'बार बार आत्महत्या की धमकी देना मानसिक Cruelty', बॉम्बे हाईकोर्ट ने पति को दी तलाक की अनुमति

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि जीवनसाथी द्वारा बार बार आत्महत्या की धमकी देना Cruelty माना जाएगा. अदालत ने 2019 में फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक की अर्जी खारिज करने के आदेश को पलटते हुए पति को तलाक दे दिया. कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी पिछले दस साल से अलग रह रहे हैं और अब सुलह का कोई मौका नहीं है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (Photo-ITG) बॉम्बे हाईकोर्ट (Photo-ITG)

aajtak.in

  • मुंबई ,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी जीवनसाथी द्वारा बार बार आत्महत्या की धमकी देना Cruelty यानी मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आता है. कोर्ट ने इसी आधार पर एक व्यक्ति को तलाक देने का आदेश दिया है. यह फैसला चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की पीठ ने दिया.

मामला 2006 में हुई शादी से जुड़ा है. पति और पत्नी 2012 से अलग रह रहे थे और उनके बीच किसी तरह की सुलह की संभावना नहीं बची थी. पति ने 2019 में फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

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बार बार आत्महत्या की धमकी देना मानसिक उत्पीड़न

पति का आरोप था कि पत्नी लगातार आत्महत्या की धमकी देती थी और कई बार प्रयास भी कर चुकी थी. इसके अलावा पत्नी उस पर शक करती थी और रिश्ते को लगातार तनावपूर्ण बनाती थी. पति ने दलील दी कि यह सब Cruelty की श्रेणी में आता है और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक का आधार बनता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि बार बार आत्महत्या की धमकी देना या ऐसा व्यवहार करना जिससे साथी पर मानसिक दबाव बने, एक तरह की Cruelty है. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि ऐसे व्यवहार से विवाह को जारी रखना मुश्किल हो जाता है.

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक का आधार

कोर्ट ने माना कि दोनों एक दशक से अलग रह रहे हैं और उनका साथ रहना अब संभव नहीं है. अदालत ने कहा कि ऐसे विवाह को जारी रखना केवल एक दूसरे पर अत्याचार को बढ़ावा देना होगा. तलाक मंजूर करते हुए कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह पत्नी को 25 लाख रुपये दे और अपने नाम के दो फ्लैट भी पत्नी के नाम कर दे.

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