CM Rekha Gupta on Delhi Air Pollution: दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए विस्तृत योजना की घोषणा की है. इसमें आईआईटी कानपुर के सहयोग से कृत्रिम वर्षा का पायलट प्रोजेक्ट, वर्षभर वॉटर स्प्रिंकलर व एंटी-स्मॉग गन का संचालन, और नई रोड स्वीपर मशीनें शामिल हैं. निर्माण कचरा प्रबंधन के लिए नियम, वाहनों से उत्सर्जन घटाने के उपाय, और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों का विस्तार किया जाएगा. 5 जून से 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत 70 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य है, साथ ही कूड़े के पहाड़ों को समाप्त करने की योजना पर भी कार्य होगा. ये जानकारियां दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर दी है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ किया है कि आने वाली सर्दियों में ऑड-इवन स्कीम लागू नहीं की जाएगी. उन्होंने बताया कि सरकार का मानना है कि यह योजना लोगों की परेशानी बढ़ाने के लिए पिछली सरकारों ने लाई थी, पर प्रदूषण कम करने पर इसका असर नहीं हुआ.
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर इस साल के वायु प्रदूषण मिटिगेशन प्लान का शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली लंबे समय से वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है. "क्लीन दिल्ली, ग्रीन दिल्ली और हेल्थी दिल्ली" के लिए सरकारी प्रयास तेज किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि प्रदूषण कम करने के लिए लेटेस्ट इनोवेशन और तकनीकी उपाय अपनाए जाएंगे.
विज्ञान संगठनों के साथ सहयोग
रेखा गुप्ता ने कहा, प्रदूषण को कम करने के लिए खत्म करने के लिए हमारे जीतने भी साइंस ऑर्गेनाइजेशन हैं हम उनके साथ MoU (एमओयू) करेंगे. जो कि अपने लेटेस्ट इनोवेशन आइडियाज उसको दिल्ली सरकार के साथ मिलकर के प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने में सहयोग करेंगे.
क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम वर्षा का पायलट प्रोजेक्ट
उदाहरण के लिए दिल्ली सरकार ने अभी IIT कानपुर के साथ एक एमओयू साइन किया. जो कि क्लाउड सीडिंग और आर्टिफीसियल बारिश पर आधारित है. जिसको हमने एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने की मंजूरी दी है और बहुत जल्द दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग के द्वारा आर्टिफीसियल बारिश की जाएगी.
नवाचार के माध्यम से युवाओं को जोड़ने की योजना
इसी तरीके से प्रदूषण से लड़ने के लिए हम लोगों ने अनेकों युवाओं को इसके साथ जोड़ने के लिए जो स्टार्ट अप्स है और जो इनोवेशनल चैलेंजेस दिल्ली के प्रदूषण को लेकर के हम आमंत्रित करेंगे की जो की कॉस्ट इफेक्टिव भी होंगे और इफेक्टिव सलूशन भी दिल्ली को दे पाएंगे कि किस-किस तरीके से हम इस एयर प्रदूषण के चैलेंज को कम कर पाएं.
प्रदूषण सालभर की समस्या, सर्दियों तक सीमित नहीं
इससे पहले क्या होता था पहले की सरकारों दिल्ली गवर्नमेंट के लेवल पे कम काम हो पाता था परंतु कहीं एमसीडी के लेवल पर कहीं एमसी के लेवल पर कुछ कुछ वाटर स्प्रिंक्लर चलते हुए दिखाई देते थे. वो भी तब जब भरी सर्दी होती थी और सर्दी के समय में ये माना जाता था कि अब प्रदूषण का समय शुरू हो गया. पर सच मानिये बहुत ज्यादा डीटेल्स स्टडी करने के बाद हम लोग इस नतीजे पर हैं की प्रदूषण जो है केवल मात्र दो महीने का काम नहीं है. ये साल भर रहने वाला प्रॉब्लम है.
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मई में भी प्रदूषण, कोर्ट और सरकार को करनी पड़ती है सख्ती
आज मई में भी अगर आप प्रदूषण को चेक करते हैं तो देखते हैं कि ज्यादा है. कोर्ट को ग्रैब लगाना पड़ता है या सरकार को ग्रैब लगाना पड़ता है. तो आप मानिए कि ये तो 12 महीने साल भर देहांत करने वाली एक सेगमेंट है.
पूरे साल तैनात रहेंगे वॉटर स्प्रिंकलर और एंटी स्मोक गन
तो इसलिए दिल्ली सरकार की ओर से हमने योजना बनाई है कि मानसून का वो समय छोड़ कर के उसके अलावा पूरा साल भर 1000 वाटर स्प्रिंक्लर और 140 ऐंटी स्मोक गन पूरे के पूरे दिल्ली में तैनात रहेंगे.
हर वार्ड में डस्ट नियंत्रण की व्यवस्था
हर वार्ड में हर विधानसभा में वो लोग काम करेंगे ताकि किसी भी प्रकार का एयर में जो डस्ट पार्टिकल है उसको कंट्रोल किया जाए और इसी प्रकार 70 नई मेकानिकल रोड स्वीपर मशीनें हम दिल्ली की ओर से ले रहे हैं, जो कि रोड क्लीनिंग भी करेंगे. डस्ट कंट्रोल भी करेंगी जो इंटिग्रेटेड होगी.
डम्पिंग व्हीकल से मलबा उठाने की व्यवस्था
20 डम्पिंग व्हीकल्स से यानी की आपकी स्वीपिंग मशीन कहीं से मलबा उठा रही है तो उसे कहीं मूव ना करना पड़े. डम्पिंग व्हीकल वहीं आएगा, उससे पूरा मलबा लेगा और जो भी उसका वेस्ट है. उसको कलेक्ट करेगा और वो जाककर डम्पिंग साइड पर छोड़ के आएगा.
70 इलेक्ट्रिक लीटर पीकर्स की तैनाती
इसी तरीके से 70 इलेक्ट्रिक लीटर पीकर्स जो कि पूरा जो गंदगी है उसको उठा कर पाएगा. ऐसी 70 इलेक्ट्रॉनिक लीटर पीकर्स भी हम उन मशीनों के 770 मेकानिकल स्वीपिंग मशीनों के साथ में जोड़ के उसे काम पर लगाएंगे.
इंटीग्रेटेड मशीनों के साथ समन्वित सफाई
इलेक्ट्रिक लीटर पीकर्स मशीन के साथ 30 वाटर टैंकर चलेंगे. क्योंकि ये जो स्वीपिंग मशीन है इसमें इंटिग्रेटेड जो है वो वाटर स्प्रिंक्लर भी है. स्मोक टावर भी है. ये पूरी मशीनरी इकट्ठे काम करेगी कि वहीं छिड़काव भी होगा. वहीं से गंदगी उठाई जाएगी और वही लीटर पीकर के द्वारा बाकी की गार्बेज भी इकट्ठी की जाएगी. तो दिल्ली सरकार के द्वारा इसे भी मंजूरी दे गयी है और इसके लिए हमने बजट भी पहले ही दे दिया गया था.
प्रदूषण हॉटस्पॉट्स पर विशेष छिड़काव व्यवस्था
इसके अलावा हमने डस्ट पॅलूशॅन और कंट्रोल करने के लिए हमने दिल्ली में 13 पॅलूशॅन हॉटस्पॉट जहां सबसे ज्यादा पॅलूशॅन रहता है, इन सभी हॉटस्पॉट्स पक वहां पर, जो बड़े बड़े पोल्स है, उसके ऊपर लगाएंगे ताकि ये जो स्प्रिंकल होगा, डाली जाएगी. उसके कारण से उस एरिया में जो की हॉटस्पॉट है, वहां क्या डस्ट पार्टिकल भी हम कर सके.
बड़ी इमारतों पर एंटी स्मोक गन लगाना अनिवार्य
इसके अलावा जितनी हाईलाइज़ बिल्डिंग है, विशेष रूप से 3000 स्क्वायर मीटर से बढ़ी हुई जितनी भी कमर्शियल बिल्डिंग है, मॉल हैं, होटल हैं, इन सब पे ऐंटी स्मोकन लगाना अनिवार्य होगा. जो कि पूरी दिल्ली में हजारों की तादाद में आ जाएंगी और उसके कारण से भी पूरी दिल्ली में डस्ट मिटिगेशन का काम हो पाएगा.
सड़क मरम्मत से भी धूल नियंत्रण
सड़कों की मरम्मत एक बहुत बड़ा दूसरा माध्यम है ब्राउन एरिया कवर करने का और इसको भी हम करेंगे. उससे भी डस्ट पॅलूशॅन कम होगा.
निर्माण स्थलों पर सख्ती और एआई आधारित निगरानी
कंस्ट्रक्शन साइट्स है और जो डेमोलिशन वेस्ट है, ये बहुत बड़ा हिस्सा है दिल्ली के एयर पॅलूशॅन को बढ़ाने के लिए. इसके लिए हमने जो है 500 स्क्वायर मीटर से बड़े हुए जीतने इससे बड़े जीतने भी प्रोजेक्ट हैं वो डीपीसीसी की जो रजिस्ट्रेशन उसके अंदर अनिवार्य होगा. ऑन प्रॉपर्टीस का और कंस्ट्रक्शन साइट पर भी उनका रजिस्ट्रेशन जो है डिस्प्ले होना होगा, मांडेटोरी किया जाएगा और एआई आधारित आटोमेटिक नोटिस उनको दिए जाएंगे. जुर्माना लगाया जाएगा यदि वो डीपीसीसी पोर्टल के माध्यम से जो 14 पॉइंट देंगे डस्ट पॅलूशॅन रिडक्शन टूल किट के. उन 14 पॉइंट्स को उनको अनिवार्य रूप से फॉलो करना होगा.
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डीपीसीसी पोर्टल पर पूरी निगरानी
उसकी रिपोर्ट देनी होगी सरकार को और डीपीसीसी जो है तुरंत अपना पोर्टल टू जिसमे मॉडर्न एआई और मशीन लर्निंग फीचर्स रहेंगे. जिसके माध्यम से इन सभी प्रॉपर्टीस का फुल ऑब्सर्वेशन रहेगा और एक भी अगर वो प्रॉपर्टी डीपीसीसी की गाइडलाइन को फॉलो नहीं करेगी तो तुरंत वो ट्रेस हो पाएगी और उसका उसके ऊपर तुरंत कार्रवाई भी की जाएगी.
सीएंडडी वेस्ट के लिए क्या कर रही सरकार?
दिल्ली सरकार के द्वारा जो सीएंडडी वेस्ट का एक वेस्ट प्रोसेसिंग कैपेसिटी हम उसको बड़ा कर रहे हैं, उसका कार्य भी हम जल्द पूरा करने की स्थिति में आएंगे. जिससे दिल्ली में यहां-वहां जितना मलबा है वो प्रोसेसर हो पाए.
सीएंडडी वेस्ट को हम खत्म कर पाए ये गवर्नमेंट के लिए एक बहुत ही ऐसा प्रोजेक्ट है जो बहुत जरूरी भी है और जीतने प्राइवेट प्रोजेक्ट में भी सी एंड डी बेस्ड बनने वाले जो प्रॉडक्ट हैं वो पॉलिसी भी लाई जा रही है. इन सी एंड डी बेस्ड प्लांट पर गवर्नमेंट उस बेस से टाइल्स बनाती है और वो टाइल्स को हमने अनिवार्य किया है कि गवर्नमेंट के जीतने भी काम होंगे.
उन सब में उन टाइल्स को 1 फीसदी हम फिक्स कर रहे हैं कि उनको उपयोग करना आवश्यक है ताकि प्लांट पर जितना टाइल वर्क इकट्ठा हो, उनका उपयोग भी सरकार साथ-साथ में करती रहे. चाहे वो एमसीडी हो, पीडब्ल्यूडी हो या बाकी एजेंसियां हो.
वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में नई पहल
वायु प्रदूषण की दिशा में हमने कुछ और चीजें इलेक्ट्रिक नीति के साथ-साथ शुरू करने का निर्णय लिया है. दिल्ली के जितने भी प्रवेश बिंदु हैं, उन पर हम एएनपीआर यानी स्वचालित नंबर प्लेट पंजीकरण कैमरे लगाएंगे.
अंत-जीवन वाहन होंगे कैमरों से चिन्हित
ये कैमरे अंत-जीवन वाहनों की पहचान कर सकेंगे और जैसे ही वे वाहन इन कैमरों की सीमा में आएंगे, यह स्पष्ट हो जाएगा कि वे प्रदूषण फैलाने वाले वाहन हैं. ऐसे में उन्हें तुरंत चिन्हित कर रोका जाएगा.
पेट्रोल पंपों पर भी लगेंगे कैमरे
सभी पेट्रोल पंपों पर भी एएनपीआर कैमरे लगाए जाएंगे ताकि वहीं से भी अंत-जीवन वाहनों को पहचाना और रोका जा सके.
नवंबर 2025 से सख्ती
1 नवंबर 2025 से दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने वाले सभी वाणिज्यिक वाहन बीएस-6, सीएनजी या इलेक्ट्रिक होने चाहिए. क्योंकि दिल्ली के अपने वाहन जितना प्रदूषण करते हैं, उतना ही बाहर से आने वाले वाहन भी योगदान करते हैं. इसलिए यह अनिवार्य किया जाएगा.
सभी वाहनों का डेटा तैयार
दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के अंत-जीवन वाहनों का डेटा हमारे पास होगा. दिल्ली के वाहनों का भी पूरा डेटा रहेगा और समय-समय पर चेतावनी के रूप में व्हाट्सएप और संदेश के माध्यम से जानकारी भेजी जाएगी कि आपका वाहन अंत-जीवन की स्थिति में है. कृपया इसे जांच लें, अन्यथा यह दिल्ली में उपयोग नहीं हो सकेगा.
प्रवेश बिंदुओं पर सुविधाएं और इलेक्ट्रिक ऑटो
सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं और नगर निगम के टोल मार्गों पर इस प्रकार की सुविधाएं लगाई जाएंगी जिससे हमें वाहन संबंधी जानकारी मिल सके. इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर लगभग 2300 इलेक्ट्रिक ऑटो तैनात किए जाएंगे. हमारा लक्ष्य है कि 18,000 सार्वजनिक और अर्द्ध-सरकारी चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएं.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को इलेक्ट्रिक बनाना
ये सभी इलेक्ट्रिक ऑटो मेट्रो स्टेशनों के बाहर खड़े होंगे और यात्रियों को उनके घरों या क्षेत्रों तक पहुंचाएंगे. इसी तरह, दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बनाने की दिशा में हम कार्य कर रहे हैं. हमारी 400 इलेक्ट्रिक बसें पहले ही चालू हैं. 5 जून को और 200 बसें सौंपी जाएंगी और वर्ष के अंत तक कुल 2080 इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली की सड़कों पर दौड़ेंगी.
2027 तक 10,000 इलेक्ट्रिक बसों का लक्ष्य
सरकार लक्ष्य है कि 2027 तक दिल्ली में 10,000 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हों और सीएनजी सहित अन्य विकल्पों को समाप्त किया जाए.
चार्जिंग स्टेशनों का विस्तार
जितने अधिक इलेक्ट्रिक वाहन होंगे, उतनी ही चार्जिंग सुविधाएं आवश्यक होंगी. हम दिल्ली में लगभग 5 लाख निजी और अर्द्ध-निजी चार्जिंग स्टेशनों के साथ-साथ 18,000 सार्वजनिक और अर्द्ध-सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर रहे हैं. नई दिल्ली नगर परिषद क्षेत्र में भी लगभग 450 चार्जिंग स्टेशन होंगे, जिनमें से 123 पहले ही स्थापित हो चुके हैं.
बैटरी स्वैपिंग को मिलेगा बढ़ावा
बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि उपभोक्ता अपनी बैटरी बदल सकें और आगे बढ़ सकें.
प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों की निगरानी
दिल्ली सरकार पीयूसी यानी प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र केंद्रों को भी सुधारने का कार्य करेंगे. पूर्व की सरकारों में इन केंद्रों के माध्यम से भ्रष्टाचार हुआ करता था. अब हर छह महीने में इनका ऑडिट होगा ताकि सभी वाहन नियमों के अनुरूप ही सड़कों पर चलें.
ट्रैफिक और जाम से राहत
दिल्ली में ट्रैफिक जाम भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है. इसे नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम लाया जा रहा है और पार्किंग की उचित व्यवस्था की जा रही है.
डीजल जनरेटर और ठोस कचरे पर कार्रवाई
डीजल जनरेटर से होने वाले प्रदूषण पर भी सख्ती से कार्रवाई होगी. ठोस कचरा भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है. पिछली सरकारों ने कूड़े के पहाड़ों पर बातें बहुत कीं, लेकिन उनका समाधान नहीं किया.
कूड़ा प्रबंधन में तीन गुना तेजी
अब की सरकार ने अपने 100 दिनों में तीन गुना गति से कूड़ा निपटान का कार्य किया है. 60–65 मीटर ऊंचे कूड़े के पहाड़ अब 30–40 मीटर तक सीमित हो गए हैं.
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स से समाधान
दिल्ली में प्रतिदिन 11,000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जबकि निपटान 7000 मीट्रिक टन का ही होता है. शेष 4000 मीट्रिक टन रोज जमा होता है. जब तक पुराने कचरे को समाप्त नहीं किया जाएगा, तब तक समाधान संभव नहीं है.
फिलहाल चार वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स पर कार्य चल रहा है—दो नए बनाए जा रहे हैं और दो की क्षमता बढ़ाई जा रही है.
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2027 तक कूड़े के पहाड़ होंगे खत्म
हमारा लक्ष्य है कि 2027 के अंत तक सारे कूड़े के पहाड़ खत्म हों और दिल्ली "शून्य कूड़ा पहाड़" की स्थिति में पहुंचे.
बायोमास जलाने पर रोक
दिल्ली में सर्दियों के दौरान चौकीदार लकड़ी जलाते हैं, झुग्गियों में चूल्हा जलता है, जिससे धुआं बढ़ता है. अब सभी आरडब्ल्यूए को निर्देश दिए जा रहे हैं कि अपने चौकीदारों को इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराएं.
कचरे का पृथक्करण आवश्यक
घरों से निकलने वाले कूड़े के पृथक्करण के लिए भी नगर निगम के साथ मिलकर योजना चलाई जा रही है. इससे निपटान सरल होगा.
वायु गुणवत्ता की निगरानी
छह नए वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र लगाए गए हैं जो पहले से मौजूद केंद्रों के साथ मिलकर वास्तविक समय में निगरानी करेंगे.
औद्योगिक प्रदूषण पर निगरानी
ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली लागू की जाएगी. सभी उद्योगों को जल छिड़काव यंत्र और धुआं रोकने वाले यंत्र लगाने होंगे.
हरित दिल्ली के लिए वृक्षारोपण
दिल्ली को हरा-भरा बनाने के लिए वृक्षारोपण को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाएगा. प्रधानमंत्री के "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान को भी समर्थन मिलेगा. 5 जून से यह अभियान शुरू होगा. इस वर्ष 70 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है.
नागरिक भागीदारी और पर्यावरण रक्षक
इस लड़ाई में समाज और सरकार मिलकर लड़ेंगे. हमारा उद्देश्य है कि दिल्ली की हवा बेहतर हो, लोग दिल्ली में रहना पसंद करें और पर्यावरण दिवस पर दिल्ली की जनता के साथ मिलकर हम काम करें. हम "पर्यावरण रक्षक" नाम से एक प्रतीकात्मक ब्रिगेड बनाएंगे जो इस अभियान को आगे बढ़ाएगी.
योजना के क्रियान्वयन पर सवाल
कुछ लोगों का मानना है कि इन योजनाओं का लाभ नहीं होता, तो क्या सरकार पुनर्विचार करेगी? यदि किसी के पास एक ही वाहन है, तो क्या वह घर से बाहर नहीं निकलेगा? सरकार दिल्ली की जनता की सुविधा का ध्यान रखकर ही निर्णय ले रही है.
डस्ट नियंत्रण के लिए सालभर प्रयास
केवल दो महीनों तक मशीनें चलाकर धूल नियंत्रण संभव नहीं है. पूरे वर्ष मशीनें चलनी चाहिए और यह योजना प्रभावी रूप से लागू होनी चाहिए. पीडब्ल्यूडी के अनुसार, हर नाले की अपनी स्थिति होती है, हर जगह मशीनें नहीं चलतीं. कहीं-कहीं आदमी ही काम करते हैं. सरकार का लक्ष्य है कि सभी नाले पूरी तरह से साफ हों और कार्य कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किया जा रहा है.
कुमार कुणाल