भारत की अदालतों में इतने मामले लंबित हैं कि लोगों को इंसाफ़ के लिए लंबे समय का इंतज़ार करना होता है. ऐसे लोग जो जुर्म नहीं किए हो और उन्हें भी सालों जेल में बिताना होता है. ऐसा ही एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऑटो ड्राइवर दीपक मोरे को पांच साल बाद हत्या के मामले में ज़मानत दे दी है. उसपर आरोप था कि उसने अपने पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी.
ऑटो ड्राइवर दीपक मोरे साल 2020 से जेल में बंद था. इतने लंबे समय जेल में रहने के बावजूद उसके ख़िलाफ़ केस की सुनवाई ही शुरू नहीं हो सकी.
न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की पीठ ने कहा, "मैंने रोज़नामा देखा है, जिसमें 95 तारीखों तक चार्जशीट बनाने के लिए मामला लिस्टेड था, लेकिन चार्जशीट अब तक नहीं बनी है." चार्जशीट बनना मुकदमे की एक महत्वपूर्ण प्रोसेस है, जिसमें आरोपी को आरोपों की जानकारी दी जाती है और यदि वह निर्दोष कहता है तो मुकदमा शुरू होता है.
क्या है मामला?
यह मामला ठाकुरद्वीप इलाके के डोंबिवली पुलिस थाने में दर्ज हुआ था. 30 साल के दीपक मोरे की पत्नी की स्थानीय गुंडे संजय के साथ सात सालों से कथित प्रेम कहानी थी. दीपक को यह पता चला और वह नाराज हो गया.
15 नवंबर 2020 को दीपक और संजय के बीच विवाद हुआ, जिसमें दीपक ने जमीन पर पड़ा एक पत्थर उठाकर संजय के सिर पर मार दिया. संजय की मौत हो गई और उसकी बहन ने एफआईआर दर्ज कराई.
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दीपक को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और तब से जेल में था. मोरे के वकील कुणाल अहेर ने अदालत में बताया कि उनके क्लाइंट बिना किसी मुकदमे के पांच साल से जेल में हैं, और बार-बार सुनवाई होने के बावजूद चार्जशीट नहीं बनी. उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई प्री-प्लान्ड क्राइम नहीं था और आरोपी का कोई अपराध रिकॉर्ड नहीं है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या क्या?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा – जब इतने साल से सुनवाई ही नहीं शुरू हुई और कोई पुराना अपराध नहीं, तो उसे जमानत मिलनी चाहिए. हाईकोर्ट से दीपक को कुछ शर्तों पर जमानत दे दी है.
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