महाराष्ट्र के मणिबेली, धनखेडी, चिमलखेड़ी, सिंदूरी, मुखडी, गमन, धनेल सहित कई गांवों की स्थिति इतनी खराब है कि उन्हें खाने का हर सामान लेने के लिए गुजरात जाना पड़ता है. दरअसल सरदार सरोवर नर्मदा बांध बनने के बाद नर्मदा डैम का जलस्तर कई बार इतना बढ़ जाता है कि आसपास के इलाके पानी में डूब जाते हैं. जिसकी वजह से गुजरात और महाराष्ट्र के कई गांवों का विस्थापन हो गया. लेकिन अभी भी नंदुरबार जिले के मणिबेली, धनखेडी, चिमलखेड़ी, सिंदूरी, मुखडी, गमन, धनेल गांव में कुछ लोग रहते हैं. गांव के चारों तरफ पानी ही पानी है. इस वजह से गांववालों को कहीं भी जाने के लिए पानी को पार कर जाना पड़ता है.
जिले में रहने वाले लोगों को नमक, आटा, चावल, दाल, बिस्कुट, कपड़े या बच्चों की पढ़ाई का सामान लेने के लिए गुजरात आना पड़ता है. सरदार सरोवर नर्मदा बांध बनने के बाद नर्मदा डैम का जलस्तर स्तर बढ़ गया था जिस वजह से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्र में पानी भर गया और फिर वहां के गांव विस्थापित हो गए.
यहां रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि वो किसी भी हाल में विस्थापित नहीं होना चाहते थे. गांववालों को कहीं आने जाने के लिए नाव या बोट का सहारा लेने पड़ता है.
दरअसल, गांववालों को महाराष्ट्र के अक्कलकुवा खरीदारी करने जाना है तो 70 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है, और कई जगह तो जंगल का रास्ता पार करना पड़ता है जो काफी मुश्किल है, लेकिन दूसरी ओर गुजरात का केवड़िया उनके गांव से महज 25 से 30 किलोमीटर पड़ता है और सरदार सरोवर में बोट की व्यवस्था खास तौर पर मिल जाती है.
यहां रहने वाले राजूभाई ने का कहना है कि महाराष्ट्र के गांवों की स्थिति बेहद खराब है, इनके चारों तरफ पानी ही पानी है. यहां प्राइवेट बोट चलती हैं. लोगों को अपने छोटे मोटे कामों के लिए बोट का इस्तेमाल करना पड़ता है. कई जगह तो जंगल से निकलने पड़ता है. बीमार लोगों के महाराष्ट्र सरकार की तरफ से गांववालों के लिए बोट एंबुलेंस की चलाई जा रही हैं.
नरेंद्र पेपरवाला