झारखंड के खूंटी से ऐसी खबर सामने आई है, जिसने समाज और प्रशासन दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. महज 14 साल की लड़की ने बच्ची को जन्म दिया है. यह लड़की अपने से दो साल बड़े यानी 16 साल के लड़के के साथ लिव-इन में रहकर मां बनी है. यह कहानी बाल विवाह और नाबालिग प्रेग्नेंसी की बेहद गंभीर समस्या को बयां कर रही है. जब ये मामला सामने आया तो प्रशासन एक अभियान चलाने की तैयारी में जुट गया है.
एजेंसी के अनुसार, यह मामला खूंटी के केओरा पंचायत का है. यहां रहने वाली 14 साल की लड़की 16 वर्षीय लड़के के साथ रह रही थी. दोनों के परिवारों ने साथ रहने की सहमति दी थी. यहां आदिवासी समाज में ‘धुकु’ नाम की परंपरा है. इस परंपरा के तहत बिना विवाह किए लड़का-लड़की साथ रह सकते हैं और इसे समाज की सहमति भी प्राप्त होती है. इसी प्रथा के चलते लड़की अपने परिवार और समुदाय की सहमति से लड़के के साथ रह रही थी.
अस्पताल में हुआ बच्ची का जन्म
बीते मंगलवार को इस 14 साल की लड़की को उसकी मां ने पहले मुरहू स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया. डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि लड़की प्रेग्नेंट है और समय से पहले प्रसव की स्थिति में है. हालत को देखते हुए उसे खूंटी सदर अस्पताल रेफर किया गया. वहां डॉक्टरों की देखरेख में उसने सात महीने की प्रेग्नेंसी में ही एक बच्ची को जन्म दिया. सदर अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि प्रसव सामान्य था और मां व बच्ची दोनों स्वस्थ हैं. हालांकि, बच्ची के प्रीमैच्योर जन्म को देखते हुए दोनों को कुछ दिनों तक अस्पताल में निगरानी में रखा जाएगा.
जिले के चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर (सीपीओ) अल्ताफ खान ने कहा कि हम लंबे समय से बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ एनजीओ और सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं. लेकिन अब इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि हमें इसे और अधिक प्रभावी तरीके से गांव-गांव तक ले जाना होगा. हम खूंटी जिले के सभी 86 ग्राम पंचायतों में इस मुद्दे पर विशेष जागरूकता अभियान चलाएंगे.
उन्होंने बताया कि खासतौर पर ग्रामीण समुदायों और किशोर-किशोरियों को यह समझाना बेहद जरूरी है कि कम उम्र में प्रेग्नेंसी न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है, बल्कि उनकी शिक्षा और भविष्य भी इससे बर्बाद हो सकता है.
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लड़की के परिजनों ने अधिकारियों को बताया कि लड़की नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. पढ़ाई के लिए मुरहू से करीब 14 किलोमीटर दूर एक किराए के मकान में रहती थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात पास के गांव के रहने वाले लड़के से हुई. दोनों के बीच दोस्ती हुई और संबंध बन गए. इसी बीच लड़की प्रेग्नेंट हो गई. अब लड़की ने पढ़ाई छोड़ दी है, जबकि 16 वर्षीय लड़का, जो अपने पिता को खो चुका है, अपनी मां के साथ रहता है.
दोनों की नासमझी और समाज की परंपरा ने ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जिसमें अब एक नवजात बच्ची की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर आ गई है.
इस घटना ने साबित कर दिया है कि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में अभी भी बाल विवाह और नाबालिग प्रेग्नेंसी के मामले होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्कूल स्तर पर ही यौन शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, कम उम्र में प्रेग्नेंसी से लड़की की जान को खतरा बढ़ जाता है. साथ ही समय से पहले जन्मे बच्चों में भी स्वास्थ्य संबंधी कई जोखिम होते हैं.
खूंटी जिला प्रशासन के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती है कि वह आदिवासी समाज की परंपराओं का सम्मान करते हुए भी बच्चों और किशोरियों को सही दिशा दे. अधिकारियों का कहना है कि यह केवल सरकारी अभियान से संभव नहीं होगा, बल्कि इसमें पंचायत, समाज के बुजुर्ग, शिक्षक और परिवार भी अहम भूमिका निभा सकते हैं. लोगों का कहना है कि खूंटी जिले की यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस सामाजिक समस्या की झलक है जो अभी भी देश के कई हिस्सों में मौजूद है. नाबालिग उम्र में रिश्ते, प्रेग्नेंसी और मातृत्व बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है.
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