मेयर शैली ओबेरॉय के सामने AAP पार्षद ने लगाई कुर्सी, विधायकों पर लगाया काम में अड़ंगा डालने का आरोप

आम आदमी पार्टी के पार्षदों का असंतोष गाहे-बगाहे कई मौकों पर दिख चुका है. बीते हफ्ते एमसीडी सदन की बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी की पार्षद प्रीति अपनी  नाराजगी दिखाने के लिए अलग कुर्सी लेकर आईं. उनकी नाराजगी थी कि दिलशाद कॉलोनी वार्ड में जनता के काम नहीं हो रहे. 

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दिलशाद कॉलोनी की पार्षद प्रीति ने एमसीडी सदन में मेयर शैली ओबेरॉय के सामने लगाई कुर्सी. (Aajtak Photo) दिलशाद कॉलोनी की पार्षद प्रीति ने एमसीडी सदन में मेयर शैली ओबेरॉय के सामने लगाई कुर्सी. (Aajtak Photo)

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव में छह महीने से कम वक्त बचा है, इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है. दिल्ली नगर निगम में उसके 134 पार्षद थे, लेकिन अब 129 रह गए हैं. जबकि एमसीडी सदन में बीजेपी के 112 सदस्य हो गए हैं. आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली नगर निगम की मेयर शैली ओबेरॉय ने दो दिन पहले ही एमसीडी सचिव को सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले का हवाला देते हुए स्थायी समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा. इसके अगले दिन AAP के 5 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए. आम आदमी पार्टी जवाबी रणनीति बना रही है.

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खबर है कि AAP के शीर्ष नेता नए घटनाक्रम के मद्देनजर नुकसान को कम करने और नए सिरे से जिम्मेदारियां तय करने लिए बैठक कर रहे हैं. AAP के पार्षदों का असंतोष गाहे-बगाहे कई मौकों पर दिख चुका है. बीते हफ्ते एमसीडी सदन की बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी की पार्षद प्रीति अपनी  नाराजगी दिखाने के लिए अलग कुर्सी लेकर आईं. उनकी नाराजगी थी कि दिलशाद कॉलोनी वार्ड में जनता के काम नहीं हो रहे. 

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इसलिए वह सदन की बैठक में कुर्सी भी खुद के घर से लेकर आईं और पोस्टर लहराया, जिस पर लिखा था 'महापौर मेरी बात सुनिए, अब मैं चुप नहीं बैठूंगी'. जब से वार्ड समिति के चुनाव की घोषणा हुई है, तब से बीजेपी और AAP में  शह और मात का खेल चल रहा है. दोनों पार्टियों के सामने अपने पार्षदों को साधे रखने की चुनौती है. एक पार्षद ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इलाके के विधायक, पार्षदों के काम में यह कहकर हस्तक्षेप कर रहे हैं कि एमसीडी में विधायक भी नॉमिनेटेड हैं. लिहाजा एमसीडी से संबंधित काम के लिए लोग पार्षद नहीं बल्कि विधायक से संपर्क करें.

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पार्षद के आरोप वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. भले नीतियां एमसीडी सदन में बनती हैं, लेकिन उन्हें लागू करने की पावर एमसीडी कमिश्नर के पास है. लिहाजा असंतोषी पार्षद अपनी स्थिति किससे बयां करें. सदन की पिछली बैठक में ऐतिहासिक तौर पर पहली बार ऐसे हुआ जब सत्ता पक्ष के पार्षदों ने महापौर के विवेकाधिकार फंड से सड़कों के निर्माण न होने का मुद्दा उठाया. AAP के पार्षद सदन में फ्लैक्स और प्लेकार्ड लेकर पहुंच गए और एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार के सामने विरोध में खड़े हो गए. 

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मंगलापुरी से पार्षद नरेंद्र गिरसा ने कहा कि उनके इलाके में काम नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अधिकारी उनकी सुन नहीं रहे. मेयर से भी मिलकर मामले की सूचना दी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. आम आदमी पार्टी के त्रिलोकपुरी से पार्षद विजय कुमार ने पहले बगावती तेवर दिखाए, फिर सदन की बैठक में कहा कि उनसे गलती हो गई. विजय कुमार ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी के साथ हैं और बने रहेंगे. कांग्रेस के पार्षद वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं, तो बीजेपी के पार्षद अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति में जुट गए हैं और आम आदमी पार्टी पर दबाव बनाने में लगे हैं.

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