'जनसंख्या नियंत्रण' को लेकर देश भर में एक सख्त कानून बनाये जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया.
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिविर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर फिरोज बख्त की याचिका पर SC ने ये नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा है.
इस मुद्दे पर दायर अश्विनी उपाध्याय,धर्मगुरु देवकी नंदन ठाकुर, स्वामी जितेन्द्रनंद सरस्वती की याचिकाओं के साथ साथ अब इस याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग कोई नई नहीं है. इसे लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी मोदी सरकार को नोटिस जारी किया था. तब याचिका भी भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित में दाखिल की थी. उन्होंने कहा था कि आबादी का विस्फोट बम से भी ज्यादा घातक है.
बीजेपी नेता ने आगे कहा था कि इस बम के विस्फोट की वजह से शिक्षित, समृद्ध, स्वस्थ और सुगठित मजबूत भारत बनाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं हो सकेगी. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर मांग की थी कि केंद्र सरकार आबादी नियंत्रण के उपायों को देश में लागू करे.
उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को सरकारी नौकरी, सब्सिडी और सहायता पाने के लिए दो बच्चों की नीति को लागू करना चाहिए. बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को अपने संबोधन में बढ़ती जनसंख्या का जिक्र किया था. इससे पहले उन्होंने पीएमओ में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर प्रजेंटेशन दिया था.
पीएम मोदी ने कहा था कि देश को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है. उपाध्याय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष की मेहनत के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया है.
संजय शर्मा