भोजशाला मामले में SC पहुंचा मुस्लिम पक्ष, ASI सर्वे पर रोक लगाने की मांग, कल होगी सुनवाई

भोजशाला में साइंटिफिक सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले को चुनौती दी है. याचिका में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई है. मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट एक अप्रैल को सुनवाई करेगा.

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सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 8:44 AM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के बाद धार जिले में स्थित भोजशाला का आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम द्वारा सर्वे दिया जा रहा है. अब इस साइंटिफिक सर्वे पर रोक लगाने का मांग को लेकर मुस्लिम पक्ष ने फिर सुप्रीम कोर्ट को दरवाजा खटखटाया है. मुस्लिम पक्ष की इस याचिका पर उच्चतम न्यायालय सोमवार यानी एक अप्रैल को सुनवाई करेगा.

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मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले को चुनौती दी है और भोजशाला में चल रहे सर्वे पर रोक लगाने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट एक अप्रैल को जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की सनुवाई करेगी.

11 मार्च को HC ने दिया सर्वे का आदेश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में हिंद फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर फैसला सुनाते हए 11 मार्च को भोजशाला में एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और देवनारायण मिश्रा की पीठ ने अपने आदेश देते हुए कहा कि एक्सपर्ट कमेटी दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम सहित सभी उपलब्ध वैज्ञानिक तरीकों के साथ परिसर के पचास मीटर के दायरे में समुचित स्थानों पर जरूरत पड़ने पर खुदाई करा कर सर्वेक्षण करे.

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29 अप्रैल से पहले सौंपनी होगी रिपोर्ट

अदालत ने कहा कि परिसर में कार्बन डेटिंग विधि द्वारा एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जानी चाहिए, जिससे जमीन के ऊपर और नीचे दोनों तरह की संरचना कितनी पुरानी है और उनकी  उम्र का पता लगाया जा सके. अदालत ने यह भी कहा कि सर्वेक्षण ये कार्यवाही दोनों पक्षों को दो प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जाए और उसकी वीडियोग्राफी होनी चाहिए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है. साथ ही कोर्ट ने ASI को 29 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.

राजा भोज ने बनवाई थी भोजशाला

हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है. जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था, लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था. इसी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था. जिस पर पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया.

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क्या है भोजशाला का इतिहास

आपको बता दें कि हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था. यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना जाने लगा. इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते थे.

ऐसा कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया. बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी.

बताया जाता है कि 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी. इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली. इस प्रतिमा को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गया. फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है.

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