सहमति से यौन संबंध के बाद शादी से इनकार करना रेप नहीं... सूरत कोर्ट का अहम फैसला, 3 साल बाद युवक सभी आरोपों से बरी

गुजरात में सूरत सेशन्स कोर्ट ने तीन साल पुराने रेप के केस में युवक को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार नहीं है. यह फैसला तीन साल की कानूनी लड़ाई और सबूतों की जांच के बाद सुनाया गया.

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सूरत सेशन्स कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला. (Photo: Representational) सूरत सेशन्स कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला. (Photo: Representational)

ब्रिजेश दोशी

  • सूरत,
  • 28 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST

गुजरात में सूरत सेशन्स कोर्ट ने तीन साल पुराने रेप के मामले में आरोपी युवक को बरी कर उसे रिहा करने का आदेश दिया है. अदालत ने बचाव पक्ष की दलील 'तीन साल तक सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार नहीं' को मान्य रखते हुए यह फैसला सुनाया है.

दरअसल, यह मामला जुलाई 2022 का है. सूरत के डींडोली की रहने वाली बीबीए की पढ़ाई कर रही युवती ने कतारगाम में एम.टेक की पढ़ाई कर रहे युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि युवक ने इंस्टाग्राम के जरिए दोस्ती कर शादी का झांसा दिया और युवती के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए. बाद में उसने शादी से इनकार कर दिया. इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में चार्जशीट पेश की.

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बचाव पक्ष के अधिवक्ता अश्विन जे. जोगड़िया ने अदालत में कहा कि आरोपी ने शिकायत करने वाली युवती के साथ किसी भी प्रकार का जबरदस्ती संबंध नहीं बनाया. प्रेम संबंध टूटने के कारण यह शिकायत दर्ज कराई गई. उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि अगर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप है तो वह बलात्कार नहीं है. अदालत ने इस तर्क को मानते हुए युवक को बरी कर दिया.

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अदालत ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता स्वयं शिक्षित है और अपना भला-बुरा समझ सकती है. चूंकि युवती और युवक की जाति अलग-अलग है, इसलिए युवक और उसकी मां ने शादी करने से इनकार कर दिया. हालांकि, युवती ने आरोपी के साथ अपने रिश्ते को जारी रखा. युवती ने युवक के साथ जाते समय होटल और रेस्टोरेंट में बिना किसी दबाव के अपने पहचान पत्र दिए थे. इसलिए उसके साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं हुई.

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युवती ने आरोप लगाया था कि युवक के साथ संबंध के कारण वह प्रेग्नेंट हो गई, लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान गर्भपात का साक्ष्य रिकॉर्ड में आया. एडवोकेट जोगड़िया ने बताया कि अन्य मेडिकल सबूतों के अलावा डीएनए रिपोर्ट भी युवती और युवक के सैंपल से मेल नहीं खाती. 

इसके अलावा जांच करने वाले डॉक्टर की गवाही में दर्ज है कि युवती ने मेडिकल जांच के दौरान 30 से 35 बार शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी, जिससे बचाव पक्ष को शक हुआ कि युवती को निम्फोमेनिया जैसी मानसिक स्थिति हो सकती है. युवती का मेडिकल करने वाले डॉक्टर ने बचाव पक्ष द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि महिलाओं में अक्सर पुरुषों की तुलना में यौन संबंध बनाने की इच्छा ज्यादा होती है. इसे एक तरह की मानसिक स्थिति माना जाता है.

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