हरियाणा के स्कूलों में बच्चों की मेंटल हेल्थ पर फोकस, खेल-खेल में मिल रही मानसिक मजबूती

देश में बढ़ती मेंटल हेल्थ की समस्याओं के बीच हरियाणा के सरकारी स्कूलों में बच्चों की मानसिक सेहत को लेकर खास पहल की जा रही है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा के छात्रों ने स्कूलों में जाकर जागरूकता अभियान चलाया. डांस, म्यूजिक और खेलों के जरिए बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास किया गया. यह पहल बच्चों को सकारात्मक बदलाव की ओर ले जा रही है.

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 पालड़ी गांव के सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पालड़ी गांव के सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे

aajtak.in

  • महेंद्रगढ़ ,
  • 18 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 10:12 AM IST

देश में मेंटल हेल्थ अब एक बड़ी चिंता बन चुकी है. बड़े ही नहीं, स्कूली बच्चे भी मानसिक तनाव और दबाव में जी रहे हैं. स्कूल, होमवर्क, ट्यूशन, स्क्रीन टाइम, पेरेंट्स की उम्मीदें और सोशल मीडिया का दबाव बच्चों की मानसिक सेहत पर असर डाल रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं.

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सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा के साइकॉलजी विभाग के छात्रों ने महेंद्रगढ़ और नारनौल के मिडिल और प्राइमरी स्कूलों का दौरा किया. उन्होंने बच्चों के बीच मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता अभियान चलाया. इस दौरान बच्चों के कुछ मेंटल हेल्थ टेस्ट लिए गए और उन्हें डांस, म्यूजिक व आउटडोर एक्टिविटीज करवाई गईं. बच्चों ने इन गतिविधियों में उत्साह के साथ भाग लिया.

हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र

 

सरकारी स्कूल में बच्चों की मेंटल हेल्थ लेकर खास कार्यक्रम

इस तरह के प्रोग्राम पर मनोविज्ञान विभाग की हेड प्रोफेसर डॉ. पायल कंवर चंदेल कहती हैं कि छात्रों को आवश्यक जीवन कौशल विकसित करने, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने और शैक्षिक प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. छात्रों को तनाव और चिंताओं से मुक्त रखने के लिए ऐसे आयोजनों लगातार होना जरूरी है. उनके विभाग की कोशिश रहेगी कि ऐसे कार्यक्रमों का ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए. मनोविज्ञान विभाग निरंतर ऐसे कार्यक्रम करता रहता है.

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प्रोफेसर डॉ. पायल कंवर चंदेल

 

सरकारी स्कूल में बच्चों की मेंटल हेल्थ लेकर खास कार्यक्रम

 

हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्राएं प्रोफेसर मोहित मेहरा के साथ

खेल-खेल में बच्चे अपनी भावनाओं को समझना और संभालना सीखते हैं

इस टेक्नीक से बच्चे खेल-खेल में अपनी भावनाओं को समझना और संभालना सीखते हैं. यह प्रोग्राम पहले मेघालय के 150 स्कूलों में चलाया गया था, जिसमें 3000 बच्चों ने हिस्सा लिया और शानदार नतीजे सामने आए. अब इसी तकनीक को भारत के अन्य राज्यों में भी लाने की तैयारी की जा रही है.

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