गुजरात के सौराष्ट्र की राजधानी माने जाने वाले राजकोट शहर में इक्कीसवीं सदी के युग में भी अंधविश्वास का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया था. शहर के ग्रीनलैंड चौकड़ी के पास स्थित एक स्थान पर चौहान परिवार द्वारा अपने बीमार बेटे को ठीक करने के उद्देश्य से माताजी की मन्नत रखी गई थी जिसमें लगभग 15 जीवित बकरों की बलि चढ़ाने की तैयारी थी.
इस गैरकानूनी और क्रूर कृत्य की जानकारी मिलते ही जीवदया ट्रस्ट और पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप कर पशुबलि को रोक दिया था. हालांकि, जीवदया ट्रस्ट और पुलिस के पहुंचने से पहले ही 6 पशुओं की बलि चढ़ाई जा चुकी थी, जबकि 9 पशुओं को बचा लिया गया था.
पूरी घटना की जानकारी मिलते ही जीवदया ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं ने पुलिस टीम को साथ लेकर तुरंत मौके पर पहुंचकर रेड डाली थी. इस रेड के दौरान जीवदया ट्रस्ट द्वारा कुल 9 जीवित पशुओं को बचाया गया. लेकिन दुख की बात यह है कि परिवार द्वारा इससे पहले ही 6 पशुओं की बलि चढ़ाई जा चुकी थी. इस घटना से पूरे राजकोट शहर में हड़कंप मच गया है और अंधविश्वास की इस प्रथा पर सवाल खड़े हो गए हैं.
एसीपी भावेश जाधव ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जीवदया ट्रस्ट नामक संस्था को ग्रीनलैंड चौकड़ी के पास इस तरह गैरकानूनी पशुबलि होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद उन्होंने तत्काल पुलिस के साथ पहुंचकर पशुबलि को रोका. हालांकि, 6 बकरों की बलि चढ़ चुकी थी जबकि लगभग 9 बकरों को बचा लिया गया. थोराला पुलिस ने पशु संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई शुरू की है.
रौनक मजीठिया