दिवाली के अलगे दिन यहां लड़वाए जाते हैं भैंसे... जानवर होते हैं जख्मी, लोगों को भी लगती है चोट

चंद्रपुर के दुर्गापुर इलाके में पड़वा पर (दिवाली के अगले दिन) भैंसे की लड़ाई का आयोजन किया जाता है. बलि प्रतिपदा के दिन गाय-बैलों को सजाकर पहले तो उनकी पूजा की जाती है. चंद्रपुर में भैंसे को सजा-धजा कर एक खुले मैदान में लाया जाता है. वहां आपस में उन्हें लड़ाया जाता है.

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दिवाली के अगले दिन कराई जाती है भैंस की लड़ाई (Screengrab). दिवाली के अगले दिन कराई जाती है भैंस की लड़ाई (Screengrab).

विकास राजूरकर

  • चंद्रपुर,
  • 14 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST

महाराष्ट्र के चंद्रपुर में नंदी समाज की ओर से दिवाली पर हर साल भैंसे की लड़ाई का अनोखा ओर रोंगटे खड़े करने वाला आयोजन किया जाता है. कई सारे भैंसे को सजा-धजा कर आपस में लड़वाया जाता है. आयोजकों का कहना है कि ये परंपरा हमारे पुरखों के जमाने से लगातार चली आ रही है. इस दिल दहला देने वाली भैंसे की लड़ाई को देखने हजारों लोग पहुंचते हैं.

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दरअसल, चंद्रपुर के दुर्गापुर इलाके में पड़वा पर (दिवाली के अगले दिन) भैंसे की लड़ाई का आयोजन किया जाता है. बलि प्रतिपदा के दिन गाय-बैलों को सजाकर पहले तो उनकी पूजा की जाती है. चंद्रपुर में भैंसे को सजा-धजा कर एक खुले मैदान में लाया जाता है. वहां आपस में उन्हें लड़ाया जाता है.

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लड़ रहे भैंसे पर लोग लगाते हैं पैसा

भैंसे की लड़ाई देखने आस-पास के इलाके सहित दूसरे शहरों से लोग पहुंचते हैं. लड़ने पर भैंसा पर लोग पैसा भी लगाते हैं. भैंसे की लड़ाई का खेल इतना खतरनाक होता है कि कई बार यह भैंसे-बैल लड़ते-लड़ते लोगों की भीड़ में घुस जाते हैं. ऐसे हालात में कई बार लोग घायल भी हो जाते हैं. साथ ही जानवर भी जख्मी हो जाते हैं.

पुरखों के समय से चल रही परंपरा

वहीं, इस आयोजन को लेकर आयोजकों का कहना है कि भैंसे-बैल लड़ाई की यह परंपरा उनके पुरखों के समय से चली आ रही है. इस आयोजन में जान का खतरा होने के बावजूद हर साल आयोजन किया जाता है. हम इस तरह से त्यौहार मानते हैं. भैंसे-बैल की लड़ाई को मनोरंजन के तौर पर देखते है.

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