SC में गुजरात सरकार का हलफनामा, अस्पतालों में फायर सेफ्टी के लिए नोडल अफसर नियुक्त

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुजरात हॉस्पिटल में आग की घटना पर राज्य सरकार ने हलफनामा दिया. इस हलफनामे के जरिए राज्य सरकार ने कहा कि फायर सेफ्टी के लिए राज्य में 328 लोगों को नियुक्त किया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो-PTI) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो-PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST
  • हॉस्पिटल में आग लगने पर SC ने मांगा था जवाब
  • गुजरात सरकार ने SC में दाखिल किया हलफनामा

देश में कोरोना के हालात पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुजरात हॉस्पिटल में आग की घटना पर राज्य सरकार ने हलफनामा दिया. इस हलफनामे के जरिए राज्य सरकार ने कहा कि फायर सेफ्टी के लिए राज्य में 328  लोगों को नियुक्त किया गया है. हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी के सभी चाक चौबंद इंतजाम किये गए हैं. 

गुजरात सरकार ने बताया कि फायर सेफ्टी को लेकर राज्य ने चार सदस्यों की कमेटी बनाई है जो व्यवस्था पर लगातार निगहदारी कर रही है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि गुजरात के 240 प्राइवेट हॉस्पिटल में से 61 के पास फायर एन ओ सी नहीं है, इसका क्या मतलब है?

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इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसे तमाम संवेदनशील मसलों पर अमल के लिए सभी हॉस्पिटल में नोडल ऑफिसर तैनात किए गए है. कोर्ट ने पूछा कि आखिर वो नोडल ऑफिसर हैं कौन? क्या एक्सपर्टीज है उनकी? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये तो राज्य सरकार से पूछकर बताना होगा.

इस पर कोर्ट ने कहा कि संबंधित हॉस्पिटल के जिम्मेदार स्टाफ को ही नोडल ऑफिसर नियुक्त करना  चाहिए. कोर्ट ने आगे पूछा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइन को लेकर क्या अपडेट है? गुजरात ने बिना मास्क वालों से 90 करोड़ रुपए जुर्माना वसूला गया है. क्या इसका मतलब ये है कि वहां लोग लापरवाह हैं और बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि राज्य में लोग बड़े पैमाने पर शादियों और अन्य सामाजिक राजनीतिक समारोहों में शामिल हो रहे हैं. ना मास्क पहन रहे हैं और ना ही शारीरिक दूरी की उन्हें परवाह है. राजनैतिक रैलियों में नियमों के उल्लंघन के एक वकील के सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस पर एक्शन लेने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर छोड़ देनी चाहिए. वो ही इस पर नियमन और कार्रवाई की व्यवस्था लागू करे.

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सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि जो डॉक्टर कोविड मरीजों का इलाज कर रहे हैं, उनको पिछले आठ महीनों से कोई ब्रेक नहीं मिला है. कोर्ट ने कहा कि सरकार जल्द इस पर विचार करे. उन चिकित्सा कर्मियों की मानसिक स्थिति के बारे में भी ध्यान देना होगा. अब इन मामलों पर बुधवार को सुनवाई होगी.

 

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