महाराष्ट्र: पूर्व सीएम फडणवीस के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की जांच करेगी ACB, उद्धव सरकार ने दिया आदेश

अपने कार्यकाल में देवेंद्र फडणवीस ने जल युक्त शिवार योजना को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाया था. फडणवीस ने इस योजना की शुरुआत 2019 में की थी. उनका उद्देश्य इस योजना से 2019 तक महाराष्ट्र को सूखा मुक्त बनाने का था.

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पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो- आजतक) पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो- आजतक)

कमलेश सुतार

  • मुंबई,
  • 22 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:07 PM IST
  • सीएजी ने भी जलयुक्त शिवार योजना पर उठाए थे सवाल
  • उद्धव सरकार ने विजयकुमार कमेटी की सिफारिश मानी

महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के ड्रीम प्रोजेक्ट जलयुक्त शिवार योजना की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से कराने का फैसला किया है. राज्य सरकार द्वारा गठित विजयकुमार कमेटी ने इस मामले में खुली जांच की सिफारिश की थी. जांच समिति की रिपोर्ट इंडिया टुडे के हाथ लगी है. 

इससे पहले सीएजी ने भी जलयुक्त शिवार योजना (Jal Yukt Shivaar Scheme) के तहत 1128 कार्यों पर आपत्ति जताई थी. इसके अलावा राज्य सरकार को योजना में 671 अन्य कार्यों में शिकायतें मिली थीं. इसी के आधार पर सरकार ने विजयकुमार कमेटी की सिफारिश को मान लिया है और 1799 केसों में से 931 केसों में जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा 396 में विभागीय जांच की जाएगी. 

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क्या है खुली जांच ?


इस मामले में राज्य सरकार ने विजयकुमार कमेटी की खुली जांच की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. एसीबी द्वारा खुली जांच का मतलब है कि एजेंसी किसी से भी पूछताछ कर सकती है. 

जलयुक्त शिवार योजना क्यों है अहम?

अपने कार्यकाल में फडणवीस ने जल युक्त शिवार योजना को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाया था. फडणवीस ने इस योजना की शुरुआत 2019 में की थी. उनका उद्देश्य इस योजना से 2019 तक महाराष्ट्र को सूखा मुक्त बनाने का था. इस परियोजना का भाजपा और फडणवीस ने जमकर प्रचार भी किया. इस योजना का उद्देश्य 5,000 गांवों में पानी की कमी को दूर करना था. इस योजना के तहत, जल संरक्षण उपायों में सुधार कर, सूखाग्रस्त क्षेत्रों को लक्षित किया गया था ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके. 

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तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने जल युक्त शिवर योजना लागू करने से पहले राज्य के उन क्षेत्रों का चयन किया, जहां पानी की भारी समस्या थी और जहां किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे थे.

 

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