सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. कोजलिस्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले की सुनवाई करने वाली है.
दरअसल, 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया था. साथ ही अदालत ने निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सितंबर 2024 तक कराए जाएं और राज्य का दर्जा शीघ्रातिशीघ्र बहाल किया जाए.
इसके बावजूद, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर राज्य का दर्जा बहाल करने के निर्देश देने की मांग की गई. यह याचिका शैक्षणिक विद्वान जहीर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने दायर की थी.
याचिकाकर्ताओं की दलील
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक याचिका में कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी से जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की क्षमता कम हो रही है, जो भारतीय संविधान की बुनियादी संरचना का हिस्सा ‘संघवाद’ के विचार का गंभीर उल्लंघन है.
याचिका में यह भी कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव शांति, बिना हिंसा और बिना किसी सुरक्षा चिंता के संपन्न हुए हैं. इसलिए सुरक्षा, हिंसा या अन्य किसी तरह की रुकावट का कोई कारण नहीं है, जो राज्य का दर्जा बहाल करने में बाधा बने.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश शीघ्रातिशीघ्र देने के बावजूद केंद्र सरकार ने अब तक इसकी कोई समयसीमा तय नहीं की है.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि जम्मू-कश्मीर को लगभग पांच साल से केंद्र शासित प्रदेश के रूप में चलाया जा रहा है, जिससे विकास कार्यों में रुकावट आई है और वहां के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार प्रभावित हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट का पिछला फैसला
दिसंबर 2023 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370, जिसे 1949 में भारतीय संविधान में शामिल किया गया था, एक अस्थायी प्रावधान था. अदालत ने माना कि राष्ट्रपति के पास इस प्रावधान को रद्द करने का अधिकार था, खासकर तब जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का कार्यकाल 1957 में समाप्त हो चुका था.
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