दिल्ली दंगा मामले में आरोपियों को मिलेगी जमानत? सुप्रीम कोर्ट में कल भी जारी रहेगी सुनवाई

दिल्ली में 2020 में हुए दंगों की साजिश रचने के आरोप में गुलफिशा फातिमा, उमर खालिद और शरजील इमाम जेल में बंद हैं. तीनों के वकीलों ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान ट्रायल में हो रही लंबी देरी और UAPA की कठोर धाराओं के अनुपयोगी इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठाए.

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सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले में ट्रायल की देरी और UAPA के दायरे पर विस्तृत सुनवाई कर रहा है. (File Photo: ITG) सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले में ट्रायल की देरी और UAPA के दायरे पर विस्तृत सुनवाई कर रहा है. (File Photo: ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

2020 दिल्ली दंगों से संबंधित साजिश मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को विस्तृत सुनवाई हुई. अदालत में तीन प्रमुख आरोपियों गुलफिशा फातिमा, उमर खालिद और शरजील इमाम की ओर से वकीलों ने ट्रायल में हो रही लंबी देरी और UAPA की कठोर धाराओं के अनुपयोगी इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठाए. अब मामले पर सुनवाई कल बुधवार को भी जारी रहेगी.

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गुलफिशा फातिमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी मुवक्किल लगभग छह साल से जेल में हैं. 16 सितंबर 2020 को एक मुख्य चार्जशीट दायर की गई थी, लेकिन जांच एजेंसियां लगातार सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करती रहीं. उन्होंने कहा, “चार सप्लीमेंट्री और एक मेन चार्जशीट फाइल हो चुकी है. ट्रायल शुरू होने का कोई संकेत नहीं. बिना सजा के इतनी लंबी कैद हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का मजाक है. यह प्री-ट्रायल पनिशमेंट है.”

सिंघवी ने हाईकोर्ट द्वारा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को दी गई जमानत का हवाला देते हुए कहा कि उन पर गंभीर आरोप थे और वे उसी WhatsApp ग्रुप (DPSG) से जुड़े थे, जबकि गुलफिशा उस ग्रुप की सदस्य भी नहीं थीं. उन्होंने तर्क दिया कि अब एक 32 वर्षीय महिला को UAPA में जेल में रखना उचित नहीं है.”

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उमर खालिद की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि खालिद 13 सितंबर 2020 से अब तक यानी 5 साल 3 महीने से जेल में है. उनके अनुसार, पुलिस की दलील सिर्फ इस बात पर आधारित है कि खालिद ने 17 फरवरी को महाराष्ट्र में एक भाषण दिया था. सिब्बल ने कोर्ट में भाषण का वीडियो चलाते हुए कहा कि भाषण महात्मा गांधी के आदर्शों पर था. इसमें हिंसा या नफरत को बढ़ावा देने जैसा कुछ नहीं.

उन्होंने कहा कि जांच में देरी जानबूझकर की गई और पुलिस ने चार्ज पर बहस शुरू होने से पहले बार-बार कहा कि जांच पूरी नहीं हुई. “यदि जमानत नहीं मिली तो बिना ट्रायल के 8 साल तक जेल में रहना पड़ेगा.”

शरजील इमाम की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ दबे ने कहा, “सरकार ने उन्हें खतरनाक इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट का लेबल दे दिया, जबकि उन्हें किसी भी केस में अब तक सजा नहीं मिली. भाषणों के अलावा साजिश का कोई सीधा सबूत नहीं है."

सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले में ट्रायल की देरी और UAPA के दायरे पर विस्तृत सुनवाई कर रहा है. आगे की सुनवाई बुधवार को होगी.

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