महाराष्ट्र के नासिक जिले के पेठ तालुका के बोरीचीबाड़ी गांव में जल संकट इतना गहरा हो चुका है कि वहां की महिलाओं और बच्चियों को एक घूंट पानी के लिए डेढ़ से तीन किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है. गांव की तीन प्रमुख कुएं सूख चुके हैं, जिससे कुंभाले गांव के कुएं से पानी लाना अब इनकी मजबूरी बन गई है.
दरअसल, कुंभाले ग्राम पंचायत में कुल 6 गांव शामिल हैं और जिनकी आबादी लगभग 4 हजार है. उन गांवों में बोरीचीबाड़ी सबसे ज़्यादा जल संकट से प्रभावित है. गांव की महिलाएं सुबह-शाम दो-दो घंटे सिर्फ पानी लाने में बिता देती हैं. इससे न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि घरेलू कामकाज और बच्चों की देखभाल भी प्रभावित होती है.
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यहां की रहने वाली संगीता महानुभाव बताती हैं कि उन्हें रोज सुबह और शाम दो-दो घंटे चलकर पानी लाना पड़ता है. इस दौरान थकावट, पैर में दर्द और गिरने की घटनाएं आम हो गई हैं. कई महिलाएं पानी लाते वक्त गिरकर घायल भी हो चुकी हैं. अब शरीर जवाब दे रहा है, लेकिन पानी तो चाहिए. गांव की एक महिला द्रौपदा महाभव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कुएं में उतरकर कटोरा-कटोरा पानी भर रही है. वह कहती हैं, अगर मैं कुएं में नहीं उतरूं तो बर्तन तक नहीं भर पाता. पिछले साल एक महिला कुएं में गिर गई थी, किसी के दांत टूटे, तो किसी के हाथ. यह हालात इतने भयावह हैं कि लोग इस गांव में अपनी बेटियां ब्याहने से मना कर देते हैं.
गांव के ही प्रमोद महानुभाव का कहना है, गांव में 25-26 लड़के कुंवारे हैं. जब भी रिश्ता तय करने जाते हैं, पहला सवाल यही पूछा जाता है 'गांव में पानी की क्या स्थिति है? गांव के उपसरपंच सोमनाथ निकुळे ने कहा कि जलजीवन योजना के तहत मीटिंग हुई थी, लेकिन ठेकेदारों को भुगतान नहीं मिलने के कारण काम रुका हुआ है. लोगों को अब 200 लीटर पानी के लिए ₹60 खर्च करने पड़ते हैं. सरकार ने एक निजी कुएं का अधिग्रहण किया है, लेकिन वह भी गांव से 3 किलोमीटर दूर है.
बोरीचीबाड़ी में पानी की कमी ने सामाजिक संकट को भी जन्म दे दिया है. जहां एक तरफ महिलाएं रोजाना पानी के लिए संघर्ष कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर पानी की समस्या के कारण लड़कियों के रिश्ते टूट रहे हैं और गांव में शादी योग्य युवक कुंवारे रह जा रहे हैं.
मंडल विकास अधिकारी जे. सूर्यवंशी ने बताया कि फिलहाल पंचायत को दो टैंकर पानी दिए गए हैं और जलजीवन मिशन योजना के तहत एक कुएं का अधिग्रहण किया गया है. गांव की पथरीली और ढलवां जमीन के कारण भूजल का भंडारण संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे समस्या और जटिल हो गई है. इस योजना का बजट करीब 7 करोड़ रुपए है और इसका उद्देश्य पेठ के पास स्थित 7 किलोमीटर दूर झील से पाइपलाइन द्वारा पानी लाकर गांव को राहत देना है.
हालांकि, इससे पहले सरकार और स्वदेश फाउंडेशन की ओर से शुरू की गई योजनाएं भूजल की कमी के चलते असफल हो चुकी हैं. साल 2022 में भी जब पानी की भारी किल्लत थी, प्रशासन द्वारा कुएं में टैंकर से पानी डाला गया था. लेकिन उस दौरान जयश्री भोये नामक महिला कुएं में गिर पड़ी थीं, जिन्हें स्थानीय लोगों ने तुरंत बचा लिया.
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