महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को छत्रपति संभाजीनगर में एक होटल की नीलामी की टेंडर प्रक्रिया में किसी भी अनियमितता का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की. ये मामला सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिंदे से जुड़ा है, जिनके बेटे सिद्धांत शिरसाट पर नीलामी में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं. विपक्ष का आरोप है कि टेंडर के लिए बोली लगाने वाली तीन कंपनियों में मंत्री के बेटे की कंपनी भी शामिल थी.
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और शिवसेना (यूबीटी) के नेता अनिल परब ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिसके बाद विधान भवन में हंगामा मच गया. विपक्ष के तीखे हमलों और बढ़ते दबाव के बीच सीएम फडणवीस ने जांच की घोषणा की, जिसे शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
छत्रपति संभाजीनगर में वीआईटीएस होटल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी ढांडा कॉर्पोरेशन का था. वीआईटीएस होटल समेत धनदा कॉर्पोरेशन की संपत्तियों को महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम, 1999 के तहत जब्त कर लिया गया. इसके बाद अदालत के आदेश पर होटल की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसका संचालन छत्रपती संभाजीनगर कलेक्ट्रेट ने किया.
सरकारी मूल्यांकनकर्ता की दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, होटल की कीमत 75.92 करोड़ रुपये थी. हालांकि, 2025 में नीलामी के दौरान यह मूल्यांकन 2018 के आधार पर ही तय किया गया.
'150 करोड़ रुपये है होटल की कीमत'
दानवे ने दावा किया कि निजी मूल्यांकनकर्ताओं के अनुसार, होटल की वर्तमान कीमत 150 करोड़ रुपये है. उन्होंने नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में तीन कंपनियां शामिल हुईं, जिनमें मेसर्स सिद्धांत मटेरियल प्रोक्योरमेंट एंड सप्लायर्स कंपनी भी शामिल है. उन्होंने कहा कि यह कंपनी महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत की है.
3 कंपनियों ने नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा
अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि नीलामी प्रक्रिया में तीन कंपनियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से एक एम/एस सिद्धांत मटेरियल प्रोक्योरमेंट एंड सप्लायर्स कंपनी थी, जो कथित तौर पर संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत शिरसाट की है.
दानवे ने दावा किया कि इस कंपनी के पंजीकरण फॉर्म में कहा गया है कि कंपनी ने 2024 में पंजीकरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन यह अभी तक पंजीकृत नहीं है. इसके बावजूद कंपनी ने 47 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जबकि अन्य दो कंपनियों ने 46.95 करोड़ और 46.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई जो कि केवल 5 लाख रुपये के अंतर के साथ थी.
दानवे ने कहा, 'ये धोखाधड़ी है और सरकार को बड़े पैमाने पर चूना लगाया जा रहा है. सिद्धांत शिरसाट के पास कोई आईटीआर नहीं है. ऐसी स्थिति में, इस अनियमितता को अनुमति देने वाले सरकारी अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?.'
सीएम फडणवीस ने विधान परिषद में बताया कि राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है और नए सिरे से निविदाएं जारी करने के लिए नई प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
उन्होंने कहा, 'पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस मामले में किसी भी प्रकार की अनियमितता की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी.'
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि इस मामले में टेंडर और प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि इससे पहले छह बार निविदाएं जारी की गई थीं, लेकिन कोई बोली प्राप्त नहीं हुई थ. इस प्रक्रिया में आधार मूल्य और शर्तों को बार-बार कम किया गया था. बावनकुले ने आश्वासन दिया कि नई निविदा प्रक्रिया पूरी तरह से योग्यता के आधार पर होगी.
संजय शिरसाट ने किया बचाव
वहीं, परिषद में शिरसाट ने कहा कि पिछले छह बार टेंडर जारी किया गया था, लेकिन कोई बोली नहीं मिली. उन्होंने ये भी कहा कि टेंडर प्रक्रिया अदालत के आदेश के अनुसार चल रही है.
अभिजीत करंडे