में किशोर बावनकुले, मनीष घाटबंधे, लक्ष्मण उरकुडे, प्रदीप बावनकुले, संजय बल्लारपुरे और सत्यवान बोरकर शामिल हैं. इनमें से पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
एसपी सुदर्शन मुमक्का ने क्या कहा?
चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुमक्का ने बताया कि रोशन कुडे ने शिकायत में कहा था कि उसने ब्याज पर पैसे लिए थे और बाद में अत्यधिक ब्याज वसूला गया, जिसकी वजह से उसे किडनी बेचनी पड़ी. जांच के दौरान बैंक ट्रांजेक्शन में लगातार लेन-देन के सबूत मिले हैं.
एसपी ने कहा कि फिलहाल साहूकारी को लेकर केस दर्ज किया गया है. किडनी बेचने से जुड़े आरोपों की अलग से जांच की जा रही है. मेडिकल रिपोर्ट, विदेश यात्रा, एजेंट की भूमिका और सर्जरी से जुड़े सभी पहलुओं की गहराई से जांच के बाद ही इस मामले में अलग केस दर्ज किया जाएगा.
चंद्रपुर के एसपी सुदर्शन मुम्मका ने कहा कि हमने किसान से कोलकाता में डॉक्टर का विवरण और उस जगह सहित सभी जानकारी मांगी है, जहां उसका मेडिकल हुआ था. हमने उसके पैसों के लेनदेन की जांच की और पाया कि उसने कुछ साहूकारों से पैसे उधार लिए थे.
2021 से चला आ रहा है कर्ज का जाल
पुलिस के मुताबिक, किसान ने अप्रैल 2021 में इलाज के लिए कर्ज लिया था और अब तक करीब 50 लाख रुपये भुगतान कर चुका है. इसके बावजूद साहूकारों का दावा था कि उस पर अभी भी भारी रकम बाकी है. अक्टूबर 2024 में किडनी बेचे जाने की बात सामने आई है.
एक किसान की नहीं, पूरे सिस्टम की कहानी
यह मामला सिर्फ एक किसान की मजबूरी नहीं, बल्कि ग्रामीण साहूकारी, प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक असंवेदनशीलता की भयावह तस्वीर है. सवाल यह है कि क्या एक किसान को कर्ज चुकाने के लिए अपना अंग तक बेचना पड़े, और सिस्टम तब जागे? फिलहाल पुलिस की जांच जारी है. पुलिस जांच के बाद ही यह साफ होगा कि इस पूरे नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल था. लेकिन तब तक रोशन कुडे की यह कहानी हर किसी को सन्न कर देने के लिए काफी है.
विकास राजूरकर