प्लेन क्रैश साइट पर एक नहीं दो चमत्कार... आग के गोले के बीच भी सही सलामत बच गई भगवद्गीता

जहां एक ओर इस दर्दनाक हादसे में 265 लोगों की जानें चली गईं, वहीं प्लेन में 11 A सीट नंबर पर बैठै रमेश विश्वास कुमार चमत्कारिक रूप से जिंदा बच गए.लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह रही कि हादसे के मलबे में एक भगवद्गीता का सही-सलामत हालत में मिलना. भीषण आग के बीच भी उसके पन्नों को कोई खास नुकसान नहीं हुआ. मलवा हटा रहे लोग  इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे है.

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लोगों ने मलवे में सही सलामत मिली भगवद्गीता को दिखाया लोगों ने मलवे में सही सलामत मिली भगवद्गीता को दिखाया

aajtak.in

  • अहमदाबाद ,
  • 13 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

एयर इंडिया के अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रहे बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान का क्रैश हो जाना एक ऐसा हादसा था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.लेकिन प्लेन क्रैश साइट पर दो ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं जो  विज्ञान और तर्क की सीमाओं से अधिक आस्था और चमत्कार की मिसाल बन गई हैं. 

जहां एक ओर इस दर्दनाक हादसे में 265 लोगों की जानें चली गईं, वहीं प्लेन में 11 A सीट नंबर पर बैठै रमेश विश्वास कुमार चमत्कारिक रूप से जिंदा बच गए.लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह रही कि हादसे के मलबे में एक भगवद्गीता का सही-सलामत हालत में मिलना. भीषण आग के बीच भी उसके पन्नों को कोई खास नुकसान नहीं हुआ.मलवा हटा रहे लोग  इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे है.

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क्या कैसे हुआ 

प्लेन अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ मिनटों के भीतर ही मेघानी नगर के एक रिहायशी इलाके में मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की बिल्डिंग से टकरा गया. जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, तो हर ओर चीख-पुकार, आग की लपटें और मलबे का अम्बार था.ऐसे में विश्वास कुमार का जीवित बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं था.उनके अनुसार, प्लेन जैसे ही रनवे पर स्पीड पकड़ने लगा, तभी कुछ अजीब-सा लगा. अचानक 5-10 सेकंड के लिए सब जैसे रुक गया था. सन्नाटा, फिर एकदम से ग्रीन और व्हाइट लाइट्स ऑन हो गईं. लगता था जैसे टेकऑफ के लिए पायलट ने पूरा जोर लगा दिया हो. बस फिर क्या था वो रफ्तार सीधा हॉस्टल की बिल्डिंग में जा घुसी.विश्वास ने बताया कि मेरी सीट प्लेन के जिस हिस्से में थी, वो बिल्डिंग के निचले हिस्से से टकराया होगा. ऊपर के हिस्से में आग लग गई थी, कई लोग वहीं फंसे रह गए.  शायद मैं सीट सहित नीचे गिर गया था. मैं जैसे-तैसे निकल पाया. दरवाजा टूट गया था, और सामने कुछ खाली जगह दिखी, तो निकलने की कोशिश की. वे बताते हैं कि दूसरी साइड पर दीवार थी, वहां से शायद कोई नहीं निकल सका.

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राख से सुरक्षित मिली भगवद्गीता

हादसे के बाद जब राहत और बचाव दल मलबे को हटाने का काम कर रहे थे, तो उन्हें एक किताब दिखाई दी. जिसके पन्ने काले धुएं और राख के बीच भी नहीं जले.यह भगवद्गीता थी.राहत कार्य में लगे एक स्वयंसेवक ने बताया, हमें लगा कि किताब पूरी जल चुकी होगी, लेकिन जब पास जाकर देखा तो पाया कि पन्नों पर सिर्फ हल्की-सी कालिख है.आप उसे अभी भी आसानी से पढ़ सकते हैं.कोई पन्ना जला नहीं था.घटना स्थल पर मौजूद स्थानीय लोगों और राहतकर्मियों ने इसे आस्था से जोड़ते हुए कहा कि ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता.इतने बड़े हादसे में जहां सबकुछ जल गया, वहां भगवद्गीता का इस तरह सुरक्षित मिलना किसी संकेत से कम नहीं है. 

जहां एक ओर जांच एजेंसियां हादसे के पीछे के तकनीकी कारणों की पड़ताल में जुटी हैं, वहीं दूसरी ओर इन दो घटनाओं ने सोशल मीडिया में एक भावनात्मक लहर दौड़ा दी है.लोग विश्वास की बहादुरी और भाग्य पर हैरान हैं, तो वहीं भगवद्गीता की सलामती को दैवीय चमत्कार मान रहे हैं.कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने लिखा, भगवान श्रीकृष्ण की गीता को आग भी नहीं जला पाई, यह कलियुग में एक बड़ा संदेश है.कुछ लोग इसे आस्था की विजय बता रहे हैं. 

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