जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी उमर मोहम्मद उर्फ उमर नबी की आई 20 कार की हर मूवमेंट अब सामने है. कुल 43 सीसीटीवी फुटेज में यह साफ हो गया है कि उमर न केवल कई संवेदनशील और VVIP इलाकों से गुजरा, बल्कि यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या अगर पुलिस समय रहते कुछ बुनियादी जांच कर लेती, तो लाल किले पर हुआ बम धमाका रोका जा सकता था.
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि 29 और 30 अक्टूबर को उमर की आई ट्वेंटी कार फरीदाबाद यूनिवर्सिटी के अंदर खड़ी थी. सीसीटीवी फुटेज यह दिखाते हैं कि उमर नबी यूनिवर्सिटी के ही आसपास था और कार भी वहीं मौजूद थी. यह बात इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ठीक एक दिन पहले 28 अक्टूबर को उमर का करीबी और साथी आतंकी मुजम्मिल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका था.
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मुजम्मिल पूछताछ में बता चुका था कि उसका एक और साथी उमर नबी अभी फरार है. अगर उस समय यूनिवर्सिटी के सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल की जाती, तो पुलिस को सीधे-सीधे उमर की लोकेशन और उसकी कार का पता चल सकता था.
यह सुराग एजेंसियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता, क्योंकि इसके बाद कार के नंबर पर अलर्ट जारी किया जा सकता था, और इसकी तलाश दिल्ली–NCR में शुरू की जा सकती थी.
30 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी से निकला और कई इलाकों में घूमता रहा
सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, 30 अक्टूबर को उमर यूनिवर्सिटी से निकलकर फरीदाबाद के कई अलग-अलग इलाकों में घूमता रहा. यहां भी वह कई बार कैमरों में दर्ज हुआ. इसके बाद करीब 10 दिन तक उमर की लोकेशन कई जगह बदलती रही, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया.
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फिरोजपुर झिरका एटीएम से 9 नवंबर का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. उमर कथित तौर पर पैसे निकालने एटीएम गया था. फुटेज में i20 कार को एक एटीएम के पास देखा जा सकता है. दूसरा व्यक्ति कार से उतरता हुआ दिखाई दे रहा है. दूसरे व्यक्ति से एजेंसियों ने इसी मामले में पूछताछ की है. सीसीटीवी के आधार पर संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
9 नवंबर को उसकी आई-20 कार पहली बार फिर से कैमरे में दर्ज हुई, इस बार दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेस-वे पर. अगली सुबह यानी 10 नवंबर की सुबह 8 बजे उमर बदरपुर बॉर्डर से दिल्ली में एंट्री करता है. दिल्ली में एंट्री के बाद जो फुटेज सामने आए हैं, वे बताते हैं कि आई-20 कार दिल्ली के इन संवेदनशील इलाकों में घूमती रही. इनमें अकबर रोड, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट, तुगलक रोड, अरुणा आसफ अली मार्ग और दरियागंज शामिल हैं.
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सीसीटीवी फुटेज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि इन सभी वीआईपी इलाकों से होकर गुजरने के बाद उमर की कार सीधे लाल किले पर पहुंचती है. वहां पहुंचने के बाद उसने बम धमाके को अंजाम दे दिया.
सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद यह सवाल है कि क्या लाल किले पर धमाका रोका जा सकता था? दरअसल, 28 अक्टूबर को मुजम्मिल गिरफ्तार हुआ था, जिसने बताया था कि उसका साथी उमर भी शामिल है. अगर 29-30 अक्टूबर को जांच होती, तो उमर की कार और लोकेशन पुलिस के सामने आ सकती थी. कार नंबर पर तुरंत अलर्ट जारी होता, तो यह वाहन दिल्ली–NCR में किसी भी चेकिंग प्वाइंट पर रोका जा सकता था.
अरविंद ओझा / श्रेया चटर्जी