'मैंने सिर्फ 1200 महीना किराया लिया...' दिल्ली ब्लास्ट की साजिश वाले मुजम्मिल को कमरे पर रखने वाले मद्रासी की पूरी कहानी

दिल्ली लाल किला ब्लास्ट मामले में आरोपी डॉ. मुजम्मिल को 1200 रुपये महीने पर कमरा देने वाले मकान मालिक मद्रासी ने बताया कि मुजम्मिल13 सितंबर को आया, दो महीने का किराया देकर सामान रखकर चला गया और फिर कभी नहीं लौटा. जांच में खुलासा हुआ कि मुजम्मिल, अदील और उमर दो साल से साजिश रच रहे थे. उनकी डायरियों से 20 लाख रुपये जुटाने, 20 क्विंटल NPK खरीद और गुप्त चैट ग्रुप के सबूत मिले हैं.

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मुजज्मिल के बारे में मद्रासी ने पूरी कहानी बताई (Photo ITG) मुजज्मिल के बारे में मद्रासी ने पूरी कहानी बताई (Photo ITG)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए पहलू सामने आ रहे हैं. डॉक्टर मुजम्मिल, डॉक्टर अदील की गिरफ्तारी के बाद अब आजतक उस मकान मालिक तक पहुंची है जिसने इन साजिशकर्ताओं में से एक को किराये पर कमरा दिया था. इस व्यक्ति खुद को मद्रासी नाम से ही पहचान बना रखी है और इसी नाम से इलाके में जाना-पहचाना जाता है.

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गुरुग्राम-नूंह के ग्रे इलाकों में किराये पर कमरे देने वाले ऐसे कई लोग मिल जाते हैं, लेकिन इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुजम्मिल को कमरा देने वाले मद्रासी को यह तक नहीं पता था कि उसका किरायेदार कौन है, कहां काम करता है और किस मंशा से वहां रह रहा है. मद्रासी बताते हैं—मैंने तो बस 1200 रुपये महीने में कमरा दिया था. वह आया, बोला कमरे की जरूरत है, मैंने दे दिया. उसके बाद न उससे मुलाकात हुई, न बात. जो हुआ अच्छा नहीं हुआ.

13 सितंबर को आया था... कमरे की जरूरत बताई

 मद्रासी ने कहा वह 13 सितंबर को आया था. बोला कि कमरा चाहिए. मैं किराये पर कमरे देता हूं, मैंने उसी तरह उसे भी एक कमरा दिखा दिया.उन्होंने आगे बताया, वह दिखने में बिल्कुल सामान्य लड़का था. पढ़ा-लिखा लगता था. बोला डॉक्टर हूं. मैंने बस इतना पूछा कि कहां ड्यूटी है, किस वार्ड में? उसने कहा कि अभी जॉइनिंग प्रोसेस में हूं. मुझे भी कुछ खास जानना नहीं था. दो महीने का किराया दिया 2400 रुपये. सामान रखा और चला गया. मद्रासी के अनुसार उसके बाद वह दोबारा कभी नहीं आया. वे कहते हैं कि कभी फोन पर बात भी नहीं हुई. कमरे में रखा सामान क्या था—यह भी उन्होंने कभी नहीं देखा. मेरे पास कौन-सा सीसीटीवी है जो मैं हर कमरे पर निगाह रख सकूं. 

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जांच से निकल रहा खतरनाक नेटवर्क

दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के सूत्रों ने खुलासा किया है कि लाल किला धमाका कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि पिछले दो साल से बुनी जा रही एक बड़ी साजिश का हिस्सा था. मुख्य साजिशकर्ता बताये जा रहे तीन नाम डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदील और डॉ. उमर. इन तीनों ने मिलकर लगभग 20 लाख रुपये कैश जुटाया, जो बाद में उमर को दिया गया. पुलिस के मुताबिक यह पैसा IED बनाने की सामग्री इकट्ठा करने में लगाया गया. इसी रकम से गुरुग्राम, नूंह और आसपास के इलाकों से 3 लाख रुपये खर्च कर 20 क्विंटल से ज़्यादा NPK उर्वरक खरीदा गया—जो विस्फोटक तैयार करने में इस्तेमाल होता है.

गुप्त चैट ग्रुप—सिग्नल ऐप से पूरी प्लानिंग

जांच में यह भी सामने आया है कि उमर ने सिग्नल ऐप पर 2–4 सदस्यों वाला छोटा ग्रुप बनाया था. इसमें अदील और मुजम्मिल भी शामिल थे. सारा कॉर्डिनेशन, पैसे का लेनदेन, मैटेरियल की खरीद और ट्रांसपोर्ट की जानकारी इसी ग्रुप के माध्यम से साझा होती थी. एजेंसी के एक अधिकारी के अनुसार ये लोग जानबूझकर छोटा ग्रुप रखते थे ताकि लीक होने का खतरा कम रहे. मैसेज तुरंत डिलीट करते थे और कोड वर्ड्स में चर्चा करते थे.”

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डायरी और नोटबुक—दो साल की साजिश का खुलासा

डॉक्टर उमर और डॉक्टर मुजम्मिल के कमरों से बरामद डायरी और नोटबुक ने पूरी जांच की दिशा बदल दी है. ये डायरी अलफला यूनिवर्सिटी के कैंपस में स्थित रूम नंबर 4 (डॉ. उमर) और रूम नंबर 13 (डॉ. मुजम्मिल) से मिली है. पुलिस को एक और डायरी उस कमरे से मिली जहां से धौज में 360 किलो विस्फोटक बरामद किया गया था. यह जगह यूनिवर्सिटी से महज 300 मीटर की दूरी पर है. कई अधिकारियों का मानना है कि ये डायरी आने वाले दिनों में पूरी साजिश को समझने की कुंजी हो सकती हैं. डायरी में दर्ज कई पन्नों में कोड वर्ड्स, लोकेशन संकेत, तारीखें, प्रयोग सामग्री और लगभग 25 लोगों के नाम लिखे मिले हैं अधिकतर नाम जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद इलाके के हैं, जो अब पुलिस की जांच के दायरे में हैं.

8 से 12 नवंबर की एंट्री—सबसे बड़ा सुराग

डायरी में 8 से 12 नवंबर की तारीखों पर कई एंट्री हैं, जिनमें कुछ विशेष संकेत लिखे हुए हैं. दिल्ली में 10 नवंबर को कार ब्लास्ट हुआ था, और डायरी में दर्ज बातों से साफ पता चलता है कि यह सब पहले से तय और योजनाबद्ध था. जांचकर्ता बताते हैं— नवंबर की एंट्री से साफ है कि 8–12 तारीख के बीच कुछ बड़ा करने की तैयारी थी. हम कोड्स को डिकोड कर रहे हैं. इसमें उस वाहन, रास्तों और समय का उल्लेख भी हो सकता है. 

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मकान मालिक मद्रासी अब खुद सदमे में

जैसे-जैसे कमरे की जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे मद्रासी का बेचैन होना बढ़ गया. वे बार-बार एक ही बात कहते रहे मैं बस कमरा देता हूं. मैं क्या जानता था कि वह ऐसा करेगा?  उनके घर के बाहर खड़े पड़ोसी भी हैरान थे.एक बुजुर्ग बोले मद्रासी तो सीधा-सादा आदमी है. कभी किसी से लड़ाई नहीं. किराएदार आते-जाते रहते हैं. किसे पता कि कौन क्या करता है.

दिल्ली और NCR में संभावित अन्य ठिकाने

सीनियर अफसरों के मुताबिक, यह सिर्फ दिल्ली ब्लास्ट का मामला नहीं है. यह एक पूरे नेटवर्क का हिस्सा लगता है. दो साल की तैयारी और इतने बड़े लेवल पर सामग्री जुटाना अकेले संभव नहीं.

गांव और यूनिवर्सिटी में सन्नाटा

धौज गांव के आसपास लोग अब भी सदमे में हैं. अलफला यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र पिछले दो दिनों से बाहर निकलते समय डरे हुए दिखते हैं. वहां अफवाहें भी तेजी से फैलीं कि कुछ और नाम सामने आने वाले हैं. हालांकि प्रशासन ने माहौल शांत रखने का अनुरोध किया है. एक स्थानीय छात्र ने कहाकि सोचा भी नहीं था कि हमारे हॉस्टल के ही पास कोई इतना खतरनाक प्लान कर रहा होगा. लगातार पुलिस आ रही है, फॉरेंसिक टीम घूम रही है. माहौल डरावना हो गया है.

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