जम्मू और कश्मीर के वरिष्ठ हुर्रियत नेता अब्दुल गनी भट का निधन हो गया है. वह 90 साल के थे. ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व प्रमुख अब्दुल गनी भट लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने बुधवार की देर शाम उत्तर कश्मीर के सोपोर जिले में बटेंगू स्थित अपने पैतृक निवास पर आखिरी सांस ली. अब्दुल गनी भट के निधन पर जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर शोक व्यक्त किया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में सीएम उमर ने लिखा है कि उनकी राजनीतिक विचारधारा बिल्कुल अलग थी, लेकिन मैं उन्हें हमेशा एक बहुत सभ्य व्यक्ति के रूप में याद रखूंगा. उन्होंने अब्दुल गनी भट की तारीफ करते हुए कहा कि जब कई लोग हिंसा को ही एकमात्र रास्ता मान रहे थे, तब उन्होंने बातचीत का साहस दिखाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मिले. सीएम उमर ने अब्दुल गनी भट के परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं.
हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर अब्दुल गनी भट के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि एक स्नेही बुजुर्ग, प्रिय मित्र और सहयोगी खो दिया. कश्मीर ने एक ईमानदार और दूरदर्शी नेता खो दिया है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि वह कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के प्रबल समर्थक थे. वह कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में संयम की आवाज थे.
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महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा है कि जब भी जरूरत होती थी, उनकी सलाह लेती थी. अलग-अलग राजनीतिक विचारों के बावजूद वह मुफ्ती साहब के करीबी मित्र रहे. शांति और मेल-मिलाप उनके राजनीतिक अभियानों का मूल आधार रहे. उनकी विरासत हम सबको प्रेरित करती रहेगी. अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने भी अब्दुल गनी भट के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि वे मेरे दिवंगत पिता के करीबी दोस्त और सहपाठी थे. मेरे दिल में उनके लिए एक विशेष स्थान है.
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पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन, माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने भी अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक व्यक्त किया है. गौरतलब है कि अब्दुल गनी भट ने अलीगगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से फारसी और कानून की पढ़ाई की थी. कश्मीर के पुराने और कट्टर अलगाववादी नेताओं में से एक भट ने सोपोर में वकील के रूप में प्रैक्टिस भी की थी और बाद में फारसी के प्रोफेसर नियुक्त हुए थे.
अशरफ वानी