आज से 10 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत की थी, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि हर बेटी न सिर्फ जीवित रहे बल्कि फले-फूले. ये अभियान उस हरियाणा राज्य में शुरू किया गया था, जहां लड़की को जन्म देना अभिशाप माना जाता था. इस अभियान के 10 साल बाद भी तस्वीर में बहुत ज्यादा नहीं बदली है.
कन्या भ्रूण हत्या के लिए दो लाख का पैकेज
आजतक के स्टिंग ऑपरेशन से पता चलता है कि हरियाणा में बेटियों को बचाने के इस अभियान पर अवैध क्लीनिक चलाकर कन्या भ्रूण हत्या करवाने वाले लोग हावी हो गए हैं. हमारे खुफिया कैमरे पर इस अवैध नेटवर्क को चलाने वाले लोग अपनी ही जुबान से लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के कारोबार की बात कुबूलते हुए कैद हुए हैं, जो कोख में ही बेटियों को मारने के लिए पैकेज ऑफर कर रहे हैं. दो लाख रुपये में हरियाणा में गर्भावस्था में लिंग की जांच से लेकर बेटी होने पर गर्भपात करवाया जा रहा है.
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अवैध रूप से भ्रूण लिंग की जांच का सबसे ज्यादा कहर महिलाओं पर ही टूटता है. बेटा पैदा न करने की वजह से एक तरफ समाज के ताने होते हैं तो अक्सर महिलाओं की इच्छा के खिलाफ उन्हें अवैध गर्भपात के लिए मजबूर किया जाता है, वो भी तब जब गर्भपात की ये प्रक्रिया महिलाओं के लिए जानलेवा तक हो सकती है. न जाने ऐसी कितनी ही बेटियां इस सलूक की वजह से अपनी जान गंवा चुकी हैं.
गर्भपात या तलाक का विकल्प
समाज की इसी बुराई को मिटाने और देश और हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया गया. लेकिन इस मिशन के शुरू होने के 10 साल बाद ये अभियान कुछ शुरुआती सफलता के बाद लड़खड़ाता दिख रहा है. इसकी गवाही आज आपको पूजा सोनी देंगी. जिनकी शादी साल 2015 में हुई. ये वही साल था जब बेटी बचाओ का नारा गढ़ा गया. सात साल में उनकी दो बेटियां हुई, तीन साल पहले जब उनकी कोख में एक बेटी आई तो उन्हें गर्भपात या तलाक का विकल्प दे दिया गया.
हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में बेटी को जन्म देने वाली महिलाओं के पास अपनी अगली गर्भावस्था में लिंग निर्धारण परीक्षण करवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है. पूजा सोनी जैसी अनगिनत महिलाओं की यही दुखद सच्चाई है.
हरियाणा में लिंगानुपात को लेकर साल 2019 यादगार रहा लेकिन साल 2025 आते आते ये आंकड़ा काफी घट गया. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. आजतक की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट देश को बताएगी कि क्यों हरियाणा में पहली बेटी होने के साथ ही महिलाओं को अगली गर्भावस्थाओं के दौरान भ्रूण लिंग जांच की अवैध प्रक्रिया से गुजरना एक सिस्टम का रूप ले चुका है. आजतक की ये रिपोर्ट आपको बताएगी कि कैसे हरियाणा में बेटियों को कोख में ही खत्म करवाने का गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है. कैसे 2 लाख रुपये में बेटियों को हरियाणा में मिटाया जा रहा है.
कानून बना, लेकिन कारगर नहीं
कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए साल 1994 में PC-PNDT एक्ट लागू किया गया. इसका मकसद अजन्मे बच्चे के लिंग का पता लगाने या उसके खुलासे को रोकना था. इसे लेकर सख्त सजा भी रखी गई. फिर भी ये बेटियों को बचाने में कामयाब नहीं हो पा रहा. सामाजिक कार्यकर्ता मोहिनी बताती हैं कि कई महिलाओं ने बेटे की चाहत में छह या सात बेटियों को जन्म दिया है. जब मैं गांवों में जाती हूं और इन महिलाओं से बात करती हूं, तो वे इस विषय पर बात करने से बचती हैं.
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आजतक की टीम हरियाणा के कम लिंगानुपात वाले जिलों में गई, हमें जो मिला वो परेशान और चौंकाने वाला था. हमारा पहला पड़ाव दिल्ली से लगभग 230 किलोमीटर दूर हिसार था. यहां हमें एक ऐसे नेटवर्क के बारे में बताया गया जो इतना बेशर्म और बेखौफ है कि पुलिस की बार-बार कार्रवाई के बावजूद अपना काम नहीं रोकता. इसकी मिसाल हिसार के अनंतराम बरवाल हैं, जो पांच बार भ्रूण लिंग जांच के आरोप में जेल जा चुका है. फिर भी जननायक जनता पार्टी के टिकट पर हरियाणा चुनाव लड़ने में कामयाब हो जाता है. ये बताता है कि हरियाणा में ये अवैध नेटवर्क कितना मजबूत और गहरा है.
हरियाणा में लिंगानुपात गिरा
बेटियों को लेकर मानसिकता बदलने की कोशिश पूरी तरह से कामयाब होती नहीं दिखती. इस हकीकत से आंकड़े भी खबरदार करते हैं. साल 2015 में हरियाणा में 1,000 पुरुषों पर 876 महिलाएं थीं. 2019 में लिंगानुपात 1,000 लड़कों पर 923 लड़कियों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. लेकिन साल 2025 आते आते ये लिंगानुपात 1,000 लड़कों पर 909 लड़कियों तक जा गिरा पिछले साल अकेले हरियाणा में 5,16,402 बच्चे पैदा हुए जिनमें से केवल 47.64% लड़कियां थीं. यानी कहीं न कहीं हरियाणा वहीं जा रहा है जिसके लिए वो बदनाम रहा है. लेकिन आखिर ऐसा कैसे हो रहा है.
हरियाणा का हिसार, जहां आजतक संवाददाता श्रेया चटर्जी ने राज्य में बेटियों को कोख में ही मारने वाले रैकेट का पर्दाफाश करने जा रही हैं. हमारी टीम को हिसार सिविल अस्पताल में ऊषा नाम की एक महिला का पता चला, जो एड्स की रोकथाम में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में काम करती है. लेकिन ये महिला अवैध लिंग परीक्षण के धंधे की एक खिलाड़ी है. इस रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए हमने अपनी पहचान पानीपत के एक परिवार के रूप बताई. हमने ऊषा को मिलने के लिए फोन किया, उसे भरोसा दिलाया कि हम अपने बच्चे का लिंग पता करवाना चाहते हैं.
ऊषा- हैलो
रिपोर्टर: ऊषा जी, गौरव बोल रहा हूं. दरअसल हमको अल्ट्रासाउंड करवाना था पत्नी का
ऊषा- अच्छा जी
रिपोर्टर- तो मैं आया था सिविल अस्पताल
ऊषा- कौन सा अल्ट्रासाउंड करवाना चाह रहे हैं?
रिपोर्टर- मुझे दो बेटी हो चुकी हैं, तीसरा बच्चा बेटी नहीं चाहते
ऊषा- नंबर किसने दिया?
रिपोर्टर- अस्पताल के बाहर ही मिले थे कर्मचारी
ऊषा-सिविल अस्पताल से
रिपोर्टर- हां-हां सिविल अस्पताल हिसार
ऊषा- अच्छा
हमारी बातों से आश्वस्त होकर ऊषा ने लिंग परीक्षण करने के गैरकानूनी काम के लिए हामी भर दी और बातों बातों में इस गोरखधंधे का पूरा अर्थशास्त्र भी समझा दिया. उसने बताया कि रंगीन अल्ट्रासाउंड करवाओगे तो उसमें तो 2 लाख रुपये लगेंगे. रंगीन वाले और इस अल्ट्रासाउंड में फर्क बताते हुए ऊषा ने कहा कि फर्क तो ये है कि रंगीन वाले में पूरा कलर होता है.
हर काम का रेट पहले से तय
जिस राज्य में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया गया. उस प्रदेश में भ्रूण के भाग्य का फैसला करने की कीमत 50,000 से 1 लाख रुपये के बीच तय है. रंगीन अल्ट्रासाउंड की कीमत दोगुनी है. हमारी पड़ताल में पता चला कि ऊषा तो इस गोरखधंधे की बस छोटी सी कड़ी है. ऊषा से बात करते हुए हमें पता चला कि ये सिर्फ लिंग परीक्षण नहीं था, बल्कि पूरे पैकेज की डील थी जिसमें हर चीज का रेट पहले से तय है.
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तो हरियाणा में खुलेआम कन्या भ्रूण को नष्ट करने का अवैध धंधा चल रहा है. बेटी को मारने और बेटे के लिए दवाई तक दी जा रही है. वो भी तब जब हरियाणा समेत पूरे देश में इसे लेकर सख्त कानून हैं. अब सवाल ये है कि बेटियों को मिटाने का ये रैकेट आखिर क्यों फल फूल रहा है. इसकी एक बड़ी वजह इस काम में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक है. मोबाइल फोन से नियंत्रित अल्ट्रा-लाइट यूएसजी स्कैनर का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है जिसे नेपाल की सीमा से तस्करी करके लाया जाता है.
धड़ल्ले से हो रहा भ्रूण लिंग परीक्षण
इसके जरिए किराए के कमरे से लेकर चलती गाड़ियों तक कहीं भी अवैध लिंग परीक्षण किया जा सकता है. ऐसे नेटवर्क को पकड़ने के लिए छापेमारी दल को ज्यादातर नकली मरीजों पर निर्भर रहते हैं. हमने ऐसी ही एक नकली मरीज नीलम से बात की, जिसने हरियाणा में बड़े पैमाने पर भ्रूण हत्या को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी.
नीलम ने बताया कि ऐसा हर दिन होता है, कम से कम 5 से 10 मामले तो होते ही हैं, क्योंकि मानसिकता नहीं बदली है. उन्होंने कहा कि मैं यह जानती हूं क्योंकि मैंने इसे जिया है. मैं विधवा हूं, तीन बेटियों की मां हूं. मेरी सास मुझे हर दिन गाली देती है, कहती है कि मैं असफल हो गई क्योंकि मैंने बेटा पैदा नहीं किया. मेरी वजह से मेरे पति का वंश खत्म हो जाएगा. लेकिन मैं बच गई. मैं अपनी बेटियों की देखभाल सिर्फ़ इसलिए कर सकती हूं क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ाया-लिखाया है. और फिर भी मुझे इस अपराध को उजागर करने के लिए धमकियां मिलती हैं. लेकिन मैं नहीं रुकूंगी.
पड़ोसी राज्यों तक फैला नेटवर्क
अवैध लिंग परीक्षण रैकेट सिर्फ़ हरियाणा तक ही सीमित नहीं है. यह पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर फैला हुआ है. अपनी जांच के दौरान, हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चल रहे एक अवैध लिंग निर्धारण क्लिनिक के पुख्ता सबूत भी हासिल करने में कामयाब रहे. ये वीडियो 4 से 5 साल पहले हरियाणा पीसी-पीएनडीटी टीम ने रिकॉर्ड किया था और यह केस के सबूतों का हिस्सा है. इस गुप्त कैमरे की फुटेज में दिख रहे डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वो जमानत पर बाहर आ गया.
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हमारी पड़ताल में पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत एक आरोपी भी मिला, जो अब जमानत पर बाहर है. राकेश आहूजा एक अपराधी है, जिसे हिसार के एक गांव में छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया उसे 2 अन्य लोगों के साथ अवैध अल्ट्रासाउंड प्रक्रिया करते हुए पकड़ा गया था. भागने की कोशिश में आहूजा घर की छत से कूद गया, जिससे उसका पैर टूट गया. अपनी चोट और कानूनी परेशानियों के बावजूद, आहूजा एक अस्थायी क्लिनिक चलाता है. राकेश आहूजा अवैध अल्ट्रासाउंड परीक्षणों में अपने हाथ से इनकार करते हैं. लेकिन ये शिकायत भी करते हैं कि उन्हें उस दिन की सारी परेशानियों के बदले कुछ नहीं मिला.
जेल के भीतर से चलता धंधा
जब उनसे पूछा गया कि उनका दोस्त कैसे भागने में कामयाब रहा, तो आहूजा ने दावा किया कि पुलिस ने उसे छोड़ने के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत ली. आहूजा ने आगे बताया कि कैसे डॉ. अनंत राम जैसे कुख्यात ऑपरेटर बिना किसी डर के अपना धंधा चलाते रहते हैं. उनके अनुसार, अनंत राम, जो इस समय जेल में है, सलाखों के पीछे से अल्ट्रासाउंड प्रक्रियाओं का इंतजाम करने में कामयाब रहता है.
सोचिए जो 5 बार भ्रूण की लिंग जांच के आरोप में जेल जा चुका हो-जो जेल में हो, उसे लेकर कहा जा रहा है कि वो जेल से ही इस रैकेट को चला रहा है. पैसे लेकर खुलेआम कन्या भ्रूण की हत्या कर रहा है. सवाल ये है कि क्या ये प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव है? क्या इसी वजह से बेटी बचाओ का अभियान अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रहा? इतने कड़े कानून और सरकार की मंशा के बावजूद बेटियों के दुश्मन खुलेआम इस गोरखधंधे को कैसे चला रहे हैं.
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हरियाणा में गिरते लिंगानुपात की जांच के दौरान हमें अंबाला में छापे में शामिल होने का मौका मिला. ये एक खतरनाक मिशन था जिसने हमें इस अमानवीय रैकेट के अपराधियों से आमने-सामने खड़ा कर दिया. पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित एक छोटा सा गांव बरवाला है. यहां एक कुख्यात दलाल ने अवैध लिंग निर्धारण परीक्षण का वादा किया था. हम अंबाला कोर्ट में पीसी-पीएनडीटी छापेमारी दल से मिले. इस गोरखधंधे का पर्दाफाश करने के लिए एक गर्भवती पुलिस कांस्टेबल इस ऑपरेशन से जुड़ीं, वहीं आजतक संवाददाता श्रेया चटर्जी भी एक डमी मरीज बन कर गईं.
छापेमारी में दिखा भयानक मंजर
वहीं हमारे ड्राइवर ने एक परेशान परिवारिक सदस्य के रूप में खुद को पेश किया. जैसे ही हम तय जगह के करीब पहुंचे, तभी अचानक मिलने की जगह बदल दिया गई. दलाल ने अचानक हमें सीमा पार पंजाब में एक नई जगह आने को कहा. लोकेशन को ट्रैक करते हुए हम पंजाब के मोहाली के एक गांव डेरा बस्सी पहुंचे. बाइक पर सवार एक आदमी हमें एक साधारण घर में ले गया. चमकीले पीले रंग की सलवार पहनी एक महिला ने हमें लिविंग रूम में इंतज़ार करने को कहा. हम बेचैनी में चुपचाप बैठे रहे, तभी सर्जिकल मास्क पहने एक आदमी दिखाई दिया और उसने 'मरीजों' को क्लिनिक के अंदर लाने का आदेश दिया. सबसे पहले फर्जी मरीज के रूप में महिला पुलिस कांस्टेबल अंदर गई.
इस दौरान हमसे एडवांस में पैसे ले लिए गए, हमारे फोन भी जब्त कर लिए गए. जब ये महिला दलाल वापस लौटी, तो उसने बताया कि लड़का है उसने कहा कि वे फिर से टेस्ट करेंगे. फर्जी मरीज नंबर 2 के रूप में अगली पंक्ति में आजतक संवाददाता श्रेया चटर्जी थीं. लेकिन उनका नंबर आता उससे पहले ही टीम ने छापा मार दिया.
राज्यों के बीच आपसी तालमेल की कमी
टीम को देखकर वहां मौजूद लोगों ने स्टेथोस्कोप को अलमारी के पीछे फेंक दिया, लैपटॉप को छिपाने की कोशिश की. लेकिन छापा मारने वाली टीम ने सबूतों के साथ आरोपियों को पकड़ लिया. ये एक फर्जी अल्ट्रासाउंड टेस्ट रैकेट था. जिसे चलाने वाली इस महिला दलाल के रिश्तेदार निकले जो न तो योग्य डॉक्टर थे और न ही लैब तकनीशियन. उन्होंने स्टेथोस्कोप और हेयर जेल का इस्तेमाल करके फर्जी यूएसजी रिपोर्ट बनाने के लिए गूगल और यूट्यूब का इस्तेमाल किया.
लेकिन इस दौरान हमें पता चला कि आखिर बेटियों को मारने वालों के हौसले क्यों बुलंद हैं. इस छापेमारी के 3 घंटे बाद पंजाब की स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची. पंजाब पुलिस पांच घंटे बाद आई. महत्वपूर्ण सबूत जब्त होने से पहले ही रहस्यमय तरीके से गायब हो गए. इससे भी बुरी बात यह है कि ऑपरेशन, सबूत इकट्ठा करने और बयान दर्ज करने के 48 घंटे बाद भी कोई FIR दर्ज नहीं की गई.
हरियाणा सीएम ने दिया कार्रवाई का भरोसा
पिछले दस साल से हरियाणा ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत अंतर-राज्यीय छापेपामारी की है. लेकिन दूसरे राज्यों के विभागों के साथ तालमेल की कमी के चलते ये कोशिशें दूसरे राज्यों की सीमाओं में विफल हो जाती हैं. क्योंकि बेटियों को मिटाने वाले अक्सर अपना धंधा बॉर्डर पर चलाते हैं. पड़ोसी राज्य बाहरी छापा मारने वाली पार्टी में शामिल होने से पहले अग्रिम सूचना पर जोर देते हैं. अक्सर इससे आरोपी को मुखबिर से सूचना मिल जाती है और वो बच जाते हैं. सीमावर्ती कस्बों के संदिग्ध क्लीनिकों में, बेटियों को दिन के उजाले में आने से पहले ही मिटा दिया जाता है. कन्या भ्रूण हत्या को अक्सर एक अपराध के रूप में दर्ज किया जाता है, जिसमें कोई सजा नहीं होती.
आजतक के स्टिंग ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि अगर कोई भी शख्स ऐसे गलत कामों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है. उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए हम समाज, एनजीओ और सरपंचों की मदद ले रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि स्टिंग में दिखाए गए जो भी लोग इन कामों में शामिल हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
श्रेया चटर्जी