दिल्ली में मेयर के चुनाव से पहले BJP में दो फाड़! जानिए क्या है पूरा मामला

दिल्ली में मेयर, डिप्टी मेयर और सदन की स्थायी समिति के 6 मेंबर्स का चुनाव 6 जनवरी को होना है. MCD चुनाव में AAP ने जहां 134 सीटें जीती थीं, वहीं BJP को 104 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था, लेकिन 6 जनवरी को होने वाले मेयर के चुनाव को लेकर सभी की नजरें बीजेपी पर ही टिकी हुई हैं.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:30 PM IST

दिल्ली में मेयर, डिप्टी मेयर और सदन की स्थायी समिति के 6 मेंबर्स का चुनाव 6 जनवरी को होना है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने MCD की पहली बैठक के लिए 6 जनवरी की तारीख तय कर दी है. वहीं बीजेपी और आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपना-अपना मेयर बनाने का दावा कर रहे हैं.

MCD की 250 सीटों में से आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें जीतकर बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया था, जबकि बीजेपी 104 सीटें ही जीत सकी थी. आलम ये है कि 6 जनवरी को होने वाले मेयर के चुनाव को लेकर सभी की नजरें बीजेपी पर ही टिकी हुई हैं. लेकिन मेयर के चुनाव से पहले ही बीजेपी दो फाड़ हो गई है. 

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बीजेपी के एक ग्रुप का मानना है कि आम आदमी पार्टी को सीधे वॉकओवर नहीं देना चाहिए. ये धड़ा AAP को कड़ी टक्कर देने के पक्ष में है. इसमें कुछ लोगों का मानना है कि AAP के कई पार्षद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. यही वजह है कि पार्टी की नज़र उन सीनियर पार्षदों पर है, जो AAP के कुनबे में सेंध लगा सकते हैं. 

जबकि बीजेपी का दूसरा धड़ा ये मान रहा है कि हर 5 साल में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होगा. ऐसे में राजनीतिक समीकरण कभी भी फिट बैट सकते हैं, हालांकि पार्टी को मेयर के लिए उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए.

क्या है वोटों का गणित

मेयर के चुनाव में 250 पार्षदों के साथ 10 सांसद (3 राज्यसभा सांसद और 7 लोकसभा सांसद)  और 13 विधानसभा सदस्य भी मतदान करेंगे. यानि 273 वोटर मेयर के चुनाव के लिए वोट करेंगे. यानि जादुई आकंड़ा 133 है. इस बहुमत के आंकड़ा को छूने वाली राजनीतिक पार्टी का ही मेयर होगा. इसमें AAP के 134 पार्षद,  3 राज्यसभा सांसद हैं, ऐसे में आम आदमी पार्टी के मेयर के कैंडिडेट को बहुमत मिलने की संभावना है.   

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महज 1 वोट से बना था बीजेपी का मेयर 


साल 2014 में बीजेपी का बहुमत दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में था. तब पार्टी ने मेयर का चुनाव महज एक वोट से जीत लिया था. जबकि बीजेपी डिप्टी मेयर का चुनाव महज एक वोट से हार गई थी. ऐसा इसलिए, क्योंकि दलबदल कानून ना होने की स्थिति में व्हिप जारी करने का प्रावधान निगम में नहीं है.

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