सूरत में बना देश का पहला सौर ऊर्जा चालित स्मार्ट बस स्टेशन, सालाना 1 लाख यूनिट बिजली होगी पैदा

सूरत में देश का पहला सौर ऊर्जा संचालित बस स्टेशन तैयार हुआ है. सूरत नगर निगम ने अलथान में 1.60 करोड़ रुपये की लागत से देश का यह पहला स्मार्ट बस स्टेशन स्थापित किया. यह स्टेशन वाई-फाई, चार्जिंग और लाइटिंग जैसी सुविधाओं से लैस है.

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सूरत में देश का पहला सौर ऊर्जा चालित स्मार्ट बस स्टेशन सूरत में देश का पहला सौर ऊर्जा चालित स्मार्ट बस स्टेशन

ब्रिजेश दोशी

  • सूरत,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:44 AM IST

स्वच्छता, सौर ऊर्जा और स्मार्ट सिटी के रूप में ख्यातिप्राप्त सूरत अब एक और बड़ी उपलब्धि के साथ देश के समक्ष मिसाल पेश करने जा रहा है. सूरत नगर निगम ने अलथान क्षेत्र में 1.60 करोड़ रुपये की लागत से देश का पहला सौर ऊर्जा संचालित स्मार्ट बस स्टेशन स्थापित किया है.

यह हाई-टेक बस स्टेशन वाई-फाई, मोबाइल चार्जिंग और आधुनिक लाइटिंग सुविधाओं से सुसज्जित है और इलेक्ट्रिक बसों के लिए 24x7 ग्रीन चार्जिंग सिस्टम की सुविधा भी उपलब्ध कराएगा.

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ऊर्जा दक्षता की मिसाल बनेगा बस स्टेशन
देश भर में और राज्य भर में ग्रीन एनर्जी और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में काफी प्रगति हो रही है. सूरत नगर निगम और जर्मन संगठन GIZ (डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनल जुसामेनारबीट) के सहयोग से तैयार इस प्रोजेक्ट के तहत बसों के लिए वाई-फाई और लाइटिंग जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. साथ ही रूफटॉप सोलर पावर प्लांट और सेकेंड लाइफ बैटरी स्टोरेज सिस्टम के जरिए 24*7 ग्रीन चार्जिंग की सुविधा भी मिलेगी.

लाइट एंड एनर्जी एफिशिएंसी सेल के कार्यकारी अभियंता प्रकाश पंड्या ने जानकारी दी कि दिन के समय उत्पन्न सौर ऊर्जा को सेकेंड लाइफ बैटरी में संग्रहित किया जाता है, जिसका उपयोग रात के समय इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने में किया जाता है. इससे गौरवपूर्ण ऊर्जा बचत और ग्रीन चार्जिंग संभव हो पाती है.

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सालाना 1 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए लाइट एंड एनर्जी एफिशिएंसी सेल के कार्यकारी अभियंता प्रकाश पंड्या ने बताया कि सूरत के अलथान इलाके में तैयार देश के पहले सौर ऊर्जा आधारित इलेक्ट्रिक बस डिपो में 100 किलोवाट क्षमता का रूफटॉप सोलर पावर प्लांट और 224 किलोवाट प्रति घंटे की क्षमता वाली बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) स्थापित की गई है. 1.60 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनी इस परियोजना को पूरी तरह से जर्मन सहायता संगठन जीआईजेड के सहयोग से क्रियान्वित किया गया है.

उन्होंने आगे कहा, "इस परियोजना के तहत दिन में सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली को सेकेंड लाइफ बैटरी में संग्रहित किया जाता है. इसका उपयोग रात में इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए किया जाता है. इसके परिणामस्वरूप ग्रिड पर लोड कम हुआ है और अक्षय ऊर्जा का अधिक उपयोग संभव हो पाया है." उन्होंने इस परियोजना का मुख्य आकर्षण बताते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक बस डिपो से सालाना लगभग 1 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और लगभग 6.65 लाख रुपये की ऊर्जा की बचत होगी.

प्रकाश पंड्या ने बताया कि वर्तमान में इस्तेमाल हो चुकी बैटरियों का पुनः उपयोग किया जा रहा है. उन्हें पुनः उपयोग में लाकर उन्हें और अधिक संधारणीय बनाने का प्रयास है. इसलिए यह परियोजना पूरे देश के लिए एक आदर्श साबित होगी. यह परियोजना सूरत नगर निगम की ओर से नेट ज़ीरो एनर्जी और संधारणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी होगी.

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नेट जीरो और सस्टेनेबिलिटी की ओर कदम
इस परियोजना में प्रयुक्त बैटरियों को पुनः उपयोग में लाया गया है, जिससे न केवल लागत कम होती है बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है. यह परियोजना सूरत नगर निगम के नेट जीरो एनर्जी और संधारणीय ऊर्जा लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है.

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