ऐसे तो दिल्ली में समाप्त हो जाएगा यमुना का अस्तित्व... नदी के 75% डूबक्षेत्र पर अवैध अतिक्रमण

कालिंदी कुंज, ओखला, मयूर विहार, गीता कॉलोनी, कश्मीरी गेट और वजीराबाद समेत कई इलाकों में यमुना नदी के O-ZONE एरिया को नक्शे से गायब किया जा चुका है. और सरकार ने यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में जो 10 बायोडायवर्सिटी पार्क बनाए थे, उनमें से 6 पार्क पर अवैध कब्जा है.

Advertisement
दिल्ली में यमुना नदी के 75 फीसदी बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जा. (Aajtak Photo) दिल्ली में यमुना नदी के 75 फीसदी बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जा. (Aajtak Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:48 AM IST

देश की राजधानी दिल्ली में भारत की चौथी सबसे बड़ी नदी 'यमुना' के 75 प्रतिशत डूबक्षेत्र पर अतिक्रमण हो चुका है. लोगों ने नदी के कैचमेंट एरिया में पक्के घर बना लिए हैं. केंद्र और राज्य सरकारों की नाक के नीचे राष्ट्रीय राजधानी में इतना बड़ा अवैध कब्जा कैसे हुआ? दिल्ली विकास प्राधिकरण के एक नए सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र का 75 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जिस पर अतिक्रमण करके अब लोगों ने बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण कर लिया है.

Advertisement

इस क्षेत्र को नदी का 'O-ZONE' एरिया भी कहते हैं, जहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर सख्त प्रतिबंध होता है. लेकिन इस नए सर्वे में बताया गया है कि दिल्ली में यमुना नदी का जो 9,700 हेक्टेयर का बाढ़ क्षेत्र है, उसमें से 7,362 हेक्टेयर पर लोगों ने अवैध कब्जा करके 5 से 7 मंजिला इमारतों का निर्माण कर लिया है और इनमें से ज्यादातर इमारतों में लोेग किराए पर रह रहे हैं. इससे ये पता चलता है कि इस अतिक्रमण के पीछे आम लोग नहीं बल्कि भू माफिया हैं.

यमुना नदी के चारों तरफ बाड़ लगाने के निर्देश

ये भू माफिया लगातार यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र को निगलते जा रहे हैं और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. दिल्ली विकास प्राधिकारण ने यह सर्वे दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर किया है. अगर हाई कोर्ट नहीं होता तो किसी को पता नहीं चलता कि दिल्ली में सड़कों और फुटपाथ के साथ यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर भी अवैध कब्जा हो चुका है. ये अवैध कब्जा तब भी जारी है, जब हाई कोर्ट ने यमुना नदी के चारों तरफ बाड़ लगाकर इसके संवेदनशील क्षेत्र को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं.

Advertisement

दिल्ली के जाकिर नगर इलाके में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में एक नई इमारत का निर्माण हो रहा है और ये इमारत 6 से 7 मंजिला होगी, जिसमें लोग किराए पर रहेंगे और यहां बात सिर्फ इस इमारत की नहीं है. इस इलाके में यमुना नदी के जितने भी हिस्से पर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण हुआ है, उन सभी इमारतों में 30 से 50 कमरे हैं, जहां लोग किराए पर रहते हैं और इन इमारतों से हर महीने कम से कम 1 लाख रुपये का किराया आता है. जबकि ये इमारतें पूरी तरह से अवैध हैं और यमुना नदी के नक्शे में इस जगह पर नदी का बाढ़ क्षेत्र बना हुआ है.

डीएनडी एक्सप्रेसवे से दिख जाता है अतिक्रमण

इसके अलावा ये इमारतें इतनी विशाल हैं कि इन्हें दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी एक्सप्रेसवे से आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि जो अतिक्रमण हमें और आपको इस एक्सप्रेसवे से दिख जाता है, वो यहां से गुजरने वाले सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों को नहीं दिखता. दिल्ली से यमुना नदी की कुल लंबाई का केवल दो प्रतिशत हिस्सा ही गुजरता है. लेकिन, इस दो प्रतिशत हिस्से में दो हजार से ज्यादा स्थानों पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण है.

Advertisement

कालिंदी कुंज, ओखला, मयूर विहार, गीता कॉलोनी, कश्मीरी गेट और वजीराबाद समेत कई इलाकों में यमुना नदी के O-ZONE एरिया को नक्शे से गायब किया जा चुका है. और सरकार ने यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में जो 10 बायोडायवर्सिटी पार्क बनाए थे, उनमें से 6 पार्क पर अवैध कब्जा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले महीने इन पार्क को अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश दिए थे. लेकिन अतिक्रमण वाले माफिया इतने शक्तिशाली हैं कि यमुना नदी के जिस 7,362 हेक्टेयर बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जा है, उनमें से सरकार सिर्फ 700 हेक्टेयर को ही अतिक्रमण मुक्त करा पाई है.

तीन दशक में यमुना के 75% डूब क्षेत्र अतिक्रमण

ये सारा अतिक्रमण पिछले 30 वर्षों के दौरान हुआ है. वर्ष 1990 तक यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर ना के बराबर अवैध कब्जा था. लेकिन इसके बाद नदी के डूब क्षेत्र में बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण होना शुरू हुआ और अब वर्ष 2024 में करीब 75 फीसदी बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जा हो चुका है. ऐसा माना जाता है कि यमुना नदी का अस्तित्व दो करोड़ वर्षों से भी पुराना है और ये गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जिसे सीताजी इतना पवित्र मानती थीं कि एक बार उन्होंने इस नदी से सिर्फ इस लिए क्षमा-याचना की थी, क्योंकि वह इस नदी को भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ एक नाव में बैठ कर पार करना चाहती थीं.

Advertisement

इसी यमुना नदी ने भगवान श्री कृष्ण को जन्म के बाद कंस की जेल से गोकुल पहुंचने के लिए सुरक्षित मार्ग दिया था. आज भी हमारे देश में हर साल लगभग 6 करोड़ लोग यमुना नदी की पूजा-अर्चना करते हैं. सोचिए, जिस नदी को देवी का रूप माना जाता है और जिसकी पूजा की जाती है, उसी के हिस्से को कुछ लोग इस नदी से चुरा रहे हैं और इस पर कब्जा कर रहे हैं. इससे दुखद कुछ और नहीं हो सकता. अगर आप यमुना नदी के लिए कुछ करना चाहते हैं तो आप हमारी इस रिपोर्ट को देखने और पढ़ने के बाद इसे अपने परिवार में और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में जरूर शेयर करें.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement