प्रगति मैदान-सराय काले खां के बीच टनल रोड क्यों है ठप? जानिए खराब प्लानिंग की पूरी कहानी

पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए प्रवेश वर्मा ने 'आजतक' से कहा कि यदि बाढ़ के समय ही ध्यान दिया गया होता, तो स्थिति इतनी खराब न होती. फिलहाल काम रुका हुआ है, और यदि यह शुरू भी होता है, तो इसे पूरा होने में कम से कम 10 महीने लगेंगे.

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टनल का निरीक्षण करते हुए प्रवेश साहिब सिंह वर्मा टनल का निरीक्षण करते हुए प्रवेश साहिब सिंह वर्मा

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

दिल्ली में परियोजनाओं में सालों की देरी का जीता-जागता उदाहरण है प्रगति मैदान को सराय काले खां से जोड़ने वाली टनल रोड. जी-20 शिखर सम्मेलन तक इस 800 मीटर लंबी टनल को बनकर तैयार हो जाना चाहिए थी, लेकिन खराब प्लानिंग के कारण यह अधूरी रह गई. अब इसके अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगे हैं.

'आजतक' की टीम इस टनल के अंदर पहुंची, जिसके शुरू होने के बाद से कई साल बीत चुके हैं. इसके पूरा न होने के कारण सुबह से शाम तक वाहनों की लंबी कतारों से अव्यवस्थित जाम की स्थिति बनी रहती है.

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कैसे साल 2023 की बाढ़ ने इस टनल के रास्ते बंद कर दिए

यह परियोजना भारत मंडपम को रिंग रोड से जोड़ने के लिए जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले पूरी होनी थी, लेकिन देरी तो दिल्ली की परियोजनाओं का हिस्सा बन चुकी है.  इस टनल का काम बमुश्किल 2021 में शुरू हो पाया. इसके ठीक ऊपर से रेलवे लाइन गुजरती है, जिसके कारण इसे पूरा करने में कई चुनौतियां थीं. विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों से एक-एक कर अनुमतियां तो मिलीं, लेकिन असली मुसीबत कहीं और से आई.

2023 में जब परियोजना काफी आगे बढ़ चुकी थी, तभी यमुना में ऐतिहासिक बाढ़ आ गई. रेलवे लाइन के नीचे होने के कारण इस टनल में कंक्रीट के 10 बड़े बॉक्स लगाए गए थे. भारी बारिश के कारण इनमें से तीन बॉक्स कई फीट नीचे धंस गए, खासकर रेलवे लाइन के ठीक नीचे वाले हिस्से में. इससे पूरा ढांचा क्षतिग्रस्त हो गया, और तब से काम पूरी तरह ठप है. 

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टनल शुरू हुआ तो भी भारी वाहन क्यों नहीं जा पाएंगे?
इस टनल की कुल लंबाई केवल 800 मीटर है, जिसमें से 110 मीटर को कवर करने के लिए कंक्रीट के 10 बॉक्स लगाए गए हैं. यमुना के किनारे की मिट्टी दलदली होने के कारण बाढ़ में जब पानी टनल में भरा, तो ढांचे की मजबूती को लेकर चिंताएं बढ़ गईं.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाली सभी ट्रेनें इसके ऊपर से गुजरती हैं, इसलिए रेलवे इस टनल को अनुमति देने में हिचक रहा है. यदि रेलवे अनुमति दे भी दे, तो धंसे हुए बॉक्स के कारण ट्रक और बसों का प्रवेश संभव नहीं लगता. इसके अलावा, शहरी विकास मंत्रालय को भी इस मामले में बड़ी भूमिका निभानी होगी.

क्या कह रहा है टनल बनाने वाला दिल्ली सरकार का पीडब्ल्यूडी विभाग
दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा जब इस टनल का निरीक्षण करने पहुंचे, तो वे स्पष्ट रूप से नहीं बता पाए कि यह सड़क कब तक चालू होगी, या चालू होगी भी या नहीं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे इस मुद्दे पर लगातार बैठकें कर रहे हैं.

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पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने 'आजतक' से कहा कि यदि बाढ़ के समय ही ध्यान दिया गया होता, तो स्थिति इतनी खराब न होती. फिलहाल काम रुका हुआ है, और यदि यह शुरू भी होता है, तो इसे पूरा होने में कम से कम 10 महीने लगेंगे.

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