दिल्ली की वेस्ट डिस्पोजल टेक्नोलॉजी के कायल हुए डीके शिवकुमार, बोले- बेंगलुरु में भी अपनाएं

पत्रकारों से बातचीत में डीके शिवकुमार ने कहा, 'नई दिल्ली की सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल टेक्नोलॉजी देश में अब तक देखे गए सभी मॉडलों में सबसे बेहतरीन है. सीमित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कचरे का प्रबंधन किया जा रहा है. हमारे राज्य में 10 से 15 मेगावॉट के संयंत्र जो कचरे से बिजली पैदा करते थे, वे असफल रहे थे, लेकिन नई दिल्ली में 25 मेगावॉट का संयंत्र सफलतापूर्वक काम कर रहा है.'

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कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार (फोटो: एक्स) कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार (फोटो: एक्स)

aajtak.in

  • बेंगलुरु,
  • 10 जून 2025,
  • अपडेटेड 3:32 AM IST

दिल्ली नगर निगम के ठोस कचरा निपटान संयंत्र (Solid Waste Disposal Unit) का दौरा करने के बाद कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि देश में यह अब तक की सबसे आधुनिक और प्रभावी कचरा निपटान प्रणाली है. उन्होंने कहा कि वह इस मॉडल को बेंगलुरु में भी लागू करने पर अपने कैबिनेट सहयोगियों से चर्चा करेंगे.

'दिल्ली का मॉडल देश में सबसे बेहतरीन'

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पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, 'नई दिल्ली की सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल टेक्नोलॉजी देश में अब तक देखे गए सभी मॉडलों में सबसे बेहतरीन है. सीमित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कचरे का प्रबंधन किया जा रहा है. हमारे राज्य में 10 से 15 मेगावॉट के संयंत्र जो कचरे से बिजली पैदा करते थे, वे असफल रहे थे, लेकिन नई दिल्ली में 25 मेगावॉट का संयंत्र सफलतापूर्वक काम कर रहा है.'

उन्होंने कहा, 'मैं जिंदल ग्रुप को इतनी प्रभावी 'वेस्ट टू पावर' यूनिट स्थापित करने के लिए बधाई देता हूं. यह मेरे लिए एक सीख है और मैं इस मॉडल को कर्नाटक में अपनाने पर अपने कैबिनेट सहयोगियों से बात करूंगा.'

'दिल्ली में बेहद अच्छे से हो रहा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल'

डीके शिवकुमार ने बताया कि बेंगलुरु का ठोस कचरा शहर के चार बाहरी इलाकों में निपटाने की योजना है, जिनमें से दो के लिए टेंडर्स पहले ही जारी किए जा चुके हैं. चेन्नई में कचरे से गैस बनाई जाती है, जबकि हैदराबाद और दिल्ली दोनों जगह कचरे से बिजली और गैस दोनों का उत्पादन होता है. नई दिल्ली इस आधुनिक तकनीक का बहुत कुशलता से उपयोग कर रही है.

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बेंगलुरु में बदबू के चलते विरोध

उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में कचरा निपटान संयंत्रों को लेकर स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है क्योंकि इससे बदबू आती है. हमें तालुका और जिला मुख्यालयों में भी इसी तरह का विरोध झेलना पड़ रहा है, लेकिन दिल्ली ने इस समस्या का समाधान कर दिया है. यहां बिना बदबू के संयंत्र सफलतापूर्वक चल रहे हैं. हमने अपने अधिकारियों के साथ दिल्ली मॉडल का निरीक्षण किया है और यहां की कचरा निपटान नीति का भी अध्ययन करेंगे.

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