बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाए जाने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने चाइल्ड एंड वेलफेयर मंत्रालय से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने कहा है कि याचिककर्ता के साथ चाइल्ड एंड वेलफेयर मंत्रालय एक मीटिंग करे और 3 हफ्ते में कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करे. उसके बाद कोर्ट इस मामले पर विचार करेगा.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बच्चा गोद लेने से संबंधित समस्याओं के बारे में चिंता जताई. इस मामले में पीयूष सक्सेना नाम के शख्स ने एक याचिका दाखिल की है. उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि महिला और बाल कल्याण मंत्रालय को 'हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम' के व्यापक प्रचार-प्रसार का आदेश दिया जाए.
गैर जरूरी जानकारी ना मांगी जाए
इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को निर्देश दिया जाए कि वह गोद लेने की प्रक्रिया को और ज्यादा सरल बनाए. इसके अलावा, बच्चा गोद लेने के मामले में गैरजरूरी जानकारी ना मांगी जाए.
अनाथ बच्चों को व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाए
पीयूष की याचिका में ये भी कहा गया है कि एक एडॉप्शन प्रीपेयर स्कीम बनाई जाए, जिसके तहत हर जिले में ग्रेजुएट्स को ट्रेनिंग दी जाए ताकि वो गोद लेने की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों की मदद कर सकें. वहीं, अनाथ बच्चों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराए जाने और ब्लॉक स्तर पर इन बच्चों के व्यवसायिक प्रशिक्षण दिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई है.
कानूनी जटिलताओं की वजह से नहीं ले पा रहे बच्चे गोद
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में केंद्र सरकार को आदेश देने की मांग की है कि बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, जिससे अनाथ बच्चों को गोद लेने की संख्या में सुधार हो सके. याचिका में दिए आंकड़े के मुताबिक देशभर में फिलहाल लगभग 3 करोड़ 10 लाख अनाथ बच्चे हैं, लेकिन कानूनी जटिलताओं की वजह से पिछले 5 साल में सिर्फ 16,353 बच्चों को गोद लिया जा सका है.
संजय शर्मा