अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि वो अगले दो दिनों में सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे. हालांकि विधानसभा भंग नहीं की जाएगी. आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा, जो चुनाव तक दिल्ली की सरकार चलाएगा. केजरीवाल ने इस्तीफा देने का ऐलान ऐसे समय में किया है, जबकि हरियाणा में चुनाव का धुआंधार प्रचार-प्रसार चल रहा है. आम आदमी पार्टी राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. आइए जानते हैं अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद हरियाणा में चुनावी गेम कितना बदल जाएगा.
1- केजरीवाल हरियाणा में पूरा फोकस कर पाएंगे
हरियाणा में बीते 10 सालों से बीजेपी की सरकार है, जबकि कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है. इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), जननायक जनता पार्टी (JJP) के उम्मीदवार मैदान में हैं. इस बार केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि हरियाणा में AAP का कैडर उतना मजबूत नहीं है, जितना कि दिल्ली या पंजाब में है. इसलिए अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा आम आदमी पार्टी के लिए मददगार साबित हो सकता है क्योंकि जब केजरीवाल लगातार कार्यकर्ताओं के बीच एक्टिव रहेंगे तो उनका मनोबल मजबूत होगा और वो जी-जान से पार्टी के प्रचार में जुटेंगे.
2- कोई बड़ा नेता नहीं है, इसलिए केजरीवाल की ज्यादा जरूरत है
हरियाणा में आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली और पंजाब की तरह बड़े नेता नहीं हैं. इसलिए पार्टी को हरियाणा में अरविंद केजरीवाल की ज्यादा जरूरत है. अब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद केजरीवाल अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच में रहेंगे. जब केजरीवाल तिहाड़ में थे, उस समय उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने हरियाणा में कई जगहों पर रैलियां कीं. उन्होंने केजरीवाल को हरियाणा के लाल और हरियाणा के शेर के तौर पर पेश किया था. ऐसे में केजरीवाल इस्तीफा देकर हरियाणा में फुल टाइम चुनाव प्रचार कर पाएंगे. केजरीवाल को दिल्ली की जनता की नब्ज पहचानने में माहिर माना जाता है. उन्होंने पंजाब में भी अपनी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाई है और अब हरियाणा में केजरीवाल की परीक्षा होगी.
3- केजरीवाल का गृह जनपद भी हरियाणा में है
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का जादू पूरे देश ने देखा है. वो लगातार तीन बार चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने. हरियाणा का जो हिस्सा एनसीआर में आता है, उसके आस-पास के इलाकों में आम आदमी पार्टी का प्रभाव दिखाई देता है. गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत के अलावा कुरुक्षेत्र और करनाल जैसे कई शहर हैं, जहां आम आदमी पार्टी मजबूती से अपनी तैयारी में जुटी हुई है. इसके अलावा सबसे मुख्य है कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का गृह जनपद भी हरियाणा में है. उनका राज्य के हिसार जिले के खेड़ा में पुश्तैनी गांव है. अकसर राजनीतिक कार्यक्रमों में केजरीवाल खुद को हरियाणा से जोड़ते रहे हैं. केजरीवाल दिल्ली में उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने और काम नहीं करने देने जैसी बातें अपने लोगों के सामने रखेंगे. इसके अलावा अपने इस्तीफे को लेकर कहेंगे कि उन्हें बेईमान और भ्रष्टाचारी साबित करने की कोशिश की गई, जोकि गेमचेंजर भी साबित हो सकती हैं.
4- कांग्रेस-बीजेपी की बढ़ेगी टेंशन
हरियाणा में आम आदमी पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबतक अरविंद केजरीवाल जेल में थे, कांग्रेस और बीजेपी आम आदमी पार्टी को उतनी तवज्जों नहीं दे रही थी. शुरुआत में कांग्रेस की ओर से गठबंधन की कोशिश भी की गई, लेकिन फाइनली दोनों दलों के बीच बात नहीं बन पाई और अलग-अलग चुनाव में उतरने का फैसला किया. अब अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर हैं और उन्होंने ऐसा दांव चला है जोकि हरियाणा की जनता को भावुक कर सकता है. इससे कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी को भी नुकसान हो सकता है क्योंकि शहरी वोटर बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है और आम आदमी पार्टी की स्वीकार्यता भी ग्रामीणों इलाकों के बनिस्बत शहरी इलाकों में ज्यादा है.
5- इस बार 2019 वाले हालात नहीं हैं
कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में कोई बड़ा कमाल नहीं कर पाएगी क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. मगर पार्टी का वोट शेयर केवल 0.48 प्रतिशत रहा था, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है. 2019 के इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी किया है और कई इलाकों में मजबूत भी हुई है. जब अरविंद केजरीवाल हरियाणा के गांव-गांव घूमकर जनता से मिलेंगे तो इसका अलग ही असर होगा. हालांकि ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि अरविंद केजरीवाल का हरियाणा में कितना जादू चलेगा. हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों लिए पांच अक्टूबर को वोट डालेंगे जाएंगे, जबकि आठ अक्टूबर को नतीजे तारीख को घोषित होंगे.
ऋषि कांत